यहां खतरे में पड़ गए घड़ियालों के आशियाने, नष्ट हो रहे अंडे व छोटे बच्चे ; जानें- क्या है मामला Gorakhpur News
गंडक नदी में छोड़े गए घड़ियालों की वंश बेल इन दिनों खतरे में है। ऐसा उनके आशियाने की वजह से हो रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन। महराजगंज जिले के गंडक नदी में छोड़े गए घड़ियालों की वंश बेल इन दिनों खतरे में है। नदी तट पर हो रहे अवैध बालू खनन व वन तस्करों की दखल के चलते घड़ियालों के अंडे व छोटे बच्चे नष्ट हो जा रहे हैं। जिले के निचलौल क्षेत्र के सीमा में बहने वाली नारायणी (बड़ी गंडक) नदी के विभिन्न घाटों पर आधिकारिक रूप से भले ही खनन के लिए पट्टा आवंटित न हुआ हो, लेकिन अवैध ठेकेदारों के बालू घाट चालू है के बोर्ड लगे हुए हैं।
बालू खनन से घड़ियालों के अंडों के नष्ट होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसके बावजूद भी जिला प्रशासन व वन विभाग इसके प्रति लापरवाह बना हुआ है।
कब छोड़े गए थे घड़ियाल
नारायणी नदी के पानी की स्वच्छता व सेंचुरी का आच्छादित नारायणी नदी में अक्टूबर 2018 के शुरुआत में कुल 15 (12 मादा व तीन नर) व मार्च 2019 में 40 (32 मादा व आठ नर) घड़ियालों का पुनर्वास कराया गया था। आशा थी कि घड़ियाल यहां अपना कुनबा बढ़ाने में सहायक होंगे। अब इनका कुनबा करीब दो सौ के पार हो चुका है जो नारायणी नदी के लिए शुभ संकेत हैं। इससे नदी का प्रदूषण भी दूर होगा।
घड़ियालों व उनके अंडों की विशेष सुरक्षा सुनिश्चित कराने के लिए वनकर्मियों को निर्देशित किया है। अवैध खनन को बंद कराया जाएगा। शासन की प्राथमिकता भी इनको संरक्षित करने का है। इस क्षेत्र में बेहतर प्रयास किया जा रहा है। धी-धीरे परिणाम भी सामने आएंगे। - पुष्प कुमार, डीएफओ, सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग, महराजगंज