कालम : सिग्नल नहीं, दारोगा जी का हाथ देखिए Gorakhpur News

गोरखपुर के साप्‍ताहिक कालम में इस बार शिक्षक एवं कर्मचारियों के बारे में रिपोर्ट दी गई है। शिक्षकों और कर्मचारियों की दिनचर्या पर आधारित रिपोर्ट को भी ठीक से फोकस किया गया है। आप भी पढ़ें गोरखपुर से प्रभात कुमार पाठक का साप्‍ताहिक कालम परिसर से---

By Satish chand shuklaEdited By: Publish:Sat, 13 Feb 2021 04:56 PM (IST) Updated:Sat, 13 Feb 2021 04:56 PM (IST)
कालम : सिग्नल नहीं, दारोगा जी का हाथ देखिए Gorakhpur News
गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के मुख्‍य द्वार का फाइल फोटो।

प्रभात पाठक, गोरखपुर। अपने शहर के लोग अक्सर गोलघर में फंस जाते हैं। अब लोग गलियों से होकर निकलने लगे हैं, लेकिन दारोगा जी से कहां उनकी चालाकी चलने वाली है। दारोगा जी अब चौराहा छोड़कर गली में डयूटी कर रहे हैं और लोगों को पता है कि जहां दारोगा जी होंगे, जाम तो लगेगा ही। पिछले दिनों कानपुर से छोटा भाई शहर घूमने आया। मैंने शहर घुमाने की जिम्मेदारी चंदू चाचा को सौंप दी। भाई गोलघर चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल देख रहा था। सिग्नल जैसे ही ग्रीन हुआ वह आगे बढऩे लगा, तभी दारोगा जी ने गाड़ी पर डंडा पटक दिया। बोले बहुत जल्दी है क्या। अभी फाइन भरना पड़ेगा। भाई को बात कुछ समझ में नहीं आई कि आखिर गलती कहां हुई है। वह बहुत देर परेशान रहा। चाचा परेशानी समझ गए। बोले, बेटा तनाव न लो। यहां रास्ता ग्रीन सिग्नल से नहीं, दारोगा जी का हाथ देखकर क्लीयर होता है।

नौकरी पर भारी पड़ गया कारोबार

अभी हाल ही में सरकारी विद्यालयों में बड़े पैमाने पर नियुक्ति हुई। लंबे समय से डिग्री लेकर नौकरी की राह देख रहे हजारों युवाओं का नौकरी क्या मिली, उनका भविष्य ही संवर गया। घर से लेकर रिश्तेदार तक सबने शुभकामनाएं दीं। नियुक्ति पत्र लेकर सभी अपने-अपने स्कूल पहुंचे और नौनिहालों के भविष्य संवारने में जुट गए। नियुक्ति की प्रक्रिया थमी भी नहीं थी कि नौकरी छोडऩे के लिए एक गुरुजी विभाग के बड़े साहब के पास पहुंचे। चेंबर में साहब के सामने मुखातिब होने के बाद बड़े साहब से यह कहते हुए नौकरी छोडऩे की पेशकश कर दी कि कारोबार चटक गया है, अब वह नौकरी नहीं करेंगे। साहब भी हैरानी में पड़ गए कि एक तरफ सरकारी नौकरी के लिए लोग परेशान हैं, दूसरी तरफ यह नौकरी छोडऩे की बात कह रहे हैं। नौकरी पर कारोबार भारी पड़ता देख साहब ने भी उन्हें त्यागपत्र देने की सलाह दे डाली। 

भगवान भरोसे गुरुजी की नैया

इन दिनों बेसिक शिक्षा विभाग में अंतरजनपदीय तबादला चल रहा है। गुरुजी भी अपने घर के पास पहुंचने के लिए आवेदन किए हैं। समस्या यह है कि वह अपने ही गृह जनपद में घर के नजदीक पहुंचेंगे या दूर, इसका उन्हें पता नहीं। आजकल सारे काम आनलाइन हो रहे हैं, ऐसे में तबादले की प्रक्रिया भी आनलाइन हो रही है। यही प्रक्रिया गुरुजी के जी का जंजाल बन गई है। जिस स्कूल का आवंटन होना है, उसकी सूची निदेशालय से आनी है। उसी सूची में से एक विद्यालय का आवंटन होना है। काउंसिङ्क्षलग भी मेरिट के आधार पर होनी है। ऐसे में जिन लोगों का नंबर बाद में आएगा, तब तक हो सकता है कि उनके हाथ से उनका मनपसंद विद्यालय निकल जाए। अभी कल ही एक गुरुजी अपने मित्र से बात कर रहे थे कि तबादले का ऐसा सिस्टम हो गया कि भगवान ही नैया पार लगा सकते हैं।

...और झाड़ लिया पल्ला

इन दिनों बोर्ड परीक्षा की तैयारियां चल रहीं हैं। केंद्र निर्धारण से लेकर प्रैक्टिकल तक सभी कार्य ठीक से हो, इसको लेकर विभाग भी फूंक-फूंककर कदम उठा रहा है। अभी केंद्र बनाने को लेकर रस्साकसी चल ही रही थी कि इसी बीच बोर्ड ने परीक्षा केंद्रों की सूची जारी कर दी। मानक पूरा नहीं होने के बाद भी बोर्ड ने सूची में एक दर्जन से अधिक विद्यालयों को शामिल कर लिया। सूची जारी हुई तो इन विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को सांप सूंघ गया। जैसे ही विभाग के मुखिया ने सूची को लेकर विद्यालयों से आपत्ति मांगी। सबसे पहले परीक्षा केंद्र की सूची से नाम हटाने को लेकर मानक पर खरा न उतरने वाले विद्यालयों ने प्रत्यावेदन देकर परीक्षा कराने से पल्ला झाड़ लिया। बैठक में बड़े साहब तक जब यह मामला पहुंचा तो उन्होंने भी इस पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए स्कूलों के निर्णय को हरी झंडी दे दी। 

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