UP के सभी विश्वविद्यालयों में अब एक समान पाठ्यक्रम, कुलपतियों की बैठक में हुआ निर्णय Gorakhpur News

समिति की सातवीं व अंतिम बैठक में पूरे प्रदेश से बने पाठ्यक्रमों को अंतिम रूप दे दिया गया। निर्णय के अनुसार प्रत्येक विश्‍वविद्यालय में 70 फीसद पाठ्यक्रम लागू करना अनिवार्य होगा।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Mon, 18 Nov 2019 06:29 PM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 10:22 AM (IST)
UP के सभी विश्वविद्यालयों में अब एक समान पाठ्यक्रम, कुलपतियों की बैठक में हुआ निर्णय Gorakhpur News
UP के सभी विश्वविद्यालयों में अब एक समान पाठ्यक्रम, कुलपतियों की बैठक में हुआ निर्णय Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। अब राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर पर एक समान पाठ्यक्रम होंगे। लंबी कवायद के बाद सोमवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में न्यूनतम समान पाठ्यक्रम निर्धारण समिति की बैठक में अंतत: इस पर मुहर लग गई। तीन दिनों के अंदर समिति शासन को अपनी रिपोर्ट सौंप दे देगी। जिसे शासन सभी विश्वविद्यालयों को भेजकर विवि के स्थानीय निकायों से पारित कराकर लागू कराएगी। जुलाई से शुरू होने वाले आगामी सत्र-2020-21 से राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम लागू हो सकते हैं।

सभी से सहयोग से तैयार हुआ पाठ्यक्रम

विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन स्थित कमेटी हाल में समिति के निर्णयों की जानकारी देते हुए चैयरमैन व सिद्धार्थ विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो.सुरेंद्र दुबे ने बताया कि समिति की सातवीं व अंतिम बैठक में पूरे प्रदेश से बने पाठ्यक्रमों को अंतिम रूप दे दिया गया। निर्णय के अनुसार प्रत्येक विश्‍वविद्यालय में 70 फीसद पाठ्यक्रम लागू करना अनिवार्य होगा। 30 फीसद विश्वविद्यालय स्थानीयता व विशिष्टता के अनुसार संशोधन व परिवर्तन कर सकता है। सभी पाठ्यक्रम डेमोक्रेटिक तरीके से प्रदेश के सभी प्रमुख विश्वविद्यालयों के सहयोग से तैयार किया गया है।

इन्‍होंने तैयार किया पाठ्यक्रम

प्रो.दुबे ने बताया कि गोरखपुर विश्वविद्यालय में कला संकाय व लखनऊ विश्वविद्यालय में विज्ञान संकाय के अधिकांश पाठ्यक्रम बने हैं। इसके अलावा स्थानीय समृद्धि कृषि संकाय व गृह विज्ञान के पाठ्यक्रम भीमराव अंबेडकर विवि आगरा, शिक्षाशास्त्र का बरेली विश्वविद्यालय, प्राचीन इतिहास व राजनीति शास्त्र का पाठ्यक्रम मेरठ विश्वविद्यालय, भौतिकी का पूर्वांचल व लखनऊ विश्वविद्यालय तथा प्रतिरक्षा अध्ययन का पाठ्यक्रम इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने तैयार किया है। सभी मान्यता प्राप्त विषयों का ही यह पाठ्यक्रम बना है। यदि कोई विश्वविद्यालय चाहे तो वह बिना संशोधन के शत-प्रतिशत पाठ्यक्रम अपने यहां लागू कर सकता है। बैठक में प्रमुख रूप से भीमराव अंबेडकर विवि के कुलपति प्रो.अरविंद दीक्षित, लखनऊ विवि के पूर्व प्रति कुलपति प्रो.यूएन द्विवेदी, एमजेपी विवि रुहेलखंउ बरेली के कुलपति प्रो.अनिल शुक्ला, डीडीयू के कुलपति प्रो.वीके सिंह, अपर सचिव उप्र उच्च शिक्षा परिषद आरके चतुर्वेदी तथा स्थानीय सहयोग के निमित्त पूर्व प्रति कुलपति एसके दीक्षित तथा प्रो.राजवंत राव विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में मौजूद रहे।

