हर तरफ दिख रही वसंत की धमक, घर लौटने लगे परदेसी Gorakhpur News
कुशीनगर जिले में खेतों में सरसों के फूल गेहूं की फसल में निकल रही बालियों के साथ धरती ने धानी चादर ओढ़ रखी है। पेड़-पौधों में पुरानी पत्तियों की जगह नव कोपल निकलने लगे हैं। चारों तरफ वसंत की धमक है। परदेसी भी घर लौटने लगे हैं।
गोरखपुर, जेएनएन : कुशीनगर जिले में खेतों में सरसों के फूल, गेहूं की फसल में निकल रही बालियों के साथ धरती ने धानी चादर ओढ़ रखी है। पेड़-पौधों में पुरानी पत्तियों की जगह नव कोपल निकलने लगे हैं। चारों तरफ वसंत की धमक है। परदेसी भी घर लौटने लगे हैं, अभी से होली का उल्लास दिखने लगा है। चौक-चौराहों की रौनक बढ़ गई है। परिवारों में खुशी के माहौल में होली की तैयारी की चर्चा होने लगी है। रोजगार के सिलसिले में दूसरे शहरों में गए युवाओं की टोली घर लौटने लगी है। कुछ लोग आ गए, कुछ आने की तैयारी में हैं। टेलीफोन पर घर सूचना दे दिए हैं, पत्नी, बच्चे, भाई, बहन, माता-पिता उनकी राह देख रहे हैं।
मित्रों व परिचितों से मिलने-जुलने का चल रहा क्रम
घर लौट आए परदेसियों का मित्रों व परिचितों से मिलने-जुलने का क्रम चलने लगा है। शाम होते ही लोग चौक-चौराहों पर पहुंच जा रहे हैं। पंचायत चुनाव के साथ होली की तैयारी जोर-शोर से हो रही है। बनारस के चांदपुर से लौटे बाबूराम गांव के अखिलेश कहते हैं कि रोजी-रोटी के लिए बाहर जाना मजबूरी है, लेकिन दिल में तो गांव व घर बसा रहता है। पर्व-त्योहार पर घर आकर अपनों संग खुशियां बांटने का मौका मिलता है। जम्मू-कश्मीर से घर लौटे देवगांव के सुगंध मद्धेशिया हो या खजुरिया के रमेश, घर आने की खुशी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी। कहते हैं कि होली के बहाने घर आने पर बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद मिल जाता है। पत्नी-बच्चों, भाई-बहनों से प्यार बांट लेते हैं।
सुनाई देने लगी ढोलक की थाप
वसंत पंचमी को होलिका स्थान के साथ ही गांवों में रात को ढोलक की थाप व मजीरे की झंकार सुनाई देने लगी है। पुरानी पीढ़ी के लोग होली गीतों के माध्यम से युवाओं को अपनी संस्कृति से परिचित करा रहे हैं। खजुरिया गांव के विजयी, पप्पू, रमाकांत आदि अपनी टोली के साथ रात में फाग गीत गाते हैं। कहते हैं कि युवा पीढ़ी दो अर्थी गीतों काे ज्यादा पसंद करते हैं। यही वजह है कि युवा अपनी संस्कृति को भूल रहे हैं।