बुजुर्गों की 'अभिभावक' बनेगी पुलिस, घर जाकर पूछेगी- कैसे हैं आप
बुजुर्गों की मदद के लिए पुलिस ने पहल की है। एडीजी दावा शेरपा ने ऐसे बुजुर्गों को चिह्नित कर गश्त के दौरान पुलिस वालों को नियमित रूप से उनका हालचाल लेने का निर्देश दिया है।
गोरखपुर, नवनीत प्रकाश त्रिपाठी। रोजगार की तलाश में बेटे महानगरों का रुख कर लेते हैं। शादी के बाद बेटियां ससुराल चली जाती हैं। बुजुर्ग माता-पिता घर में अकेले रह जाते हैं। उम्र के आखिरी पड़ाव में रोजमर्रा के कामों के लिए भी इन बुजुर्गों को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी दूसरों पर निर्भरता उनकी मजबूरी बन जाती है। ऐसे बुजुर्गों की मदद के लिए पुलिस ने पहल की है। एडीजी दावा शेरपा ने जोन के सभी जिलों में ऐसे बुजुर्गों को चिह्नित कर गश्त के दौरान पुलिस वालों को नियमित रूप से उनका हालचाल लेने का निर्देश दिया है।
इस योजना को तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए एडीजी ने जोन के सभी पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने बुजुर्गों की सूची तैयार करने की बात कही है। गश्त के दौरान पुलिसकर्मी इन बुजुर्गों का हालचाल लेने के साथ ही उनकी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरी करने की भी हर संभव कोशिश करेंगे। पुलिस की छवि सुधारने और अकेले रह रहे बुजुर्गों की मदद करने की सकारात्मक सोच के साथ एडीजी ने यह योजना तैयार की है। पुलिस अधीक्षकों से उन्होंने इस दिशा में किए गए प्रयासों की नियमित रिपोर्ट देने के लिए भी कहा है।
फोन कर भी बुजुर्ग मांग सकते हैं मदद
एडीजी ने अकेले रहने वाले बुजुर्गों को हल्का सिपाही व दारोगा के साथ ही थानेदार तथा उ'चाधिकारियों का मोबाइल नंबर भी नोट कराने का निर्देश दिया है। ताकि मदद की दरकार होने पर वे सीधे पुलिस को फोन कर सकें।
बेटों के उत्पीडऩ करने की शिकायत पर होगी कार्रवाई
बुजुर्ग माता-पिता का उत्पीडऩ करने वाले बेटों की भी अब खैर नहीं होगी। एडीजी ने इस तरह की शिकायत मिलने पर प्राथमिकता से इसका निस्तारण करने का निर्देश दिया है। पुलिस अधीक्षकों को भेजे गए पत्र में एडीजी ने कहा है कि यदि कोई बुजुर्ग, बेटों के उत्पीडऩ करने की शिकायत लेकर आता है तो प्राथमिकता से उसका निस्तारण किया जाय।
माता-पिता की उपेक्षा करने वालों की कराई जाएगी काउंसलिंग
एडीजी ने माता-पिता का उत्पीडऩ या उपेक्षा करने वाले बेटों को बुलाकर काउंसलिंग कराने का निर्देश दिया है। इसके बाद भी यदि उनके रवैये में सुधार नहीं आता है तो माता-पिता की देखभाल करने के लिए उन्हें बाध्य करने की हिदायत दी है। हल्का दारोगा और सिपाहियों को उनके नियमित संपर्क में रहकर हालचाल लेते रहने को कहा है।
एडीजी जोन दावा शेरपा ने कहा कि समाज में तेजी से आए बदलावों की वजह से बुजुर्गों के अकेले रहने या बेटों के उनका उत्पीडऩ का शिकार होने की समस्या गंभीर रूप अख्तियार करती जा रही है। समाज के लिए यह बेहद चिंता की बात है। चूंकी पुलिस भी समाज का अहम हिस्सा, इसलिए इसके समाधान की दिशा में पहल करना हमारी भी जिम्मेदारी है। हालांकि इसका स्थाई और उपयुक्त समाधान समाज ही निकाल सकता है। इसके लिए समाजिक संस्थाओं को आगे आना होगा।