देवरिया में अतिसंवेदनशील नगवां -छपरा तटबंध बदहाल, तटवर्ती ग्रामीण चितित
विभाग ने जहां पर मिट्टी भराई का कार्य कराया था। पानी में बह गया। पहली बारिश में ही इसकी पोल खुल गई। जिससे खतरा लगातार बढ़ रहा है। फिलहाल नदी का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ रहा है। 2017 में बाढ़ आने पर सचौली पटवनियां के समीप जब जल का दबाव बढ़ा था तब ग्रामीणों ने बंधे को तोड़ दिया था तब जाकर किसी तरह गांव तबाही से बच सके थे।
देवरिया : लगातार हो रही बारिश के चलते नदियों में हलचल भी तेज हो गई है। क्षेत्र का अतिसंवेदनशील नगवां- छपरा तटबंध इस बार भी नगवां ,डढि़या,सचौली पटवनियां, भिरवां ,छपरा बुजुर्ग गांव के पास खतरे को दावत दे रहा है।
राप्ती के किनारे विभाग ने तटबंध के बचाव के लिए बोल्डर गिराया है। लेकिन अभी तक काम पूरा नहीं हो सका है। जिसके कारण ग्रामीणों की चिता बढ़ गई है। हाल यह है कि सचौली पटवनियां और नगवां के मध्य नदी के यू टर्न के स्थान पर कटान का खतरा मंडरा रहा है। बंधे को जाने मार्ग पर अभी तक रेनकट नहीं भरे जा सके हैं। डढि़या गांव के समीप नदी का दबाव अधिक रहता है। क्षेत्र के किसानों की 7010 हेक्टेयर भूमि की सुरक्षा का भी भार है।
विभाग ने जहां पर मिट्टी भराई का कार्य कराया था। पानी में बह गया। पहली बारिश में ही इसकी पोल खुल गई। जिससे खतरा लगातार बढ़ रहा है। फिलहाल नदी का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ रहा है। 2017 में बाढ़ आने पर सचौली पटवनियां के समीप जब जल का दबाव बढ़ा था तब ग्रामीणों ने बंधे को तोड़ दिया था तब जाकर किसी तरह गांव तबाही से बच सके थे।
ग्रामीणों की बढ़ी चिता:
तटवर्ती गांव के नागेन्द्र राव ,रामगोविद यादव,जय सिंह,हरिश्चंद्र सिंह, सुनील यादव कहते हैं गांवों को बचाने के लिए तटबंध पर लंबाई में बोल्डर पिचिग कराया जाना चाहिए। पानी धीरे-धीरे बढ़ रहा है। अभी तक मरम्मत का काम पूरा नहीं किया जा सका है। इसकी चिता सता रही है।
दीनदयाल दूबे, सहायक अभियंता
बाढ़ खंड ने बताया कि तटबंध के किनारे संवेदनशील स्थानों पर सात करोड़ सात लाख की लागत से बोल्डर पिचिग कराई गई है । बंधे पर जहां भी कटान स्थल हैं उनपर नजर रखी जा रही है। अभी खतरे जैसी बात नहीं है। बाढ़ चौकियों को सतर्क कर दिया गया है।