Top Gorakhpur News Of The Day, 28 March 2020 : Gorakhpur Lockdown update : प्रधानमंत्री राहत कोष में एक दिन का वेतन देंगे पूर्वोत्‍तर रेलवे 50 हजार रेलकर्मी

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By Satish ShuklaEdited By: Publish:Sat, 28 Mar 2020 08:23 PM (IST) Updated:Sun, 29 Mar 2020 08:18 AM (IST)
Top Gorakhpur News Of The Day, 28 March 2020 : Gorakhpur Lockdown update : प्रधानमंत्री राहत कोष में एक दिन का वेतन देंगे पूर्वोत्‍तर रेलवे 50 हजार रेलकर्मी
Top Gorakhpur News Of The Day, 28 March 2020 : Gorakhpur Lockdown update : प्रधानमंत्री राहत कोष में एक दिन का वेतन देंगे पूर्वोत्‍तर रेलवे 50 हजार रेलकर्मी

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस की महामारी के कारण उपजे संकट की घड़ी में रेलकर्मियों ने प्रधानमंत्री राहत कोष में एक दिन का वेतन देने का निर्णय लिया है। इसमें पूर्वोत्तर रेलवे के लगभग 50 हजार रेलकर्मी भी शामिल हैं। लाकडाउन के चलते पैर से दिव्यांग एक  व्यक्ति तो साइकिल से ही दिल्ली से सिद्धार्थनगर जिले के बांसी कस्‍बे तक की दूरी तय करते हुए अपने घर पहुंच गया। नाप दिया। दिल्‍ली से सिद्धार्थनगर तक 675 किलोमीटर की दूरी तय करने में उसे कुल चार दिन लगे। पड़ोसी प्रांत बिहार के गोपालगंज निवासी सुनील कुमार, सिवान जनपद के मैरवा निवासी विवेक खरवार व श्रीराम गोड़ गाजियाबाद में एक कंपनी में काम करते थे। तीनों गाजियाबाद से पैदल ही अपने घर के लिए चल दिए। वे शनिवार को देवरिया पहुंचे। उधर, कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए जहां लोगों को अपने घरों में रहने को प्रेरित किया जा रहा हैं, वहीं कुछ योद्धा अपनी जान जोखिम में डाल लोगों की सेवा में जुटे हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऐसे योद्धाओं को देखा जा सकता है, जो अपने उस संकल्प को सार्थक करने में जुटे हुए हैं, जिसे उन्होंने अपने अध्ययन के दौरान लिया था। 21 दिनों का लॉकडाउन (संपूर्ण बंदी) सफल रहे इसलिए हर कोई खुद को माहौल के अनुसार ढालने में लगा है। इसमें घरों में रहने वाले बुजुर्ग भी अहम योगदान दे रहे हैं। उन्होंने ठान लिया है कि हर हाल में लॉकडाउन रहने तक वह अपने घरों अथवा कैंपस से बाहर नहीं निकलेंगे। इसमें कहीं उनकी सेहत बाधक न बने, इसलिए उन्होंने सुबह का टहलना बंद नहीं किया है। बाहर की बजाय वह अब अपने घरों व कैंपस में ही टहल कर समय काट रहे हैं।

प्रधानमंत्री राहत कोष में एक दिन का वेतन देंगे 50 हजार रेलकर्मी

कोरोना वायरस की महामारी के कारण उपजे संकट की घड़ी में रेलकर्मियों ने प्रधानमंत्री राहत कोष में एक दिन का वेतन देने का निर्णय लिया है। इसमें पूर्वोत्तर रेलवे के लगभग 50 हजार रेलकर्मी भी शामिल हैं।

