गोरखपुर के हजारों अवैध निर्माण पर लगेगी वैध होने की मुहर, जीडीए तैयार कर रहा प्रस्ताव

गोरखपुर में हजारों अवैध निर्माण वैध होंगे। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) महायोजना 2031 में प्रस्ताव शामिल करने जा रहा है। उम्मीद है कि महायोजना का पहला प्रजेंटेशन करीब 15 दिनों के भीतर हो जाएगा। महायोजना में यह प्रस्ताव पास होने से हजारों लोगों को फायदा होगा।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 02 Jul 2021 08:30 AM (IST) Updated:Fri, 02 Jul 2021 06:07 PM (IST)
गोरखपुर के हजारों अवैध निर्माण पर लगेगी वैध होने की मुहर, जीडीए तैयार कर रहा प्रस्ताव
जीडीए गोरखपुर में अवैध निर्माण करने वालेे लोगों को बड़ी राहत देने जा रहा है। - प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (GDA) के सामने विनियमितीकरण एक बड़ी समस्या है। करीब 17 सौ एकड़ क्षेत्रफल में प्राधिकरण मानचित्र पास नहीं करता है। कई लोगों ने यहां मकान बनवा लिए हैं लेकिन मानचित्र पास न होने के कारण उनके निर्माण अवैध की श्रेणी में आता है।

महायोजना 2031 में शामिल प्रस्ताव प्रस्ताव

पिछली महायोजना में हुई इस गलती को सुधार कर विनियमितीकरण की समस्या का हल निकालने के लिए महायोजना 2031 में प्रस्ताव शामिल किया जाएगा। उम्मीद है कि महायोजना का पहला प्रजेंटेशन करीब 15 दिनों के भीतर हो जाएगा। जीडीए के इस प्रस्ताव के बाद गोरखपुर में अवैध रूप से बने हजारों मकान वैध हो जाएंगे।

यह है मामला

शहर का बड़ा हिस्सा विनियमितीकरण के दायरे में आता है। यहां के मानचित्र विनियमितीकरण की प्रत्याशा में स्वीकृत नहीं किए जाते हैं। निर्माण कराने के लिए लोग प्राधिकरण में मानचित्र दाखिल जरूर करते हैं लेकिन उनके मानचित्र स्वीकार नहीं किए जाते। जैसे-तैसे निर्माण हो जाता है लेकिन उनपर वैध की मुहर नहीं लग पाती और भवन स्वामियों के मन में संशय बना रहता है। महायोजना 2031 से लोगों को उम्मीद है कि इस समस्या का भी समाधान कर दिया जाएगा लेकिन कुछ दिन पहले तक कोई ठोस संकेत नहीं मिल पाए थे। विनियमितीकरण के दायरे में रखे गए भूखंडों का कोई भू उपयोग भी नहीं निर्धारित है। ऐसे में इस महायोजना में पहले भू उपयोग निर्धारित करने का काम किया जाएगा।

लोगों के मन में इस बात को लेकर भी संशय है कि यदि विनियमित क्षेत्र में मानचित्र पास किए जाएंगे तो पहले से बन चुके आवास या व्यावसायिक भवनों का क्या भविष्य होगा? इनपर कोई अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा या अवैध मानकर ध्वस्त किया जाएगा, यह बात भी अभी स्पष्ट नहीं हो पा रही। पर, प्राधिकरण पहले तो भू उपयोग निर्धारित करना चाहता है। यदि भू उपयोग अपग्रेड होता है यानी आवासीय से व्यावसायिक किया जाता है तो व्यावसायिक भवनों के लिए कुछ अतिरिक्त शुल्क लगाया भी जा सकता है। आवासीय भू उपयोग होने पर आवासीय भवनों के लिए अतिरिक्त शुल्क के भार से राहत मिल सकती है। इसपर अंतिम फैसला जीडीए बोर्ड ही करेगा।

जीडीए को भी हो रहा नुकसान

विनियमितीकरण से लोगों को तो नुकसान है ही, जीडीए को भी आर्थिक नुकसान हो रहा है। बड़े पैमाने पर हुए निर्माण के मानचित्र पास हुए होते तो काफी राजस्व मिला होता। पर, मानचित्र स्वीकार न करने से राजस्व नहीं मिल पाता और आवास का निर्माण भी हो जाता है। यदि इस समस्या का हल निकाला गया तो प्राधिकरण को भी काफी फायदा होगा।

आपत्ति का मिलेगा समय

महायोजना 2031 का ड्राफ्ट तैयार होने के बाद लोगों को आपत्ति करने का मौका मिलेगा। रियल इस्टेट से जुड़े लोगों की मानें तो महायोजना जीडीए बोर्ड एवं शासन से पास कराने के बाद आपत्ति के लिए सार्वजनिक किया जाता है। कुछ आपत्तियों को स्वीकार कर बदलाव होने की संभावना भी रहती है।

महायोजना 2031 को तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है। कोविड के कारण इसमें कुछ देर हुई है। इस बार प्रयास है कि विनियमितीकरण की समस्या का हल निकाल लिया जाए। इसके लिए प्रस्ताव महायोजना में शामिल किया जाएगा। इसका पहला प्रजेंटेशन अगले दो सप्ताह में होने की उम्मीद है। - आशीष कुमार, उपाध्यक्ष, जीडीए।

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