रेलवे स्टेशनों पर वाटर वेंडिंग मशीनें बंद, नहीं मिल रहा पीने का सस्ता पानी

रेलवे स्‍टेशनों पर सस्ते दाम पर मिलने वाला पीने का शुद्ध पानी आइआरसीटीसी और कार्यदायी संस्था के पेच में फंस गया है। वाटर वेंडिंग मशीनों को संचालित करने वाली फर्म के फरार होने के बाद आइआरसीटीसी ने निगरानी व संचालन से पल्ला झाड़ लिया।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 11:28 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 11:28 AM (IST)
रेलवे स्टेशनों पर वाटर वेंडिंग मशीनें बंद, नहीं मिल रहा पीने का सस्ता पानी
गोरखपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर दो पर बंद पड़ी वाटर वेंडिंग मशीन। - जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। यात्रियों को स्टेशनों पर सस्ते दाम पर मिलने वाला पीने का शुद्ध पानी इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन (आइआरसीटीसी) और कार्यदायी संस्था के पेच में फंस गया है। वाटर वेंडिंग मशीनों (डब्लूवीएम) को संचालित करने वाली फर्म के फरार होने के बाद आइआरसीटीसी ने निगरानी व संचालन से पल्ला झाड़ लिया। रेलवे प्रशासन डब्लूवीएम को चलाने की जिम्मेदारी मिलने के बाद भी उदासीन बना हुआ है। यात्री अधिक दाम पर बोतल का पानी खरीदकर पीने को मजबूर हैं।

फर्म के फरार होते ही आरआरसीटीसी ने झाड़ा पल्ला, जिम्मेदारी के बाद भी उदासीन है रेलवे प्रशासन

पिछले साल लाकडाउन के पहले से ही लखनऊ मंडल के खलीलाबाद, बस्ती, गोंडा, बादशाहनगर और लखनऊ जंक्शन आदि रेलवे स्टेशनों पर लगभग चार दर्जन डब्लूवीएम धूल फांक रहीं हैं। गोरखपुर में ही एक दर्जन मशीनें शो पीस बने हुए हैं। उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। हालांकि, बीच में कुछ दिनों के लिए कार्यदायी फर्म ने गोरखपुर के कुछ प्लेटफार्मों पर डब्लूवीएम को चालू किया था। लेकिन बिजली को लेकर स्टेशन प्रबंधन और फर्म के बीच फिर खींचतान शुरू हो गया। इसके बाद फर्म ने डब्लूवीएम में फिर से ताला जड़ दिया।

धूल फांक रहीं गोरखपुर सहित लखनऊ मंडल के स्टेशनों पर लगी चार दर्जन वाटर वेडिंग मशीनें

जानकारों का कहना है कि लाखों की मशीनें ऐसी ही पड़ी रहीं तो पानी देने लायक भी नहीं बचेंगी। यह तब है जब रेलवे प्रशासन स्थिति सामान्य होने के बाद यात्री सुविधाएं बढ़ाने का दावा कर रहा है। 70 में से 67 एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन शुरू हो गया है। मुख्यालय गोरखपुर से ही रोजाना 50 हजार से अधिक यात्री आवागमन करने लगे हैं। त्योहारों में तो यह भीड़ और बढ़ेगी। दरअसल, रेलवे बोर्ड ने वर्ष 2016 में स्टेशनों पर यात्रियों को कम कीमत पर पीने का पानी उपलब्ध कराने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की थी। मशीनों से महज पांच रुपये में एक तथा 20 रुपये में पांच लीटर पीने का मिल जा रहा था। जबकि, एक लीटर पानी का बोतल खरीदने पर लोगों को 15 से 20 रुपये खर्च करने पड़ते हैं।

बोर्ड ने रेलवे प्रशासन को सौंप दी है डब्लूवीएम की जिम्मेदारी

आइआरसीटीसी और कार्यदायी फर्म की आपसी खींचतान के बाद रेलवे बोर्ड ने डब्लूवीएम को संचालित करने की जिम्मेदारी पूर्वोत्तर सभी जोनल रेलवे प्रशासन को सौंप दी है। इन मशीनों का संचालन रेलवे प्रशासन ही करेगा। अब देखना है कि रेलवे प्रशासन यात्रियों की प्यास बुझा पाता है या मशीनें नीलाम हो जाती हैं।

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