साप्ताहिक कालम बिंब-प्रतिबिंब, बड़े गुरुजी के मुखबिरों की दहशत Gorakhpur News
इस बार के साप्ताहिक कालम में भाजपा और गोरखपुर विश्वविद्यालय के शिक्षकों की कार्य प्रणाली पर फोकस किया गया है। प्रचायत चुनाव में भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं की स्थिति एवं शिक्षकों की आपसी खींचतान को ठीक से प्रस्तुत किया गया है।
गोरखपुर, डा. राकेश राय। शिक्षा के सबसे बड़़े मंदिर में इन दिनों बड़़े गुरुजी के मुखबिरों की खासी दहशत है। ऐसे में हर व्यक्ति एक-दूसरे को संदेह की निगाह से देख रहा है। मुखबिरों की सक्रियता को लेकर कुछ लोगों में जो संशय था, वह भी बीते दिनों बड़े गुरुजी के एक बड़े एक्शन से दूर हो गया। मुखबिर की सूचना पर ही बड़े गुरुजी ने अपने एक सिपहसालार से रातों-रात महत्वपूर्ण जिम्मेदारी छीन ली। हुआ यूं कि जब बड़़े गुरुजी को सूचना मिली कि उनके एक सिपहसालार के मित्र उन्हें दी गई जिम्मेदारी का दुरुपयोग कर रहे हैं, तो उन्होंने तत्काल इसकी तस्दीक के लिए अपने मुखबिर लगा दिए। मुखबिरों ने जब अपनी पड़ताल से बड़़े गुरुजी के संदेह को यकीन में बदला तो संबंधित सिपहसालार कार्रवाई की जद में आ गए। खबर तो यह भी है कि बड़े गुरुजी ने पुख्ता सूचना के लिए मुखबिरों के पीछे भी मुखबिर लगा रखे हैं।
केहू खेत थोड़़े कटले बा हमार
प्रधानी के चुनाव को लेकर गांवों में राजनीतिक पैंतरेबाजी चरम पर है। जीत के लिए दावेदार हर हथकंडा अपना रहे हैं। यहां तक लंबे समय से जिस पार्टी के झंडाबरदार बने फिरते थे, वोट की खातिर उससे भी पल्ला झाडऩे में वह तनिक भी नहीं हिचक रहे। फूल वाली पार्टी के एक जरजरात नेता का बदला रुख इसकी बानगी है। कल तक संप्रदाय विशेष के खिलाफ झंडा बुलंद करने वाले यह नेता प्रधान बनने के लिए आज उनकी जमकर खुशामद कर रहे हैं। फंडा क्लीयर है, कुल एही दिन-रात खातिर त करत रहलीं न? हम्मे त बस वोट चाहीं। केहू खेत थोड़े कटले बा हमार? उनके इस सामूहिक बयान पर जब कोई साथी उन्हें पंचायत चुनाव से पहले की राजनीति का ढर्रा याद दिलाता है, तो भड़क जाते हैं। कहते हैं, अब माहौल मत बिगाड़ो, पार्टी तो बड़े स्तर पर राजनीति के लिए है, गांव में सभी हमारे भाई-बंधु हैं।
24 घंटे में ही पलट गए गुरुजी
सिपहसालार आदेशों को लेकर कन्फ्यूज और गैर जिम्मेदार हो तो राजा की भद पिटनी तय है। शिक्षा के सबसे बड़़े में मंदिर में इन दिनों यह खूब देखने को मिल रहा है। शोध के प्रवेश परीक्षा परिणाम की शुचिता को लेकर विद्यार्थियों की ओर से उठाए गए सवाल के मामले में सिपहसालार गुरुजी के इसी व्यवहार से बीते दिनों बड़े गुरुजी की खूब किरकिरी हुई। परिणाम के अंक और साक्षात्कार के वीडियो की मांग को पहले तो गुरुजी ने सिरे से खारिज कर दिया और इस तरह के वादे को लेकर बड़े गुरुजी को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। जब मामला उलझ गया और बड़़े गुरुजी ने उन्हें इसके लिए फटकार लगाई, तो सिपहसालार महोदय अगले ही दिन पलट गए। बाकायदा अंक से लेकर वीडियो तक साझा करने का बयान जारी कर दिया। इससे विद्यार्थियों में तो उनकी बेइज्जती हुई ही, विरोधी खेमे में भी हंसी का पात्र बने।
जहजवा उड़ी कि डगर के लखनऊ पहुंची
हवाई जहाज की पहली सवारी यूं तो हर किसी के लिए कौतूहल भरी होती है, लेकिन जब यह अवसर अचानक मिले तो कौतूहल और बढ़़ जाता है। फूल वाली पार्टी के कुछ स्थानीय नेताओं को यह अवसर अचानक तब मिल गया जब उन्हें गोरखपुर से लखनऊ की पहली उड़ान का हिस्सा बनाने का निर्णय लिया गया। पूरी तैयारी के साथ वह निर्धारित समय से काफी पहले एयरपोर्ट पहुंच गए। वह समय भी आया, जब औपचारिकता पूरी करने के बाद जहाज में बैठ गए। टेकआफ के लिए रनवे की ओर जब जहाज ने डगरना शुरू किया और यह सिलसिला थोड़ा लंबा ङ्क्षखचा, तो एक नेताजी का धैर्य जवाब दे गया। पास बैठे यात्री से पूछ बैठे, कहो! यह उड़़ेगी भी कि डगरा के लखनऊ पहुंचाएगी? हालांकि उस यात्री ने नेताजी के सवाल का माकूल जवाब दे दिया, लेकिन उस जवाब से वह तबतक संतुष्ट नहीं दिखे, जबतक जहाज उड़ नहीं गया।