खुद न बनें डाक्टर वरना नुकसान कर देगी रेमडेसिविर, जानें-किस रोग में होता है प्रयोग Gorakhpur News
मरीज को पहले से किडनी लिवर या अन्य गंभीर बीमारियां हैं तो इस इंजेक्शन के इस्तेमाल से बचा जाता है। मरीज की पूरी स्थिति और पुरानी हिस्ट्री देखकर ही रेमडेसिविर लगाने का निर्णय लिया जाता है। इंजेक्शन लगाने के साथ ही मरीज की मानीटरिंग भी की जाती है।
गोरखपुर, जेएनएन। फेफड़े के संक्रमण को कम करने में इस्तेमाल होने वाली रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए मारामारी मची हुई है। कई लोग तो बिना डाक्टर की सलाह कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट आते ही इसका इस्तेमाल शुरू कर दे रहे हैं। ऐसे लोग यह भी नहीं समझ रहे हैं कि उन्हें इस इंजेक्शन की जरूरत है भी या नहीं है। डाक्टरों का कहना है कि रेमडेसिविर के कुछ मरीजों में बहुत अ'छे असर देखने को मिल रहे हैं लेकिन सभी मरीजों में इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इस इंजेक्शन के साइड इफेक्ट भी हैं।
अस्पताल में भर्ती 20-30 फीसद मरीजों को ही पड़ती है जरूरत
बाबा राघवदास मेडिकल कालेज में टीबी, सांस एवं छाती रोग विभागाध्यक्ष डा. अश्वनी मिश्र कहते हैं कि कोरोना के कारण फेफड़ों में संक्रमण वाले सिर्फ 20-30 फीसद मरीजों में ही रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत होती है। मरीज को पहले से किडनी, लिवर या अन्य गंभीर बीमारियां हैं तो इस इंजेक्शन के इस्तेमाल से बचा जाता है। मरीज की पूरी स्थिति और पुरानी हिस्ट्री देखकर ही रेमडेसिविर लगाने का निर्णय लिया जाता है। इंजेक्शन लगाने के साथ ही मरीज की मानीटरिंग भी की जाती है। जरूरत के अनुसार आगे का डोज लगाने का निर्णय लिया जाता है।
बिना जरूरत न करें इस्तेमाल
सीएमओ डा. सुधाकर पांडेय ने कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता तेजी से बढ़ रही है लेकिन सभी को यह समझना चाहिए कि यह आपातकालीन दवा है। इसका हर किसी में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। फेफड़ों में संक्रमण का स्तर, मरीज की स्थित देखकर ही इसका इस्तेमाल किया जाता है। सभी डाक्टरों को इसकी जानकारी भी दी जा चुकी है। जो लोग बिना डाक्टर की सलाह इस इंजेक्शन का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह गलत कर रहे हैं।