लॉकडाउन में भी मालगाडिय़ों का संचलन चालू है। ट्रैक पर दबाव कम है और रेल प्रशासन इस मौके का ठीक से नियोजन करने में जुटा हुआ है। इस क्रम में पटरियों के कील-कांटे दुरुस्त किए जा रहे हैं। ताकि मालगाडिय़ां ही नहीं लॉकडाउन के बाद यात्री ट्रेनों का संचलन भी पूरी तरह ठीक रहे।  मालगाडिय़ों के संचलन के लिए रेल लाइनों पर सुपरवाइजर, गैंगमैन और कीमैन मुस्तैद हैं। रेल ब्रिज (पुल), स्टेशनों के यार्ड में स्थित प्वाइंट क्रासिंग तथा कर्व (घुमावदार रेल लाइन) पर स्लीपर और रेल लाइनों को जोडऩे वाले नट-बोल्ट की आयलिंग, ग्रिसिंग की जा रही है। ग्रिसिंग का कार्य नट-बोल्ट और रेल लाइन को जंग से सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। इनके अलावा रेल लाइनों पर फैले कंकरीट भी सही किए जा रहे हैं। लाइनों पर जहां पहले से कुछ तकनीकी खामी थी, उसे प्राथमिकता के तहत दुरुस्त किया जा रहा है। ये सभी कार्य पहले भी होते रहे हैं लेकिन दबाव कम होने से कार्य बेहतर करने में आसानी हो रही है। एनई रेलवे के पीआरओ पंकज कुमार सिंह का कहना है क‍ि वर्तमान स्थिति में संरक्षा को और बेहतर बनाने के लिए समय सारिणी से रेल लाइनों पर मरम्मत कार्य कराया जा रहा है। नट-बोल्ट की आयलिंग और ग्रिसिंग हो रही है ताकि उनका क्षरण न हो। गर्मी बढ़ रही है।

इस परिस्थिति में गैंगमैन और कीमैन की पेट्रोलिंग शुरू करा दी गई है। संबंधित रेलकर्मियों की नियमित काउंसिलिंग कराई जा रही है। लॉकडाउन के दौरान रेल लाइनों पर भी शारीरिक दूरी (फिजिकल डिस्टेंस) लागू है। पटरियों पर कार्य करने वाले गैंगमैन एक मीटर की दूरी बनाकर ही मरम्मत का कार्य कर रहे हैं। इतनी सतर्कता के बाद भी कार्य से लौटने के बाद उनका थर्मल स्कैनिंग कराया जा रहा है। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार संरक्षा को और बेहतर बनाने के लिए रेल लाइनों पर नियमित कार्य चल रहा है। गैंगमैन को निर्देशित किया गया है कि वे फिजिकल डिस्टेंस बनाकर ही कार्य करें। उनके लिए ग्लब्स, मास्क और सैनिटाइजर की भी व्यवस्था सुनिश्चित कराई गई है। रेलवे के संबंधित अधिकारी स्वयं रेल लाइनों पर पहुंचकर गैंगमैन, प्वाइंटमैन और कीमैन का मनोबल बढ़ा रहे हैं।

दिल्‍ली में भूखों मरने से अच्‍छा है साइकिल से घर चलें

कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी से निपटने के लिए पूरा देश लॉक डाउन की स्थिति से गुजर रहा है। प्रदेशों की सीमाएं सील हैं। यातायात के सभी साधन बंद हैं। ऐसे में दिल्ली, मुंबई सहित अन्य प्रदेशों में रहने वाले अपने गांव जैसे-तैसे लौट रहे हैं। पैर से दिव्यांग एक  व्यक्ति तो साइकिल से ही दिल्ली से सिद्धार्थनगर जिले के बांसी कस्‍बे तक की दूरी तय करते हुए अपने घर पहुंच गया। नाप दिया। दिल्‍ली से सिद्धार्थनगर तक 675 किलोमीटर की दूरी तय करने में उसे कुल चार दिन लगे। शनिवार सुबह करीब आठ बजे उक्त दिव्यांग जब बांसी पहुंचा तो रोडवेज चौराहे पर पुलिस की निगाह उस पर पड़ गई। पूछताछ में उसने अपना नाम 40 वर्षीय दिलीप कुमार राजभर निवासी गोल्हौरा थाना क्षेत्र के ग्राम बेलवा बाबा बताया। वह दिल्ली के करोल बाग में रहकर 10 वर्ष से कबाड़ी का काम करता है। उसने बताया कि लॉक डाउन की घोषणा के बाद से दिल्ली में राशन तक मुहैया नहीं हो पा रहा है। भूखों मरने से बेहतर घर आना उचित समझा। पहले साधन से आने के लिए इधर उधर भटकता रहा। जब कहीं से कोई साधन नहीं मिला तो साइकिल से ही चल दिया। उसने बताया कि वह 23 मार्च की शाम को करोल बाग स्थित अपने क्वाटर से निकला। रास्ते मे एक जगह एक दिन केवल भोजन मिला । रात दिन साइकिल चलाते व पानी पीते यहां तक शनिवार की सुबह पहुंचा हूं। दिव्यांग दिलीप पसीने से तर बतर था। कोतवाली के उपनिरीक्षक रविकांत मणि, अजय सिंह व आरक्षी रमाकांत यादव, जय सिंह चौरसिया ने उसे आराम से बैठाया । पानी पिलाया व एक फल की दुकान को खुलवा कर उसे केला व सेब खिलाया। इसके बाद रोडवेज चौराहे पर लगी स्वास्थ्य टीम से उसकी जांच करा उसे घर जाने दिया। पुलिस ने उसे समझाया कि घर पहुंच कर दरवाजे पर ही अपने सारे कपड़ों को उतार देना और उसे गर्म पानी कराकर उसमें डाल देना। खुद भी इसके बाद साबुन लगा कर नहा लेना फिर घर के अंदर जाना। पर इसका भी ध्यान देना की परिवार के सदस्यों से 14 दिन तक दूरी बनाकर रहना। हेल्पलाइन नंबर देते कहा कि किसी समस्या पर फोन से सूचित करना। दिव्यांग ने बताया कि कुछ खाने-पीने के सामान वह साथ ले लिया था। जब अपने पास का सामान समाप्त हो गया तो रास्ते में सीतापुर से पहले एक छोटी दुकान पर रोटी चावल सब्जी ग्रहण किया। रात में 12 बजे तक साइकिल चलाता रहता और फिर कहीं किसी दुकान की बेंच पर सो जाता अलस्‍सुबह फिर मुंह हाथ धोकर चल देता।

