वासंतिक नवरात्र आज से शुरू, ऐसे करें मां भगवती की आराधना व कलश स्थापना
नवरात्र व हिंदू नववर्ष मंगलवार से शुरू हो गया। इस दिन अमृत नामक औदायिक योग बन रहा है जो उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगा। लोग आज कलश की स्थापना कर मां शक्ति की आराधना शुरू करेंगे। महानिशा पूजा 19 व महाष्टमी व्रत 20 अप्रैल को है।
गोरखपुर, जेएनएन। मां भगवती की आराधना का पर्व वासंतिक नवरात्र मंगलवार से शुरू हो रहा है। देवी मंदिरों ने तय किया है कि कोविड प्रोटोकाल के अनुसार ही श्रद्धालुओं को मां का दर्शन कराया जाएगा। एक साथ पांच लोग ही शारीरिक दूरी के साथ दर्शन कर सकेंगे। सभी को मास्क लगाकर ही आना होगा। मंदिर में प्रवेश करने से पहले उनके हाथ सैनिटाइज कराए जाएंगे।
सुबह छह से रात 8:30 बजे तक की जा सकेगी पूजा
कालीबाड़ी, रेती चौक के महंत रविंद्र दास, गोलघर काली मंदिर के पुजारी श्रवण सैनी व काली मंदिर, दाउदपुर के पुजारी विजय शंकर पांडेय ने बताया कि सरकार के नियमों का पूरा पालन किया जाएगा। मंदिर की साफ-सफाई हो चुकी है। सुबह पूजा-आरती के बाद दर्शन के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। लेकिन कोरोना से बचाव के नियमों का पालन सभी को करना अनिवार्य है। यह खतरनाक बीमारी है जो संपर्क में आने से फैलती है। इसलिए लोगों को दूर-दूर खड़ा कराकर दर्शन कराया जाएगा। सुबह छह से रात 8:30 बजे तक ही श्रद्धालु मां का दर्शन कर सकेंगे।
महानिशा पूजा 19 व महाष्टमी व्रत 20 को
नवरात्र व हिंदू नववर्ष का प्रांरभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात मंगलवार से होगा। इस दिन अमृत नामक औदायिक योग बन रहा है जो उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगा। इसी दिन कलश स्थापना कर मां शक्ति की आराधना शुरू होगी। महानिशा पूजा 19 व महाष्टमी व्रत 20 अप्रैल को है।
ज्योतिषाचार्य पं. नरेंद्र उपाध्याय व पं. शरदचंद्र मिश्र के अनुसार मंगलवार को सूर्योदय 5.43 बजे और प्रतिपदा तिथि सुबह 8.47 बजे तक है। इसी दिन कलश स्थापना की जाएगी। 19 अपैल को सप्तमी तिथि सायं 6.46 बजे तक है, इसके बाद अष्टमी तिथि लग रही है। अर्धरात्रि में अष्टमी मिलने से इसी दिन महानिशा पूजा की जाएगी। 20 अप्रैल को सायं 7.08 बजे तक अष्टमी है, इसके बाद नवमी लग रही है। नवमी से युक्त अष्टमी पुण्यदायी मानी जाती है। इसलिए महाष्टमी व्रत इसी दिन रहा जाएगा। 21 अप्रैल को महानवमी का व्रत है। इस दिन हवन कर व्रत की पूर्णाहुति की जाएगी।
कलश स्थापना के मुहूर्त
सूर्योदय से सुबह 8:47 बजे तक उत्तम, इसी समय तक प्रतिपदा है।
इस समय तक न हो तो सूर्योदय से सूर्यास्त (सायं 6:17 बजे) तक मान्य।
दिन में 11:36 से 12:24 बजे तक अभिजित मुहूर्त।
सुबह 9:18 से 11:31 बजे तक।
सायं 4: 04 से 6:15 बजे तक।
देवी मंदिरों में श्रद्धालु कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए दर्शन करें। मास्क लगाएं और शारीरिक दूरी का पालन करें। एक साथ पांच से अधिक लोग दर्शन न करें। कोरोना की रोकथाम में सहयोग करें। - के. विजयेंद्र पांडियन, डीएम।
इस बार आनलाइन पूजन का भी विकल्प
कोविड के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए वासंतिक नवरात्र की पूजा का स्वरूप भी कई स्थानों पर बदला रहेगा। कई पुरोहितों ने आनलाइन पूजन सम्पन्न कराने का विकल्प श्रद्धालुओं को दिया है। गीता वाटिका में तो वासंतिक नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ आनलाइन कराने की व्यवस्था भी कर ली है।
इस अनुष्ठान को कराने के लिए गीता वाटिका में यजमान की प्रत्यक्ष उपस्थिति नहीं रहेगी, केवल फेसबुक पर दिन में एक बार सीधे प्रसारण की व्यवस्था रहेगी। हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मारक समिति के मंत्री उमेश ङ्क्षसघानिया ने बताया कि ऑनलाइन दुर्गा सप्तशती का पाठ कराने के लिए इच्छुक व्यक्ति को अपना नाम, पता, गोत्र व मोबाइल नंबर एवं समिति के बैंक खाते में 7500 रुपये दक्षिणा स्वरुप जमा कराकर उसकी रशीद वाट्सएप नंबर 9721526810 पर भेजनी होगी। इसके बाद बाद 13 अप्रैल से दुर्गा सप्तशती का पाठ कराया जाएगा। कई युवा पुरोहित भी ऑनलाइन पूजन एवं दुर्गा सप्तशती का पाठ कराने की तैयारी की व्यवस्था में जुट गए है। वह इसपर अपनी कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं।