फर्जीवाड़ा रोकने के लिए विकास प्राधिकरणों में पंजीकृत आर्किटेक्ट को कराना होगा सत्यापन
गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) सहित प्रदेश के दो प्राधिकरणों में मानचित्र पास कराने में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद पंजीकृत आर्किटेक्टों का सत्यापन कराने का निर्णय लिया गया है। मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक ने आर्किटेक्ट एसोसिएशन के साथ वर्चुअल बैठक में इस बात की जानकारी दी।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) सहित प्रदेश के दो प्राधिकरणों में मानचित्र पास कराने में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद पंजीकृत आर्किटेक्टों का सत्यापन कराने का निर्णय लिया गया है। मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक अनूप श्रीवास्तव ने आर्किटेक्ट एसोसिएशन के साथ वर्चुअल बैठक में इस बात की जानकारी दी कि 15 दिनों के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। विकास प्राधिकरण अपने यहां पंजीकृत आर्किटेक्ट के सत्यापन की समय सीमा निर्धारित करेंगे। इस समय सीमा के भीतर नो योर कस्टमर (केवाइसी) के लिए जरूरी दस्तावेजों के आधार पर सत्यापन कराना होगा। जो सत्यापन नहीं कराएगा, उसका पंजीकरण निरस्त कर दिया जाएगा।
दो विकास प्राधिकरणों में मानचित्र को लेकर फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद बनी व्यवस्था
जीडीए के साथ ही मेरठ विकास प्राधिकरण में भी आर्किटेक्ट की आइडी एवं फर्जी हस्ताक्षर से मानचित्र दाखिल किए गए और पास भी करा लिए गए। जीडीए में लखनऊ के आर्किटेक्ट के नाम से फर्जीवाड़ा किया गया। मामला संज्ञान में आने के बाद आर्किटेक्ट एसोसिएशन ने इस संबंध में आपत्ति जताते हुए इस तरह से पास मानचित्र निरस्त करने एवं डिजिटल सिग्नेचर की व्यवस्था लागू करने की मांग की थी।
आवाज उठने के बाद प्रमुख सचिव आवास के निर्देश पर मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक ने वर्चुअल बैठक की और डिजिटल सिग्नेचर की व्यवस्था लागू करने के लिए सैद्धांतिक सहमति बनने की जानकारी दी। 15 दिन बाद इस संंबंध में आदेश जारी हो सकता है। यह व्यवस्था लागू होने से पहले सभी पंजीकृत आर्किटेक्ट का सत्यापन होगा।
विकास प्राधिकरणों की ओर से निर्धारित समय सीमा में सत्यापन न कराने पर निरस्त होगा पंजीकरण
सत्यापन के अभाव में जिसका पंजीकरण निरस्त होगा, उसे नए सिरे से पंजीकरण कराना होगा। जीडीए में करीब 50 आर्किटेक्ट एवं इंजीनियर पंजीकृत हैं। इसके बाद डिजिटल सिग्नेचर की व्यवस्था लागू की जाएगी। उत्तर प्रदेश आर्किटेक्ट एसोसिएशन के संयुक्त सचिव मनीष मिश्रा का कहना है कि मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक की ओर से सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। इससे फर्जीवाड़े को रोकने में मदद मिलेगी।
फर्जीवाड़ा रोकने के लिए आनलाइन मानचित्र दाखिल करने के लिए विकसित पोर्टल आनलाइन बिल्डिंग प्लान अप्रूवल सिस्टम (ओबीपीएएस) को भी पूरी तरह से सुरक्षित बनाया जाएगा। सत्यापन का कार्य पूरा करने के बाद पोर्टल को काउंसिल आफ आर्किटेक्चर की साइट से लिंक भी किया जाएगा।