ट्रेन व बस सेवा बंद हुई तो गाजियाबाद से बिहार के लिए पैदल चल दिए मजदूर

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते सर्वाधिक परेशान अगर कोई दिख रहा है तो वह है मजदूर वर्ग है। कहीं ठेका तो कहीं कंपनी बंद हो गई। ऐसे में मजदूरी करने वाले लोग अपने घर को निकल पड़े, बस व रेल सेवा बंद होने के चलते मजदूरों ने अपने घरों तक पहुंचने के लिए पैदल ही चलना मुनासिब समझा। स्थिति यह है कि पैदल अपने घरों को जा रहे लोगों को कहीं पर किसी दिन भोजन मिल रहा है और किसी दिन बिना भोजन के ही भूखे पेट रास्ते की दूरी तय करनी पड़ रही है। पैरों में छाले तो आंखों में नींद न पूरा करने तथा चेहरे पर थकान सीधे दिख रहा है। पड़ोसी प्रांत बिहार के गोपालगंज निवासी सुनील कुमार, सिवान जनपद के मैरवा निवासी विवेक खरवार व श्रीराम गोड़ गाजियाबाद में एक कंपनी में काम करते थे। घर की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ ही बच्चों को अच्छी परवरिश देने की इच्छा थी । सुनील, विवेक व श्रीराम गाजियाबाद से पैदल ही अपने घर के लिए चल दिए। शनिवार को देवरिया पहुंचे। सभी को भोजन कराया गया। उनका कहना है कि कहीं-कहीं लोग वाहन पर भी बैठा दे रहे हैं। बाकी तो फिर पैदल ही चलना पड़ रहा है। एक रात को तो भोजन तक नहीं मिला। हम लोगों को भूखे पेट ही पैदल चलना पड़ रहा है।

