किसको सुनाएं हाल दिल-ए- बेकरार का Gorakhpur News

गोरखपुर नगर निगम के पार्षदों की हालत सबसे ज्‍यादा खराब है। न तो अधिकारी सुनते हैं और न ही कर्मचारी कोई तवज्‍जो दे रहे हैं। वह अपनी स्थिति किससे बयान करें। पढ़ें गोरखपुर से गोरखपुर से दुर्गेश त्रिपाठी का साप्‍ताहिक कॉलम हाल बेहाल---

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 05:04 PM (IST) Updated:Tue, 22 Sep 2020 05:04 PM (IST)
किसको सुनाएं हाल दिल-ए- बेकरार का Gorakhpur News
गोरखपुर के नगर निगम का यह वही भवन है जहां की स्थिति की बर्णन किया गया है।

गोरखपुर, जेएनएन। 70 चुने पार्षद, 10 मनोनीत पार्षद और 10 लाख से ज्यादा आबादी, लेकिन समस्या होने पर किसको अपना दुखड़ा सुनाएं। साहब का फोन उठता नहीं, कंट्रोल रूम वाला वापस साहब का ही नंबर देता है। जनता तो किनारे कर ही दी गई है, छोटे वाले माननीय भी बेचारे बन मारे-मारे फिर रहे हैं। अफसर नहीं सुनते तो कर्मचारी भी तन कर बात करते हैं। जानते हैं, साहब तो इनकी सुनते नहीं, हमारे खिलाफ शिकायत करके ही क्या कर लेंगे। सत्ताधारी दल के छोटे वाले माननीयों ने तो मुंह पर ताला लगा लिया है। विपक्षी कभी-कभी बोल रहे हैं। एक छोटे वाले माननीय के इलाके में पानी की समस्या खड़ी हुई। पानी पिलाने के जिम्मेदार अफसर को फोन किया तो उन्होंने खुद को अस्वस्थ बताया। साहब को फोन किया तो उनका मोबाइल नॉट रिचेबल मिला। कर्मचारियों ने सुनी नहीं। बोले, ऐसी स्थिति तो कभी नहीं रही, आखिर किसे अपना हाल-ए-दिल सुनाएं।

सब कुछ लुटाकर मदहोश हैं

कोरोना क्या आया, साफ-सफाई महकमे के कर्मचारियों की कौन कहे, साहबों की भी काम की गति थम सी गई है। ऊपर से बजट भी नहीं मिल रहा तो आगे भी ऊर्जा आने की उम्मीद कम ही है। एक-एक कर महकमे की खाली पड़ी जमीनों पर कब्जा होता जा रहा है। जिसको जहां मौका मिल रहा है, वहीं हाथ साफ करने में लगा हुआ है। एक जमीन पर कब्जा होने की जानकारी हुई तो शहरी सरकार के बाऊजी और बड़े साहब मौके पर पहुंचे। बड़ी जमीन और इतना ज्यादा कब्जा देख उनका माथा चकरा गया। बड़े साहब लगातार जमीन बचाने के लिए जूझ रहे हैं, लेकिन मातहत तो अपनी ही चाल चल रहे हैं। नए कब्जे की जानकारी के बाद बड़े साहब ने लेखपाल को बुलवाने का हुक्म दिया, लेकिन घंटों तक दरबार में वह हाजिर नहीं हुए। मातहतों के रवैये से साहब बुदबुदाने लगे, सब कुछ लुटाकर भी मदहोश हैं। ---

साहब तो बहुत बड़े फाइटर निकले

शहरी सदन के साहब अमूमन बहुत शांत-शांत रहते हैं। बात भी ज्ञानवर्धक टाइप की करते हैं। जवाब अपने हिसाब से ही देते हैं। कभी-कभी तो जवाब इतना लंबा हो जाता है कि सवाल करने वाला यह भूल जाता है कि पूछा क्या था, लेकिन साहब अपने काम में कोई कमी नहीं रहने देते हैं। महराजजी के राज में साहब को गोसेवा का बड़ा अवसर भी मिला है। तमाम बाधाएं, दिक्कतें और दुश्वारियां आईं, एक-आध बार साहब लडख़ड़ाए भी, लेकिन दोगुने जोश से साहब ने वापसी भी की। शांत रहने वाले साहब पिछले दिनों अचानक से भड़क उठे। एक तेल चोर के बारे में पता चला तो साहब का खून खौल उठा। तेल चोर से सवाल-जवाब करने लगे तो वह मनबढ़ई करने लगा। फिर क्या था, साहब ने एक के बाद एक घूंसे लगाने शुरू कर दिए। उनका यह रूप देखकर मातहत बोल पड़े, अपने साहब तो बहुत बड़े फाइटर निकले। ---

माननीय की धमकी ने डरा दिया

शहर के चर्चित माननीय ने एक बार फिर धमकी दी है। घर के बगल में इकट्ठा पानी देखकर माननीय का खून खौल उठता है। पिछली बार इलाके की सीवर लाइन ही खोदवा डाली थी, लेकिन पानी नहीं निकला। माननीय का रौद्र रूप देखकर सफाई महकमे ने दो बड़े वाले पंप लगा दिए थे। पानी तेजी से निकलने भी लगा था, लेकिन पिछले दिनों हुई बारिश के बाद शहर में कई जगहों से शोर मचने लगा तो एक पंप हटा दिया गया। अब एक पंप पर चौथाई किलोमीटर में फैले पानी को निकालने का बोझ है। एक दिन माननीय अचानक घर से निकले और पैंट उठाकर गंदे पानी में चलने लगे। हर बार की तरह वीडियो बनाकर लखनऊ भेज दिया। अब पानी में बैठने की धमकी दे दी है। अफसर परेशान हैं, माननीय पानी में बैठेंगे तो खाट खड़ी होनी तय है। अफसर अब स्थायी इंतजाम की फाइल बना रहे हैं।

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