गोविवि में तैयार हुए हैं सर्वाधिक नौ पाठ्यक्रम

एक समान पाठ्यक्रम के अंतर्गत सर्वाधिक नौ पाठ्यक्रम दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय ने तैयार किए हैं। जबकि आठ लखनऊ विश्वविद्यालय तथा चार पाठ्यक्रम आगरा विश्वविद्यालय ने तैयार किए हैं। अन्य विश्वविद्यालयों ने एक से दो पाठ्यक्रम तैयार किए हैं। एलएलबी का पाठ्यक्रम गोरखपुर विवि ने तैयार किया है।

रोजगारपरक है पाठ्यक्रम

एक समान पाठ्यक्रमों को कौशल विकास कार्यक्रम को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। यानी पाठ्यक्रम को रोजगारपरक बनाया गया है। ताकि छात्र बीए या बीएससी करने के बाद आसानी से रोजगार पा सके। ङ्क्षहदी में प्रयोजनमूलक ङ्क्षहदी जोड़ा गया है। पाठ्यक्रम को बनाने में इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा में भी एक समान पाठ्यक्रम मिले।

स्टूडेंट फ्रेंडली हैं पाठ्यक्रम

सूबे के सभी विश्वविद्यालयों में लागू किया जाने वाला पाठ्यक्रम स्टूडेंट फ्रेंडली है। इसके लागू हो जाने के बाद इंटर विवि स्टूडेंट ट्रांसफर आसानी से हो सकेगा। यानी लखनऊ से बीए प्रथम वर्ष करने के बाद यदि कोई छात्र चाहे थे आगे की पढ़ाई गोरखपुर या मेरठ से विवि से भी कर सकेगा।

ऐसे शुरू हुई कवायद

पाठ्यक्रम को लेकर 6 जुलाई 2017 को पहली बार राजभवन में कुलपति सम्मेलन में इस पर निर्णय लिया गया। जनवरी 2018 में न्यूनतम समान पाठ्यक्रम निर्धारण समिति का गठन हुआ। पहली बैठक 4 अप्रैल 2018 को बुंदेलखंड विवि झांसी में हुई। इसी प्रकार क्रमश: दूसरी बैठक आगरा विवि में, तीसरी बैठक गोरखपुर विवि में, चौथी बैठक बरेली विवि में, पांचवीं बैठक आगरा विवि में हुई। जिसमें सभी पाठ्यक्रम तैयार होकर आ गए थे। 7 नवंबर 19 को छठीं बैठक लखनऊ में हुई। जिसमें विज्ञान विषय के डीन व अध्यक्ष के साथ समिति के सदस्य बैठे। 15 नवंबर तक तैयार पाठ्यक्रम शासन को सौंपा गया। उसी दिन तय हुआ कि 18 नवंबर को समिति की सातवीं व अंतिम बैठक गोरखपुर विवि में होगी।

लिखित 80 व आंतरिक मूल्यांकन 20 फीसद

समिति की बरेली विवि में हुई बैठक में पाठ्यक्रम बनाने वाले सभी विश्वविद्यालयों को आमंत्रित किया गया था। वहां इसका प्रस्तुतिकरण किया गया। समिति के सदस्यों व अन्य प्रतिनिधियों ने इसे देखा तथा यह अनुभव किया गया कि पाठ्यक्रम अच्छा बना है। लेकिन इसमें पैटर्न की एकरूपता जरूरी है। वहीं यह तय हुआ कि लिखित 80 तथा आंतरिक मूल्यांकन 20 फीसद होना चाहिए। बैठक में सभी को इससे संबंधित प्रारूप दे दिया गया। जिसके बाद सभी ने संशोधित कर उसी फार्मेट पर पुन: पाठ्यक्रम में संशोधन किया। कुछ कटेंट भी बदले गए।

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