जिला अस्पताल व सीएमओ कार्यालय में जलापूर्ति ठप, परेशानी

जिला अस्पताल में दो दिन से पानी की आपूर्ति ठप है। जिसकी वजह से मरीज एवं तीमारदारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को पीने के लिए बाहर से पानी लाना पड़ रहा है। खराबी दूर करने में जिम्मेदार नाकाम हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 06:15 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 06:15 AM (IST)
जिला अस्पताल व सीएमओ कार्यालय में जलापूर्ति ठप, परेशानी
जिला अस्पताल व सीएमओ कार्यालय में जलापूर्ति ठप, परेशानी

सिद्धार्थनगर: जिला अस्पताल में दो दिन से पानी की आपूर्ति ठप है। जिसकी वजह से मरीज एवं तीमारदारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को पीने के लिए बाहर से पानी लाना पड़ रहा है। खराबी दूर करने में जिम्मेदार नाकाम हैं।

संयुक्त जिला अस्पताल में टंकी से पानी की सप्लाई होती है। सभी वार्डों में पानी की सप्लाई के लिए पाइपलाइन भी बिछाई गई है। सोमवार को अचानक पानी की आपूर्ति ठप हो गई। अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजन राजेश कुमार, कृष्णा आदि ने बताया कि पानी की सप्लाई न होने से बाहर से पानी खरीदकर लाना पड़ता है। सर्वाधिक परेशानी रात को हो रही है। दुकानें बंद होने से पानी नहीं मिल पाता है। अस्पताल के स्टाफ एवं मरीजों सप्लाई बाधित होने की शिकायत सीएमएस से की। उन्होंने पाइपलाइन की देखरेख करने वाले कर्मचारियों को सप्लाई बहाल करने का निर्देश दिया। बावजूद इसके दो दिन बाद भी खराबी को दूर नहीं किया जा सका। सीएमएस डा. नीना वर्मा ने बताया कि फाल्ट को दूर करने के लिए स्टाफ को लगाया गया है। अब तक कमी दूर नहीं हो पाई है। इसे ठीक कराने का प्रयास चल रहा है। जल्द ही आपूर्ति बहाल हो जाएगी। खुद बीमार है अस्पताल, कैसे हो इलाज

सिद्धार्थनगर : बढ़नी ब्लाक के अहिरौला में बना न्यू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार है। ऐसे में यहां मरीजों का इलाज कैसे संभव हो सकेगा यह एक सवाल है। भवन जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है। जगह-जगह दीवार दरक गई हैं। छत का हिस्सा फर्श पर भरभरा कर गिरता रहता है। डर के मारे डाक्टर व कर्मचारी खंडहर बने अस्पताल में बैठने से भी कतराने लगे हैं।

इस दो बेड के अस्पताल के पास तीस हजार आबादी के इलाज का जिम्मा है। निर्माण के समय ही मानक को दरकिनार कर दिया गया था। इसकी गुणवत्ता को लेकर स्थानीय लोगों ने विरोध भी जताया था। बावजूद इसके तत्कालीन बढ़नी पीएचसी प्रभारी एसके कन्नौजिया ने 2011 में अस्पताल को अपने सुपुर्दगी में लिया। एक वर्ष बाद अस्पताल का संचालन शुरू किया गया। दस वर्षों में अस्पताल जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है। हालत ये है कि अस्पताल के डाक्टर, फार्मासिस्ट व कर्मचारी बाहर बरामदे में बैठकर मरीजों का इलाज करने पर मजबूर हो गए हैं। दीवारें कभी भी गिर सकती हैं। दवा वितरण कक्ष, डाक्टर कक्ष, मरीज के बैठने का कमरा, आपरेशन थिएटर आदि जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। पिछले दो सालों इनका कुछ हिस्सा गिर भी रहा है।

इस संबंध में बढ़नी पीएचसी प्रभारी डा. धीरेंन्द्र कुमार चौधरी ने कहा कि अभी मुझे आए कुछ दिन ही हुए हैं। अस्पताल की स्थिति के बारे में सीएमओ को अवगत करा दिया गया है।

chat bot
आपका साथी