चौपाल : दो गज की दूरी बेहद जरूरी Gorakhpur News

पढ़ें गोरखपुर से जितेन्‍द्र पांडेय का साप्‍ताहिक कालम-चौपाल...

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 04:41 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 04:41 PM (IST)
चौपाल : दो गज की दूरी बेहद जरूरी Gorakhpur News
चौपाल : दो गज की दूरी बेहद जरूरी Gorakhpur News

जितेन्द्र पांडेय, गोरखपुर। बीते रविवार को जंगली जानवरों के लिए बन रहे सरकारी ठिकाने में पौधारोपण के महाकुंभ का आगाज हो रहा था। जिले से लेकर मंडल तक के अधिकारी मौजूद। एक कर्मचारी माइक से दूरी बनाए रखने की लगातार सलाह दे रहा था, किसी ने टोका तो चुप हो गया। उधर, सभी एक-दूजे से यही बोल रहे थे, दूरी बनाइए। साथ में ऐसी आवाजें भी आ रही थीं, भाई साहब आप छूट जा रहे हैं। आप भी आइए ना। अरे, पुलिस वाले बड़े साहब छूट गए, सर इधर ही आ जाइए। दीप प्रज्ज्वलन से लेकर पौधारोपण तक एक दूसरे सटकर 15-20 लोग खड़े हुए। अचानक नजर पत्रकारों पर पड़ी तो एक अधिकारी बोल पड़े, अरे भाई आप लोग थोड़ा शारीरिक दूरी का ध्यान रखिए। हां, देखिएगा मेरी फोटो न कटे। काफी देर से चुप माइक वाला फिर बोला, दो गज की दूरी बेहद जरूरी। अंतिम घोषणा 'अब चलिए भीÓ का  इशारा था।

आज से दो बोतल शराब

कल रात की बात है, करीब दस बजने वाले थे। मैं घर की तरफ जा रहा था। रास्ते में शराब की दुकान के बाहर लगभग रोज दिखने वाले चाचाजी आवाज लगा रहे थे, भइया आज दो बोतल देना। मैं उनका फंडा नहीं समझ पा रहा था। साथ गए पड़ोसी लौटन ने पूछा, चाचा दो बोतल क्यों। वह बोल पड़े, अखबार नहीं पढ़ता क्या। दो दिन पूर्व ही नकली ढक्कन, रैपर के साथ एक व्यक्ति पकड़ा गया है। वह पकड़ा गया है तो शराब भी बनाता रहा होगा। रैपर से लेकर ढक्कन तक, सबकुछ सरकारी शराब की शीशी के लिए। तो उसकी शराब बिकती भी होगी सरकारी दुकान से। ऐसी दुकान से ही मिलावटी मिलेगी तो कितनी चढ़ेगी। इसलिए कम से कम दो बोतल पीनी पड़ेगी। लौटन समझ गए कि डेढ़ माह से उन्हें दारू चढ़ क्यों नहीं रही है। खुद से पूछ बैठे, क्या बिना नशे के एक्टिंग करते रहे।

अरे यह तो चमत्कार हो गया

खाने-खिलाने वाले विभाग के एक साहब की बड़ी चर्चा है। विभाग में हर कोई सम्मान की नजर से देखता है। देखे भी क्यों न। दो दिन पहले की ही बात है कि एक कोटेदार पर आरोप लगा कि वह गल्ला बेचकर भाग निकला। जांच के बाद साहब भी बोल गए, उससे अनाज का एक-एक दाना वसूलेंगे, मुकदमा दर्ज कराएंगे। उधर इस मामले को लेकर विभाग पर भी सवाल खड़े होने लगे। साहब का ध्यान इस पर तब गया जब चर्चा विभाग में होने लगी। उन्होंने कहा कि इसमें कौन सी बड़ी बात है। अनाज थोड़े न किसी का गया है। सारा सरकारी राशन मिल गया है। पिछले माह उसने कुछ लोगों को राशन नहीं दिया था, उन्हें दिला दिया जाएगा। साहब का यह जवाब सुनकर विभागीय कर्मचारी दंग रह गए। लोगों ने दबी जुबान से चर्चा भी की, अरे यह तो चमत्कार हो गया। साहब को कोई जोड़ नहीं है।

आईं टिड्डियां, पानी पिला दिया

खेती-किसानी वाले विभाग के एक साहब अक्सर कहते थे कि टिड्डियां यहां आएंगी तो उन्हेंं देख लेंगे। आखिरकार देखने-दिखाने का दिन आ ही गया। लेकिन, टिड्डियों का नाम सुनकर साहब के हाथ-पांव फूल गए। तीन दिन तक टिड्डियां जिले में रहीं और साहब एकदम चुप। पूछने पर कहते कि अभी महत्वपूर्ण मिशन पर हूं। तीन दिन बाद इंद्रदेव की कृपा रही कि टिड्डियों को जाना पड़ा। सप्ताहभर बाद साहब के दरबार में फिर रौनक है। मेज के दस्तरख्वान पर मूंगफली और भूजा से परंपरागत शोभा बनी हुई है। दो गज की दूरी पर कुॢसयां भी लगी हैं। साहब के निजी कद्रदान गुणगान में मगन हैं, मानना पड़ेगा साहब को। आईं टिड्डियां और पानी पिला दिया। बाहर से आए एक व्यक्ति ने टोका, साहब के ब्लाक में तो टिड्डियां गईं ही नहीं। साहब बोल उठे, जिले का मामला था। मेज के नीचे से दो मरी हुई टिड्डियां निकालकर बोले, ये देखो।

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