गोरखपुर का यह गांव बताएगा आय का तरीका, निर्वतमान प्रधान ने लखनऊ में जाकर दी जानकारी

गोरखपुर में इस तरह के 34 गांव हैं लेकिन उनमें सबसे बेहतर माडल होने के कारण जंगल दीर्घन सिंह के प्रतिनिधियों को प्रस्तुतीकरण का मौका दिया गया था। चूंकि यही एक ऐसा गांव हैं जो गांव की आय को बढ़ाने के नए तरीके विकसित किया है।

By Satish chand shuklaEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 02:53 PM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 02:53 PM (IST)
गोरखपुर का यह गांव बताएगा आय का तरीका, निर्वतमान प्रधान ने लखनऊ में जाकर दी जानकारी
गांव के आय के साधन के रूप में विवाह घर का फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। जिले के पिपरौली ब्लाक स्थित गांव जंगल दीर्घन सिंह के विकास के माडल से पूरे प्रदेश के गांव सीखेंगे। यहां की पंचायत ने अपनी व्यवस्था से आय अर्जित करने का रास्ता खोजा है और उसी से छोटी-छोटी जरूरतें भी पूरी हो रही हैं। गांव के निवर्तमान प्रधान विवेक शाही ने दीन दयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान लखनऊ में आयोजित कार्यशाला में अपने गांव के आय के माडल को प्रस्तुत किया। इस दौरान ग्राम पंचायत सचिव राकेश तिवारी भी मौजूद रहे।

माडल प्रस्‍तुत करने के लिए बुलाया था लखनऊ में

लखनऊ में प्रदेश के पांच जिलों के एक-एक गांवों के प्रतिनिधियों को उनके यहां विकसित आय माडल को प्रस्तुत करने के लिए बुलाया गया था। गोरखपुर में यह मौका जंगल दीर्घन सिंह को मिला था। स्वयं आय अर्जित करने के कारण ही गांवों के विकास के लिए परफार्मेंस ग्रांट के रूप में अतिरिक्त बजट दिया गया था। गोरखपुर में इस तरह के 34 गांव हैं लेकिन उनमें सबसे बेहतर माडल होने के कारण जंगल दीर्घन सिंह के प्रतिनिधियों को प्रस्तुतीकरण का मौका दिया गया था। चूंकि यही एक ऐसा गांव हैं जो गांव की आय को बढ़ाने के नए तरीके विकसित किया है। इसका पूरा श्रेय निवर्तमान प्रधान को जाता है। उन्‍होंने बताया भी गांव के आय को कैसे बढ़ाया जा सकता है।

विवाह घर आय का प्रमुख जरिया

निवर्तमान प्रधान ने बताया कि कार्यशाला में उन्होंने बताया कि उनके गांव में विवाह घर आय का प्रमुख जरिया है। इसी तरह सहज जन सेवा केंद्र से आनलाइन सुविधाएं उपलब्ध कराकर भी आय अर्जित की जाती है। बाहर की तुलना में गांव के लोगों को यहां सस्ते दर पर सुविधा मिल जाती है। इसी तरह पोखरे  का पट्टा देकर भी आय अर्जित की जाती है। पंचायत की ओर से पीने के शुद्ध पानी के लिए वाटर एटीएम भी लगाया गया है। इन माध्यमों से मिलने वाली धनराशि को ग्राम पंचायत के खाते में जमा कराया जाता है और उसका सदुपयोग किया जाता है। 

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