सब्जी की खेती को बनाया रोजगार का जरिया

सब्जी की खेती को व्यवसाय बनाकर इसे मुख्य रोजगार का साधन बनाने का काम भनवापुर विकास खंड अंतर्गत बड़हरा गांव निवासी फैसल चौधरी ने किया। इस क्षेत्र में थोड़ी परेशानी आती है बावजूद वह इसे व्यापक रूप करते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 06:40 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 06:40 PM (IST)
सब्जी की खेती को बनाया रोजगार का जरिया
सब्जी की खेती को बनाया रोजगार का जरिया

सिद्धार्थनगर : सब्जी की खेती को व्यवसाय बनाकर इसे मुख्य रोजगार का साधन बनाने का काम भनवापुर विकास खंड अंतर्गत बड़हरा गांव निवासी फैसल चौधरी ने किया। इस क्षेत्र में थोड़ी परेशानी आती है, बावजूद वह इसे व्यापक रूप करते हैं। एक सीजन में प्रति बीघा 40 हजार रुपये खर्च आता है, सब्जी बेचने के बाद खर्च निकालकर 20 हजार रुपये आमदनी हो जाती है।

प्रगतिशील किसान फैसल चौधरी के पहले गेहूं, धान की बोआई करते थे। करीब दस साल पहले सब्जी की खेती करने में रूचि लेनी शुरू की। पहले एक-दो बीघे में हरी सब्जी उगाना शुरू किया, फायदा दिखा तो फिर 10 बीघे में सीजनल सब्जी लौकी, नेनुआ, तरोई, करैला आदि की बोआई करने लगे। इस समय इनके खेतों में हर तरफ हरी सब्जियां दिखाई दे रहीं हैं। इनकी खेती से आसपास के लोगों को ताजी हरी सब्जी मौके पर मिल जाती है। यहां से सब्जी दूसरे क्षेत्रों में भी भेजी जाती है। चूंकि स्थानीय स्तर पर इसे बेचने के लिए सही प्लेटफार्म नहीं मिल रहा है। इसलिए डुमरियागंज, इटवा, उतरौला जैसे क्षेत्र में सब्जियों को बिक्री के लिए भेजना पड़ता है। अगर स्थानीय स्तर पर ये क्षेत्र मंडी के रूप में विकसित हो तो इसे और व्यापक रूप दिया जा सकता है।

फैसल कृषि विज्ञानियों से राय लेकर अच्छी प्रजापति और कीटों से बचाने के उपाय भी विशेष ध्यान देते हैं। वह दूसरे किसानों को भी सब्जी की खेती करने के लिए प्रेरित करते हैं। सब्जी की खेती में होने वाले फायदे को देखते हुए महादेव नंगा, पिपरा, डोकम, चोरथरी, धंधरा आदि गांवों के किसानों में हरिद्वार मौर्य, बवाली मौर्य, घिसियावन, बरसाती, हरि भी हरी सब्जी खेती को अपना मुख्य व्यवसाय बना लिए हैं।

क्या कहते हैं फैसल

करीब 10 बीघे के खेती में एक सीजन के दौरान करीब चार लाख रुपये खर्च आता है। जबकि अगर सब्जी समय से बिक जाती है तो शुद्ध मुनाफा दो लाख रुपये मिल जाता है। आसपास गांवों के बहुत सारे किसान इस क्षेत्र में अपनी रुचि लेने लगे हैं। यदि सरकार स्तर पर किसानों को उनकी सुविधा के हिसाब से सहायता मिल जाए और क्षेत्र बड़ी मंडी के रूप में विकसित हो जाए तो इसे और व्यापक स्तर पर आगे ले जाया जा सकता है।

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