खुद असुरक्षित हैं दूसरों की सुरक्षा करने वाले
दरक रहीं आरक्षी आवासों की दीवारें छत भी जर्जर छह दशक पूर्व कोतवाली के पीछे बनवाए गए थे आवास
जागरण संवाददाता, बस्ती : लोगों की सुरक्षा करने वाली पुलिस खुद ही असुरक्षित है। कोतवाली के पीछे बने इनके आवासों की हालत बेहद दयनीय है। भवनों की दीवारें दरकने लगी हैं। छत भी जर्जर हो चुकी है। इसी असुरक्षा के बीच रहना उनकी मजबूरी बन गई है।
कोतवाली में तैनात पुलिसकर्मियों के रहने के लिए छह दशक पूर्व दो मंजिला आवास का निर्माण कराया गया था। नियमित मरम्मत न होने से यह जर्जर होते गए। कुल 116 जर्जर आवास में कोतवाली के साथ ही स्वाट, एसओजी टीम के आरक्षी जैसे तैसे परिवार के साथ रहते है। दीवारें, छत तो जर्जर हैं ही, सीढि़यों की ईंट भी घिस चुकी है। इतना ही नहीं जर्जर आवासों के छज्जों को बांस बल्ली लगाकर रोका गया है। आरक्षियों और उनके परिवार को हमेशा हादसे की आशंका सताती रहती है। बरसात के मौसम में तो उन्हें रात को नींद तक नहीं आती।
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कोतवाली में तैनात पुलिस कर्मी
प्रभारी निरीक्षक -1
उप निरीक्षक- 22
कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल-108 जुलाई 2019 में गिरा था जर्जर आवास का छज्जा
जर्जर आरक्षी आवासों में से एक का छज्जा जुलाई 2019 बारिश के दौरान रात में गिर गया था। उसके नीचे खड़े एक सिपाही दिनेश गौतम की बाइक क्षतिग्रस्त हो गई थी। संयोग अच्छा था हादसे में किसी को चोट नहीं आई, मगर पुलिस कर्मी बरसात भर दहशत में रहे। कोतवाली के आरक्षियों को रहने के लिए बैरकों का निर्माण कराया जा रहा है। इनमें 64 आरक्षियों के रहने की व्यवस्था होगी। इसके अलावा कुछ और आवास बनवाए जाने हैं। जल्द ही जर्जर आवास से आरक्षियों को मुक्ति मिल जाएगी। आशीष श्रीवास्तव, एसपी, बस्ती