Panchayat Election: यूपी के इस जिले में बीस हजार मतदानकर्मी नहीं कर पाएंगे मतदान, हाईकोर्ट पहुंचा मामला
एक ही चरण में पूरे जिले में चुनाव होने के कारण मतदान कर्मी स्वयं अपना वोट नहीं दे सकेंगे। इन कार्मिकों को वोट देने की व्यवस्था करने के लिए गोरखपुर के सुभाष चंद्र नायक ने हाईकोर्ट प्रयागराज में जनहित याचिका दायर की है।
गोरखपुर, जेएनएन। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले मतदान कार्मिकों को उनका मताधिकार प्रयोग करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। गोरखपुर जिले में ही इससे 24 हजार कर्मचारी प्रभावित होंगे। अधिकतर कर्मचारी ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े हैं और वहां बेहतर व्यक्ति को चुनने में सभी मतदान करना चाहते हैं लेकिन एक ही चरण में पूरे जिले में चुनाव होने के कारण वो वोट नहीं दे सकेंगे। इन कार्मिकों को वोट देने की व्यवस्था करने के लिए गोरखपुर के सुभाष चंद्र नायक ने हाईकोर्ट प्रयागराज में जनहित याचिका दायर की है।
पोस्टल बैलेट की नहीं है व्यवस्था
लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में ड्यूटी करने वाले मतदान कार्मिकों को प्रशिक्षण के दौरान ही पोस्टल बैलेट के जरिए वोट देने की व्यवस्था की जाती है लेकिन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है। जिले के अधिकारियों ने भी इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। जनहित याचिका दाखिल करने वाले उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के पूर्व संयुक्त मंत्री सुभाष चंद्र नायक ने कहा कि जनहित याचिका में कहा गया है कि मतदान कार्मिकों के ऊपर मतदान संबंधी दायित्व होते हैं।
सभी का मतदाता सूची में नाम भी है। इसलिए राज्य निर्वाचन आयोग वोट देने की व्यवस्था कराए, जिससे मतदान कार्मिकों के संवैधानिक अधिकार का हनन न हो। उन्होंने कहा कि मतदान कार्मिकों के लिए मतदान न कर पाना दुर्भाग्यपूर्ण है। पूरे प्रदेश की बात करें तो लाखों कर्मचारी अपने अधिकार से वंचित हो जाएंगे। नायक ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में छह अप्रैल को सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखा था लेकिन कोई राहत न मिलने पर न्यायालय की शरण ली है।
कर्मचारी संगठन भी उठा रहे सवाल
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद भी मतदान कार्मिकों के मताधिकार को लेकर लड़ाई लड़ रहा है। जिलाध्यक्ष रूपेश कुमार श्रीवास्तव एवं जिला मंत्री अश्विनी कुमार श्रीवास्तव ने इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग में भी बात की है। आश्वासन मिला है लेकिन अभी तक कोई दिशा- निर्देश जारी नहीं हो सका है।