बीआरडी में डरने नहीं लडऩे के फार्मूले पर काम कर रहे डाक्‍ट

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए जहां लोगों को अपने घरों में रहने को प्रेरित किया जा रहा हैं, वहीं कुछ योद्धा अपनी जान जोखिम में डाल लोगों की सेवा में जुटे हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऐसे योद्धाओं को देखा जा सकता है, जो अपने उस संकल्प को सार्थक करने में जुटे हुए हैं, जिसे उन्होंने अपने अध्ययन के दौरान लिया था।
डॉक्टर हों या पैरा मेडिकल स्टॉफ, सभी उन गंभीर मरीजों की सेवा में जुटे हुए हैं, जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल या फिर अन्य निजी अस्पतालों से रेफर होकर आए हुए हैं। उनका यह समर्पण सभी को यह संदेश दे रहा है कि हम कोरोना के खिलाफ छिड़ी जंग को जीत कर रहेंगे।
मरीजों के इलाज में दिन-रात एक किए हुए कालेज के सर्जरी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अभिषेक जीना ने बताया कि पढ़ाई के दौरान चिकित्सकों को संकल्प दिलाया जाता है कि किसी भी परिस्थिति में मरीज का हित सर्वोपरि होता है। मेडिकल कॉलेज एक उच्च चिकित्सा केंद्र है और यहां ज्यादातर मरीज रेफर होकर आते हैं। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। हम उसी जिम्मेदारी का निर्वहन इस कठिन परिस्थिति में बिना इस भय के कर रहे हैं कि हमें भी कोरोना का संक्रमण हो सकता है।
मरीज की जान बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है। कॉलेज के कोरोना वार्ड में स्टाफ नर्स के तौर पर सेवा दे रही कल्पना यादव का कहना है कि अगर हम ही मरीज से दूरी बनाने लगेंगे तो फिर उनकी सेवा कौन करेगा। पैरा मेडिकल स्टाफ का मरीज से दूर रहना कर्तव्य से दूर भागना है। वार्ड की दूसरी नर्स रंजना राय ने कहा कि इलाज के दौरान हम पूरी सतर्कता बरत रहे हैं और कोरोना को लेकर मरीजों को सतर्क कर रहे हैं।
यह हमारी और मरीज दोनों की परीक्षा का दौर है। इस परीक्षा में हम ही फेल हो जाएंगे तो मरीज को पास होने में मदन नहीं कर सकेंगे। माइक्रोबायोलॉजी विभाग में कार्यरत सिद्धार्थ राय का कहना है कि कर्तव्य पहले है। हम बीमारी से डरने नहीं बल्कि लडऩे के फार्मूले पर कार्य करते हैं। लडऩे के दौरान एहतियात जरूरत बरत रहे हैं।

अभियान सफल रहे, हम तो बालकनी व घर में भी टहल लेंगे

21 दिनों का लॉकडाउन (संपूर्ण बंदी) सफल रहे इसलिए हर कोई खुद को माहौल के अनुसार ढालने में लगा है। इसमें घरों में रहने वाले बुजुर्ग भी अहम योगदान दे रहे हैं। उन्होंने ठान लिया है कि हर हाल में लॉकडाउन रहने तक वह अपने घरों अथवा कैंपस से बाहर नहीं निकलेंगे। इसमें कहीं उनकी सेहत बाधक न बने, इसलिए उन्होंने सुबह का टहलना बंद नहीं किया है। बाहर की बजाय वह अब अपने घरों व कैंपस में ही टहल कर समय काट रहे हैं।

शहर के गोरखधाम इंक्लेव में 63 परिवार रहते हैं। इनमें रहने वाले बुजुर्गों की संख्या 100 से अधिक है। पहले दिन कुछ परेशानी अवश्य हुई, पर सोमवार से यहां के बुजुर्गों ने खुद की एक निश्चित दिनचर्या बना रखी है। इंक्लेव में रहने वाली गायत्री देवी व उनके पति रामगोपाल खेमका,  रामनिवास सहित तमाम बुजुर्ग सुबह-शाम अपार्टमेंट के गलियारे, बालकनी, कैंपस आदि में टहल रहे हैं। इसके बाद वहीं परिसर में ही लोग थोड़ी बहुत कसरत भी कर ले रहें हैं।

अपार्टमेंट में इनकी बड़ी संख्या होने के बावजूद इनकी वहां भीड़ नहीं दिखती। इसकी प्रमुख वजह है कि सभी कैंपस के विभिन्न क्षेत्रों में विचरण करते हैं। बाहर निकलने का समय अलग है। इसके अलावा वह एक दूसरे से दूरी बनाकर भी चल रहे हैं। दोपहर में प्रत्येक घर में भागवत गीता का पाठ हो रहा है। अपार्टमेंट में रहने वाले कपिल श्रीवास्तव कहते हैं कि गोरखधाम अपार्टमेंट इस समय अपने नाम को चरितार्थ कर रहा है। यही स्थिति श्रीजी अपार्टमेंट व बसंत इंक्लेव की भी है।

श्रीजी अपार्टमेंट रहने वाले दीपक जायसवाल का कहना है कि यहां रहने वाले बुजुर्गों को देखकर बच्चे भी योगा आदि तरीकों से खुद को फिट रखने का प्रयास कर रहे हैं। राजेन्द्र इंक्लेव की अदिति ने दादा को कैंपस टहलता देख खुद भी टहलना शुरू किया है। अपार्टमेंट में रहने वाले बुजुर्ग अपने साथ-साथ दूसरों को भी सचेत कर रहे हैं। वह फोन पर अपने परिचितों को संदेश दे रहे हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर लोग पूरी सावधानी अपनाएं। लोग एक दूसरे से दूरी बनाकर रहें। स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें। बाहर न निकलें। हाथों को कई बार साबुन से धुलें।

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