यहां भारत छोड़ो नारे के साथ शहीद हुए थे 11 रणबांकुरे
जेल से छूटने के बाद देशव्यापी भ्रमण पर निकले पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 12 फरवरी 1946 को गोरखपुर में विशाल जनसभा को संबोधित किया।
कुशीनगर, जेएनएन। 1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में कुशीनगर ने अंग्रेजों की चूलें हिलाने का कार्य किया था। ब्रितानिया हुकूमत ने जब गांधी व नेहरू सहित बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया तब इसके विरोध में यहां खड़े जनांदोलन से भयभीत अंग्रेजों ने स्वतंत्रता सेनानियों पर गोलियां बरसाई थीं। इसमें 11 रणबांकुरे शहीद हो गए थे। बड़े नेताओं की गिरफ्तारी से आक्रोशित लोगों ने कप्तानगंज से तरयासुजान तक की रेल लाइन उखाड़ दी थी। 12 व 13 अगस्त को तमकुहीरोड में रेलवे लाइन और टेलीफोन के खंभे उखाड़ दिए गए। इसके बाद 15 अगस्त को पोस्ट आफिस और रेलवे स्टेशन पर आंदोलनकारियों ने तिरंगा फहरा दिया। इससे बौखलाई अंग्रेजों की सरकार ने 16 अगस्त को यहां सेना की एक टुकड़ी तैनात कर दी। दमनात्मक कार्रवाई में सेना ने मंडल कांग्रेस कार्यालय में आग लगा दी तथा संतपट्टी, पिपरा अंगरवा, कतौरा व राजपुर बगहा में तीन दर्जन से अधिक को जला कर राख कर दिया। इस दौरान कुछ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बंदी भी बनाए गए। अंग्रेजों ने सेवरही के खादी भंडार की दुकान को बंद करा दिया। विरोध में कांग्रेस मंडल कार्यालय परिसर में एक विशाल जन सभा करने के बाद, कार्यालय के सामने स्थापित आउटर सिगनल को तोड़ दिया गया, फिर 4000 लोग 23 अगस्त को अंग्रेज हुक्मरानों को सबक सिखाने के लिए चीनी मिल की तरफ चले तो रोकने के लिए अंग्रेजी फौज ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं। आंकड़ों के मुताबिक 16 लोगों को गोलियां लगीं, जिसमें से तीन ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, आठ की मौत इलाज के अभाव में हो गई। इस प्रकार 11 देशप्रेमी शहीद हो गए। ये हुए शहीद 23 अगस्त की गोली कांड में ग्राम गौरी शुक्ल निवासी जतन पुत्र धनराज, ग्राम बिहार निवासी जानकी चौबे, ग्राम बाघाचौर के ठाकुर छापर टोला निवासी रघुवीर पुत्र बिल्लर, ग्राम करवतही अमवाखास निवासी धरीक्षण राय पुत्र देवी शरण राय, ग्राम पचरूखियां शंकर पटखौली निवासी रामानंद पुत्र खुबलाल, ग्राम घघवा जगदीश निवासी लुटावन सिंह पुत्र रामधारी, ग्राम बाघाचौर निवासी मथुरा प्रसाद पुत्र ठाकुर, गौरीश्रीराम के टोला लालगंज निवासी भुइलोट पुत्र नेउर, अमवाखास के टोला बरवापट्टी निवासी फेकू भगत, करवतही निवासी मंगल राय पुत्र राम बरन राय और चौबेया निवासी भोला प्रसाद ने अपने प्राणों की आहुति दी। नेहरू ने किया था शहीद स्मारक का शिलान्यास जेल से छूटने के बाद देशव्यापी भ्रमण पर निकले पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 12 फरवरी 1946 को गोरखपुर में विशाल जनसभा को संबोधित किया। उन्हें जब यह बताया गया कि सेवरही में 1942 के आंदोलन में 11 लोग शहीद हो गए थे तो वे 13 फरवरी 1946 को सेवरही आए। शहीद स्थल का निरीक्षण करने के साथ शहीद स्मारक का शिलान्यास किया। लोकमान्य कालेज के विजिटर्स बुक में उनका हस्ताक्षर है। नेहरू ने कांग्रेस भवन में चटाई पर बैठकर भोजन किया था।