कालम खरी-खरी: स्वस्थ हो गया पिछलग्गू साहब का दिल Gorakhpur News

गोरखपुर से साप्‍ताहिक कालम में इस बार स्‍वास्‍थ्‍य विभाग पर फोकस किया गया है। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की व्‍यवस्‍था वहां के अधिकारी और कर्मचारियों की दिनचर्या और कार्य प्रणाली पर ठीक ढंग से टिप्‍पणी की गई है। आप भी पढ़ें गोरखपुर से गजाधर द्विवेदी का साप्‍ताहिक कालम खरी-खरी--

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 04:45 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 04:45 PM (IST)
कालम खरी-खरी: स्वस्थ हो गया पिछलग्गू साहब का दिल Gorakhpur News
गोरखपुर का ि‍जिला महिला अस्‍पताल का फोटो, जागरण।

गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। आम आदमी की स्वास्थ्य सुरक्षा का दावा करने वाले सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में सफेद कोट वाले एक अजीबोगरीब साहब हैं। जब कोई कड़क मिजाज बड़े साहब आ जाते हैं, तो उन्हें दिल का दौरा पड़ जाता है। उन्हें काम करने की आदत तो है नहीं, थोड़ा भी दबाव बना, तो उनकी बीमारी उभर जाती है। तुरंत मेडिकल लीव लेकर होम आइसोलेट हो जाते हैं। हालांकि वह देखने से बीमार नहीं लगते। हट्टे-कट्टे और मोटे-ताजे हैं। खैर, बीमारी बाहर से देखने से पता भी नहीं चलती। बिल्कुल अंदरूनी मामला है। पिछले एक साल से वह अस्पताल में नहीं आ रहे थे। इसी बीच उन्होंने कोरोना को भी निपटा दिया और बड़े साहब को भी। नए वाले बड़े साहब उनके मनमाफिक मिल गए तो उनके दिल की बीमारी ठीक हो गई है। वह अस्पताल आ गए, लेकिन मरीज अब भी नहीं देखते हैं। बड़े साहब के ही आगे-पीछे घूमते रहते हैं।

लेबर रूम की मिठाई अच्छी है

आधी आबादी की स्वास्थ्य सुरक्षा का दावा करने वाले सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में एक बड़े साहब के चहेतों की लाटरी खुल गई है। हर कर्मचारी अपनी ड्यूटी लेबर रूम में लगवाना चाहता हैं, क्योंकि वहां कमाई अच्छी है। चहेतों ने खुद को लेबर रूम में तैनात करा लिया है और मलाई काट रहे हैं। वहां से जो मिठाई मिलती है, उसे शाम को बांट लिया जाता है। बड़े साहब भी अपना हिस्सा लेकर घर चले जाते हैं। हालांकि कोरोना काल में रेट कुछ बढ़ा दिया गया है। सामान्य दिनों में तीन हजार रुपये में काम चल जाता था, अब पांच हजार वसूले जा रहे हैं। बताया जाता है कि इसमें भोजन, पानी, दवा सब फ्री है। जबकि ये सारी सुविधाएं सरकार की तरफ से निश्शुल्क हैं। मरीजों के स्वजन को भी यह सस्ता लग रहा है। क्योंकि नर्सिंग होम में जाते तो 30 से 35 हजार खर्च करने पड़ते।

विभाग का भला और जेब भी गर्म

 सेहत महकमे में एक पद ऐसा भी है, जो स्वास्थ्य कर्मियों खासकर एएनएम व आशा को प्रशिक्षण, स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं के प्रचार-प्रसार व बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सृजित किया गया है। इस पद पर बैठे साहब अपने इन दायित्वों से दूर नर्सिंग होमों की जांच कर मलाई काट रहे हैं। उन्हें किसी ने जांच की जिम्मेदारी सौंपी नहीं है। दरअसल इस समय नर्सिंग होमों की जांच करने वाले साहब कोविड टीकाकरण में व्यस्त हैं और बड़े साहब कोरोना से जूझ रहे हैं। इसका फायदा उठाकर शिक्षा देने वाले साहब मलाई काटना शुरू कर दिए हैं। पहले वाले बड़े साहब के वह बहुत खास थे, इसलिए सभी लोग उन्हें पहचानने लगे हैं। नए साहब ने उन्हें कोई तवज्जो नहीं दी। उनके पास कोई काम भी नहीं है, इसलिए रोज विभाग का भला करने निकल जाते हैं और अपनी जेब गर्म कर वापस चले आते हैं।

साहब गुरु तो चेले गुरुघंटाल

औषधि महकमे के बड़े साहब कोरोना से जूझ रहे हैं और उनके मातहत चांदी काट रहे हैं। बड़े साहब को भी मिठाई से परहेज नहीं है, क्योंकि उन्हें शुगर की बीमारी नहीं है। लोग बताते हैं, साहब यहां आने से पहले लोगों को बहुत मिठाई खिलाते थे। अब साहब हो गए हैं, तो खुद भी खाते हैं, लेकिन उन्हें मिलती बहुत कम है। दरअसल अभी नए आए हैं और उन्हें यहां का पूरा भूगोल पता नहीं है, इसलिए मिठाई लाने के लिए उन्होंने जिन खास लोगों को तैयार किया है। वे साहब के भी गुरु निकल गए हैं। वे ज्यादा हिस्सा अपने खा जाते हैं और थोड़ा साहब को देते हैं। इस मामले में साहब बहुत सीधे हैं। करें भी क्या? वह कोरोना की रोकथाम में जुटे हैं। ध्यान भी नहीं दे पा रहे हैं कि मिठाई कहां से, कितनी आ रही है और मातहत चांदी काटने में व्यस्त हैं।

chat bot
आपका साथी