Gorakhpur Fertilizer Factory: काशी के नीम से महकेगी गोरखपुर की यूरिया

Gorakhpur Fertilizer Factory गोरखपुर खाद कारखाने में बनने वाली यूरिया में काशी की भी खुशबू होगी। हिंदुस्‍तान उर्वरक रसायन लिमिटेड इसके लिए खाद कारखाना परिसर में पांच हजार नीम के पौधे लगाएगा। ढाई हजार पौधे लगाए जा चुके हैं। चार वर्ष पुराने यह पौधे काशी से मंगाए गए हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 12:39 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 08:53 PM (IST)
Gorakhpur Fertilizer Factory: काशी के नीम से महकेगी गोरखपुर की यूरिया
गोरखपुर खाद कारखाना में काशी के नीम से यूर‍िया बनेगी। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जितेन्द्र पाण्डेय। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सात दिसंबर को जिस खाद कारखाने का लोकार्पण करेंगे वहां तैयार होने वाली यूरिया में काशी की भी खुशबू होगी। हिंदुस्‍तान उर्वरक रसायन लिमिटेड इसके लिए खाद कारखाना परिसर में पांच हजार नीम के पौधे लगाएगा। ढाई हजार पौधे लगाए जा चुके हैं। चार वर्ष पुराने यह पौधे काशी से मंगाए गए हैं, जो अगले पांच से छह वर्षों में फल देने लगेंगे।

प्रत‍िद‍िन 3850 टन खाद का होगा उत्पादन

गोरखपुर खाद कारखाने में रोजाना करीब 3850 टन खाद का उत्पादन होगा। यूरिया को नीम कोटेड करने के लिए 1750 लीटर नीम आयल की जरूरत होगी। यह नीम आयल बाहर न मंगाना पड़े, इसके लिए ङ्क्षहदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड ने तैयारी शुरू कर दी है। परिसर में ही बड़े पैमाने पर नीम के फलों का उत्पादन होगा जिसके तेल का उपयोग यहां यूरिया बनाने में होगा। परिसर में लग रहे पौधों से फल पाने के लिए बहुत प्रतीक्षा न करनी पड़े, इसके लिए चार से पांच वर्ष पुराने अ'छी गुणवत्ता वाले पौधे मंगाए गए हैं। वन विभाग इन पौधों को परिसर में लगवा रहा है। इसके दो रेंजर, चार वन दारोगा, आठ फारेस्ट गार्ड परिसर में ही कैंप कर रहे हैं। अब तक ढाई हजार पौधे लगाए जा चुके हैं। विभाग का मानना है कि दो दिन के भीतर शेष पौधों को भी लगा दिया जाएगा।

सरकार ने यूरिया की गुणवत्ता को बढ़ाने और इसकी कालाबाजारी रोकने के लिए वर्ष 2015 से संपूर्ण यूरिया उत्पादन को नीम लेपित करने का निर्णय लिया था। नीम को अ'छा कीटनाशक व वैक्टीरिया रोधी भी माना जाता है। इसके इस्तेमाल से फसलों में रोग कम लगते हैं तो कीड़ों का प्रकोप भी कम होता है। आगामी सात दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन करने वाले कारखाना का लोकार्पण करेंगे।

जानिए क्या है नीम कोटेड यूरिया के फायदे

यूरिया की कालाबाजारी नहीं हो पाती है।

इस यूरिया का प्रयोग शराब बनाने में नहीं किया जा सकता है।

खेतों में नीम कोटेड यूरिया के इस्तेमाल से जमीन के नीचे नाइट्रोजन की सतह बन जाती है, जिससे फसल को मिट्टी से लगातार पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।

इससे खेती की लागत घटती है। भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।

खाद परिसर में करीब ढाई हजार नीम के पौधे रोपे जा चुके हैं। शेष पौधों का रोपण भी दो दिन के भीतर पूरा हो जाएगा। इससे बड़े पैमाने पर नीम की फली का उत्पादन होगा। खाद कारखाना के लिए बाहर से तेल मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सबसे बड़ी बात एक साथ पांच हजार नीम के पौधे वातावरण को भी बेहतर रखेंगे। - विकास यादव, डीएफओ गोरखपुर।

खाद कारखाना

20 अप्रैल 1968 को फर्टिलाइजर कारपोरेशन आफ इंडिया (एफसीआइ) के खाद कारखाना का शुभारंभ हुआ था

10 जून 1990 को अमोनिया गैस के रिसाव के कारण खाद कारखाना को बंद करना पड़ा

तत्कालीन सांसद और वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद कारखाना के लिए लंबा संघर्ष किया था

संघर्ष का परिणाम यह रहा कि 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाद कारखाना का शिलान्यास किया

खाद कारखाना के निर्माण पर आठ हजार करोड़ रुपये खर्च हो रहे, रोजाना 3850 टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा।

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