North Eastern Railway: गोरखपुर जंक्शन पर वेटिंग हाल, पार्कों का रखरखाव निजी हाथों में
गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर प्रतीक्षालय और पार्कों का रखरखाव निजी हाथों में होगा। चयनित फर्म को वेटिंग रूम और पार्कों में सभी प्रकार की नागरिक सुविधाओं को दुरुस्त रखना होगा। इसके एवज में उसके पास निर्धारित स्थलों पर विज्ञापन लगाने का अधिकार होगा।
गोरखपुर, जेएनएन। रेलवे स्टेशन की साफ-सफाई के बाद अब प्रतीक्षालय और पार्कों के रखरखाव, स्वच्छता की जिम्मेदारी भी निजी हाथों में होगी। चयनित फर्म को वेटिंग रूम और पार्कों में सभी प्रकार की नागरिक सुविधाओं को दुरुस्त रखना होगा। इसके एवज में उसके पास निर्धारित स्थलों पर विज्ञापन लगाने का अधिकार होगा, जिससे वह अपनी आय कर सकती है। अनुबंध के मुताबिक विज्ञापन से होने वाली आय का एक हिस्सा पहले वह रेलवे प्रशासन को देगा, इसके बाद एजेंसी जितना भी रुपया विज्ञापन से कमा लेगी वह उसकी आय होगी।
सामान्य प्रतीक्षालय की देखरेख का जिम्मा निजी एजेंसी को सौंपा गया, अब एसी लाउंज, पार्क की तैयारी
यह व्यवस्था यूं तो पूर्वोत्तर रेलवे के सभी ए-वन और ए-ग्रेड स्टेशनों पर लागू होनी है, लेकिन पहले चरण में प्रयोग के तौर पर इसकी शुरुआत गोरखपुर जंक्शन से की गई है। इसके तहत सबसे बड़े अति आधुनिक सामान्य प्रतीक्षालय के रखरखाव और सफाई की जिम्मेदारी निजी संस्था को सौंप दी गई है, लेकिन कोरोना के चलते फर्म ने अभी पूरी तरह काम शुरू नहीं किया है।
अब अत्याधुनिक एसी लाउंज और स्टेशन के ठीक सामने 50 हजार वर्ग फिट के पार्क को भी प्राइवेट फर्म को देने की तैयारी चल रही है। लाउंज को सुपुर्द करने से पहले रेलवे वहां मरम्मत करा रहा है। निजी फर्म से अनुबंध की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है।
कर्मचारी संगठनों ने किया विरोध
एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री केएल गुप्त और पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के संयुक्त महामंत्री एके ङ्क्षसह ने कहा कि हमारी यूनियनें इसका विरोध करती हैं। प्रतीक्षालय और पार्क किसी भी हालत में निजी एजेंसियों को नहीं दिए जाने चाहिए। आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष के साथ आयोजित ज्वाइंट कंसल्टेटिव मशीनरी- डिपार्टमेंटल काउंसिल (जेसीएम- डीसी) की वर्चुअल बैठक में निजीकरण और आउटसोर्सिंग का विरोध किया है।
मंडल रेल प्रबंधक लखनऊ के नेतृत्व में एजेंसी से करार हो गया है। एजेंसी निर्धारित स्थान पर विज्ञापन लगा रही है। बदले में रेलवे को लाइसेंस फीस भी दे रही है। इससे यात्रियों को बेहतर सुविधा मिलेगी। पहले यह कार्य रेलवे के खर्च पर एजेंसियों के जरिए होता था। - पंकज कुमार सिंह , मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पूर्वोत्तर रेलवे।