चमकेगा फिराक गोरखपुरी का गांव, बनेगा पर्यटन स्थल
पर्यटन विभाग ने रघुपति सहाय उर्फ फिराक गोरखपुरी से जुड़े गांवों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की तैयारी शुरू कर दी है।
गोरखपुर, (डॉ. राकेश राय)। पर्यटन स्थलों को लेकर संजीदा केंद्र और प्रदेश सरकारों को आखिरकार अदब की दुनिया के सशक्त हस्ताक्षर रघुपति सहाय उर्फ फिराक गोरखपुरी की याद भी आ ही गई। केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने गोरखपुर में फिराक से जुड़े स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की निर्णय लिया है। मंत्रालय की मंशा के मुताबिक क्षेत्रीय पर्यटन विभाग की टीम ने उन स्थलों के सर्वे की तैयारी शुरू कर दी है, जहां-जहां फिराक ने कुछ वक्त गुजारा है।
सर्वे की शुरुआत फिराक के गांव गोला क्षेत्र के बनवारपार से होगी, जहां फिराक के नाम पर उनका एक जर्जर खपरैल का मकान शासन-प्रशासन की बेरुखी की दास्तां कह रहा है। सर्वे का खाका पर्यटन विभाग ने तैयार कर लिया है। सर्वे के बाद फिराक के घर और उस गांव को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इसी क्रम में गोरखपुर शहर में फिराक से जुड़े स्थलों को संजोने की भी पर्यटन विभाग की मंशा है। दरअसल फिराक गोरखपुरी का नाम अदब की दुनिया में चाहे जितनी भी इज्जत के साथ लिया जाता हो पर पैतृक गांव में उनकी यादें दम तोड़ रही हैं। गोला तहसील का बनवारपार गांव, जहां 28 अगस्त 1896 को फिराक ने जन्म लिया, वहां उनका पैतृक आवास खंडहर में तब्दील हो गया है। उसके संरक्षण की अब कोई सरकारी या गैर सरकारी कोशिश होती नहीं दिखी है। अगर हुई भी तो इतने बेमन से कि अंजाम तक पहुंचने से पहले ही ठंडे बस्ते में चली गई। अगर इसके लिए एक छोटा सा प्रयास कोई कर रहा है तो वह हैं डॉ. छोटे लाल यादव, जिन्होंने फिराक के नाम पर गांव में ही एक छोटा सा पुस्तकालय स्थापित कर रखा है। संसाधनों के अभाव में ग्रामीणों के सहयोग से चल रहे इस पुस्तकालय में महज 100 पुस्तकें हैं। इसके लिए उन्होंने 2012 से फिराक सेवा संस्थान नाम की संस्था भी बना रखी है लेकिन यह संस्था भी संसाधनों के अभाव में फिराक की यादों को सहेजने में कई बार खुद को अक्षम पाती है। अब जबकि केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय का ध्यान फिराक से जुड़े स्थलों पर गया है तो उम्मीद की एक किरण सभी को नजर आने लगी है।
सपा सरकार में प्रस्ताव तक सिमट कर रह गया था प्रयास
सन् 2012 में फिराक सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. छोटे लाल यादव की मांग पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गांव में कम्युनिटी सेंटर के निर्माण का न केवल आश्वासन दिया बल्कि जल्द से इस कार्य को पूरा कराने का लोक निर्माण विभाग को निर्देश भी दिया। निर्देश के बाद इसके लिए विभाग ने मौके का सर्वे कराया और 61 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा लेकिन यह प्रकरण प्रस्ताव तक ही सिमट कर रहा गया। इसके अलावा पर्यटन विभाग ने भी फिराक के पैतृक आवास को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का आश्वासन दिया लेकिन वह भी आश्वासन से आगे नहीं बढ़ सका।
शीघ्र होगा सर्वे
गोरखपुर के क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रवींद्र कुमार मिश्रा ने कहा कि केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय की मंशा के मुताबिक प्रदेश के महानिदेशक पर्यटन के निर्देश पर फिराक से जुड़े स्थलों को चिन्हित करने का कार्य शुरू कर दिया गया है। सबसे पहले जल्द ही उनके गांव बनवारपार का सर्वे करके आख्या तैयार की जाएगी और उसे महानिदेशालय को भेजा जाएगा। उसके बाद अन्य स्थलों के बारे में जानकारी हासिल कर उनकी भी आख्या तैयार की जाएगी।