परिसर से : कोरोना से भारी वीडियो लेक्चर की जिम्मेदारी Gorakhpur News

पढ़ें गोरखपुर से प्रभात कुमार पाठक का साप्‍ताहिक कॉलम परिसर से...

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Sat, 08 Aug 2020 06:32 PM (IST) Updated:Sat, 08 Aug 2020 06:32 PM (IST)
परिसर से : कोरोना से भारी वीडियो लेक्चर की जिम्मेदारी Gorakhpur News
परिसर से : कोरोना से भारी वीडियो लेक्चर की जिम्मेदारी Gorakhpur News

प्रभात कुमार पाठक, गोरखपुर। परिसर में कक्षाएं न चलने से पठन-पाठन का कार्य काफी दिनों से ठप है। इसके पहले छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन पढ़ाने के उद्देश्य से अप्रैल तक की सामग्री वेबसाइट पर अपलोड की गई थी। तकनीक के कम जानकार कई गुरुजनों ने बड़ी मुश्किल से सामग्री जुटाकर वेबसाइट पर उपलब्ध कराई। इस बीच नए सत्र के लिए बड़े साहब का फरमान आ गया है। परिसर के चैनल के लिए अब वीडियो लेक्चर तैयार करना होगा। इस फरमान ने कई गुरुजी को मुसीबत में डाल दिया है। अबतक तो बड़ी मुश्किल से पठन सामग्री तैयार कर वेबसाइट पर अपलोड की थी। क्लास में छात्रों के साथ बतकही करने वाले गुरुजी को वीडियो बनाने की नई जिम्मेदारी कोरोना संक्रमण से भी भारी लग रही है। कोरोना से बचाव को तमाम तरीके हैं लेकिन वीडियो लेक्चर बनाने से बचने को उन्हें कोई तरीका नहीं सूझ रहा है। साहब का फरमान है या गले की हड्डी।

छोटे गुरुजी को चाहिए ऊपर का कमरा

इन दिनों शिक्षा के बड़े मंदिर में आवास से कार्यालय तक, हर जगह मनपसंद कमरा हथियाने की होड़ मची है। शिक्षक हो या कर्मचारी, सभी अपने हिसाब से कमरे पर कब्जा जमाने में जुटे हैं। कोई कामयाब होकर चहकता फिर रहा तो असफल लोग जगह-जगह अपनी खीझ दिखा रहे हैं। कहीं कोई ताला तोड़ रहा तो कहीं कोई अपनी 'ऊपर तक पहुंचÓ का बखान करने में जुटा है। इन सबके बीच सबसे अधिक चर्चा में एक विभाग के छोटे गुरुजी हैं। उनकी नजर विभाग में ऊपर के एकांत कमरे पर है। गुरुजी हर जगह कहते फिर रहे हैं, 'हम किसी से कम थोड़े हैं, जो कमरा चाहेंगे, वही मिलेगा। सुनने में आया है कि तमाम कानूनी दांव-पेच के बाद गुरुजी को कमरा मिल भी जाएगा। यह वही गुरुजी हैं जो भाई-भतीजावाद की बुराई करने को भी चर्चित हैं, लेकिन इसके बड़े लाभार्थियों में उन्हीं का पहले नाम लिया जाता है।

पद नहीं, पर मीटिंग में शामिल

परिसर में आजकल कोरोना के कारण भले ही शैक्षिक गतिविधियां ठप हैं, लेकिन अंदरूनी राजनीति की खिचड़ी खूब पक रही है। शिक्षा के बड़े मंदिर में गुरुजनों की समस्याओं को लेकर एक संगठन बना हुआ है। अर्से से नए प्रतिनिधि का चयन भी नहीं हुआ है। अवधि समाप्त होने के बाद भी संगठन के मुखिया के पद पर आसीन रहने के कारण एक बड़े गुरुजी हर महत्वपूर्ण बैठकों में शामिल होने का दावा करते रहते हैं। जानकार सवाल खड़े कर रहे हैं। कार्यवाहक का तो कोई प्रावधान है नहीं, फिर गुरुजी प्रशासन की हर बैठक में उसी पद के आधार पर अपनी उपस्थिति कैसे दर्ज करा ले रहे? इसे लेकर परिसर में चर्चाओं का बाजार भी खूब गर्म है। चाहकर भी कुछ न कर पाने वïाले यह कहते हुए तल्खी दिखा रहे, 'यहां अनुशासन का कोई मतलब नहीं है। लोकतंत्र और कायदे-कानून परिसर से बाहर की चिडिय़ा का नाम है।

पौधे काटने की यह कैसी जिम्मेदारी

परिसर में भी अजब-गजब खेल है। यहां काम बनाने में कम, बिगाडऩे में लोग अधिक विश्वास करते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए इन दिनों हर जगह पौधारोपण अभियान चल रहा है। परिसर में भी अभियान चलाकर बड़े साहब के नेतृत्व में पौधे लगाए जा रहे हैं। इन सबके बीच एक बड़े विभाग के एक बड़े गुरुजी परिसर में लगे पौधों को ही जड़ से काटने में जुटे हैं। यह 'जिम्मेदारी उन्हें किसने दी, कोई बताने वाला नहीं। इसके पीछे गुरुजी की मंशा क्या है, यह तो पता नहीं, लेकिन धार्मिक एवं पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण पेड़ों के कटने से परिसर में काफी नाराजगी का आलम है। दबी जुबान में उनके साथ के गुरुजी कहते फिर रहे कि एक पौधा तो लगा नहीं सकते, काटने का अधिकार इन्हें किसने दे रखा है। हैरत की बात यह कि परिसर के आला अधिकारियों ने गुरुजी की हरकत पर चुप्पी साध रखी है। 

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