Gorakhpur University: समिति ने बैंक के नोटिस पर उठाया सवाल, बैंक में जमाराशि का तिथिवार दिया ब्योरा

शाखा प्रबंधक को भेजे गए पत्र में समिति के सचिव त्रिभुवन तिवारी ने सहकारी बैंक की ओर से दो बार लिखे गए पत्र में बकाए की अलग-अलग धनराशि दिखाने पर भी सवाल उठाया है। सचिव ने आरोप पर भी आपत्ति जताई है।

By Satish chand shuklaEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 11:45 AM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 11:45 AM (IST)
Gorakhpur University: समिति ने बैंक के नोटिस पर उठाया सवाल, बैंक में जमाराशि का तिथिवार दिया ब्योरा
गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के मुख्‍य द्वार का फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। विश्वविद्यालय की वेतनभोगी सहकारी समिति के माध्यम से शिक्षकों और कर्मचारियों की ऋण बकाया वसूली का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इसे लेकर सहकारी बैंक की ओर से समिति को जारी नोटिस पर उसके सचिव ने सवाल उठाया है। इतना ही नहीं बैंक के इस आरोप को समिति के सचिव ने खारिज किया है कि नोटिस के बाद भी समिति के लोगों ने उनसे संपर्क नहीं साधा।

शाखा प्रबंधक को भेजे गए पत्र में समिति के सचिव त्रिभुवन तिवारी ने सहकारी बैंक की ओर से दो बार लिखे गए पत्र में बकाए की अलग-अलग धनराशि दिखाने पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने बताया है कि बैंक की ओर से जारी पहले पत्र में मूलधन और ब्याज को लेकर सात करोड़ 45 लाख 13 हजार 564 रुपये का बकाया बताया गया है जकि छह जनवरी 2021 को जारी पत्र में यह राशि नौ करोड़ दो लाख 76 हजार कर दी गई है। सचिव ने इस आरोप पर भी आपत्ति जताई है कि 2011 के बाद से समिति ने बैंक में ऋण की कोई भी बकाया राशि नहीं जमा की। सचिव ने इसके जवाब में 2011 से लेकर 2020 तक समिति की ओर से बैंक में जमा की गई चार करोड़ 20 लाख 81 हजार 626 रुपये की जानकारी तिथिवार दी है। इसे लेकर आशंका जताई है कि बैंक द्वारा समस्त धनराशि ब्याज मेंं या केंद्रीय जिम्मेदारी में जमा करा दी गई जबकि वसूली की धनराशि मूलधन और ब्याज में आनुपातिक ढंग से जमा किया जाना चाहिए। बता दें कि सहकारी बैंक ने पिछले माह विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी को एक नोटिस भेजा था, जिसमें 344 शिक्षकों और कर्मचारी की नौ करोड़ दो लाख ऋण बकाया राशि की बात कही गई थी। नोटिस का संज्ञान न लेने पर वेतनभोगी समिति को बीते दिनों कार्यवाही का नोटिस भी बैंक ने दिया था, जिसके जवाब में समिति के सचिव ने बैंक को तथ्यपरक आक्रामक पत्र लिखा है।

बैलेंस सीट के लिए समिति ने मांगा तीन माह का वक्त

विवि वेतनभोगी सहकारी समिति ने बैंक को यह भी बताया है कि कोरोना महामारी और कर्मचारियों को वेतन न मिलने के कारण बैलेंसशीट को बनाने का कार्य अवरुद्ध रहा है। लेकिन बैंक का पत्र प्राप्त होने के बाद इसको तेजी से पूरा किया जा रहा है। बैलेंसशीट को पूरा करने में तीन माह का वक्त लग सकता है, ऐसे में ऋण भुगतान की अद्यतन स्थिति की जानकारी तीन महीने बाद ही दी जा सकती है। बैलेंसशीट बन जाने के बाद ही संस्था के स्तर पर सम्यक प्रयास करके वसूली सुनिश्चित किया जाना संभव हो सकेगा।

chat bot
आपका साथी