बिजली के कबाड़ से बना लैंप शोपीस बना, रोशनी का इंतजार
सफाईकर्मी और कला शिक्षकों ने मिलकर किया था तैयार लैंप तैयार करने वालों को डीएम और सीडीओ ने किया था सम्मानित
जागरण संवाददाता, बस्ती : जनवरी में पंचायत राज विभाग के सफाईकर्मियों और कला शिक्षकों ने मिलकर बिजली के कबाड़ से इलेक्ट्रिक लैंप तैयार अपशिष्ट प्रबंधन की नायाब मिसाल पेश की थी। दावा था कि इससे विद्युत पोलों पर लगे एलईडी लाइट की तरह रोशनी निकलेगी। हुआ भी वही, लेकिन महज चार दिन बाद यह खराब हो गया। तब से यह इलेक्ट्रिक लैंप शोपीस बनकर रह गया है।
अपशिष्ट प्रबंधन के तहत जनवरी 2021 में बस्ती में यह अभिनव प्रयोग किया गया। तत्कालीन सीडीओ सरनीत कौर ब्रोका की पहल पर पंचायत राज विभाग और बेसिक शिक्षा परिषद के कला वर्ग के शिक्षकों ने मिलकर सड़क किनारे पड़े इलेक्ट्रिक कचरे (विद्युत अपशिष्ट) को एकत्र कर उनका सदुपयोग करने की योजना तैयार की। स्वच्छ भारत मिशन के डीपीसी राजा शेर सिंह, कला एवं शिल्प शिक्षक आलोक शुक्ल के निर्देशन में कुल दर्जन भर कर्मी इसके लिए लगाए गए। अमहट घाट से लेकर गिदही पावर हाउस तक पंचायत राज विभाग के सफाई कर्मचारियों ने विद्युत कबाड़ जैसे टूटे हुए विद्युत तार, इन्सुलेटर, प्लास्टिक की पाइप आदि एकत्र किए। कुल दो क्विंटल इलेक्ट्रिक कचरा एकत्र कर लैंप बनाने का कार्य शुरू हुआ। डीपीसी ने जरूरत की सारी सामग्री उपलब्ध कराई। लैंप तैयार कर उसे 26 जनवरी को कलेक्ट्रेट गेट के सामने पार्क में लगाया गया। दो-चार दिन यह प्रकाशमान रहा मगर बाद में यह खराब हो गया। पार्क में लगे इस लैंप पर प्रतिदिन अधिकारियों की नजर पड़ती है, मगर इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। लैंप तैयार करने वाले कर्मियों को डीएम और सीडीओ ने सम्मानित भी किया था, मगर सम्मानित होने के बाद उनकी भी नजर लैंप पर नहीं गई।
यह सही है कि विद्युत अपशिष्ट से एक बड़ा लैंप तैयार कर उसे कलेक्ट्रेट के सामने पार्क में लगाया गया था। उसके न जलने की जानकारी उन्हें नहीं है। डीपीसी से पता करते हैं कि उसमें क्या खराबी है। जल्द ही इसे ठीक करा दिया जाएगा।
विनय कुमार सिंह, डीपीआरओ