इस यूनिवर्सिटी ने आक्सीजन की मानिटरिंग के लिए तैयार किया आडिट एप, जानिए कैसे करेगा काम Gorakhpur News
शासन के निर्देश पर प्रशासन की मांग के मुताबिक आक्सीजन आडिट के लिए मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने एप तैयार कर लिया है। विवि प्रशासन ने इसे मंडल प्रशासन को सौंप दिया। एप मिलते ही प्रशासन ने इसका संचालन भी शुरू कर दिया।
गोरखपुर, जेएनएन : शासन के निर्देश पर प्रशासन की मांग के मुताबिक आक्सीजन आडिट के लिए मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने एप तैयार कर लिया है। विवि प्रशासन ने इसे मंडल प्रशासन को सौंप दिया। एप मिलते ही प्रशासन ने इसका संचालन भी शुरू कर दिया। इस एप के माध्यम से प्रशासन को आक्सीजन की कालाबाजारी रोकने में सफलता तो मिलेगी ही, अस्पतालों को उनकी जरूरत के मुताबिक आक्सीजन भी उपलब्ध कराया जा सकेगा।
आक्सीजन पहुंचाने की त्रिस्तरीय व्यवस्था
आक्सीजन की मांग, आपूर्ति और खपत की जानकारी रखने और उत्पादन केंद्र से लेकर अस्पताल तक बिना किसी कालाबाजारी के आक्सीजन पहुंचाने के लिए एप में विश्वविद्यालय की विशेषज्ञ टीम ने त्रिस्तरीय व्यवस्था की है। टीम के नेतृत्वकर्ता प्रो. गोविंद पांडेय ने बताया कि बताया कि एप में प्रशासन की सुविधा के लिए तीन फार्मेट दिए गए हैं। पहले फार्मेट में बिक्री और खरीद पर निगारी के फीचर्स रखे गए हैं। दूसरा फार्मेट आक्सीजन की परिवहन व्यवस्था की मानिटरिंग के लिए बनाया गया है। तीसरा फार्मेट मांग, खपत और आपूर्ति में संतुलन बनाने रखने वाला है। यानी उत्पादन केंद्र से उपभोक्ता तक बिना किसी व्यवधान के आक्सीजन पहुंचाने में यह एप मदद करेगा।
अस्पतालों को दिया गया एप का लागिन और पासवर्ड
उत्पादन केंद्र से लेकर अस्पतालों तक में आक्सीजन की अद्यतन जानकारी एप में समय-समय से अपलोड की जा सके, इसके लिए अस्पतालों को एप का लागिन और पासवर्ड दे दिया गया है। शाम सात बजे इसे अपलोड करने का समय भी प्रशासन द्वारा निर्धारित कर दिया गया है। इसे लेकर कोई लापरवाही न हो और सभी अस्पताल सही-सही अद्यतन जानकारी अपलोड करते रहें, इसकी मानिटरिंग के लिए नोडल अफसर तय किए गए हैं। यह एप गोरखपुर मंडल के सभी जिलों (देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज और गोरखपुर) के लिए बनाया गया है। इसके दायरे में सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को रखा गया है।
आक्सीजन कम होने पर जलेगी लाल लाइट
अस्पतालों तक सही समय पर आक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके, इसके लिए सभी सरकारी और निजी अस्पतालों की जरूरत को आडिट एप के खपत वाले फार्मेट में अपलोड किया गया है। उसमें यह भी व्यवस्था की गई है कि यदि किसी अस्पताल में 18 घंटे से अधिक के लिए आक्सीजन की व्यवस्था तो उसके नाम के आगे हरी लाइट जले। 18 से कम और छह घंटे से अधिक की व्यवस्था हो तो पीली और छह घंटे से कम की व्यवस्था हो तो लाल लाइट जले। तीन घंटे से भी कम का आक्सीजन अगर किसी अस्पताल में होगा तो लाल लाइट ब्लिंक करने लगेगी। ऐसा होने पर प्रशासन द्वारा उस अस्पताल में तत्काल आक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चत की जाएगी।
फुलप्रूफ एप तैयार कर सौंप दिया गया प्रशासन को
एमएमएमयूटी के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने कहा कि आक्सीजन की मांग, खपत और आपूर्ति की मानिटरिंग करने और कालाबाजारी रोकने के लिए विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने एक फुलप्रूफ एप तैयार करके प्रशासन को सौंप दिया है। एप के संचालन के दौरान यदि किसी अन्य जरूरी फीचर की जरूरत पड़ेगी तो उस विकल्प की भी एप में व्यवस्था कराई जाएगी।
शुरू कर दिया गया है एप का इस्तेमाल
आक्सीजन आडिट के नोडल अधिकारी अपर आयुक्त (न्यायिक) रतिभान ने कहा कि एमएमएमयूटी द्वारा बनाए गए आक्सीजन आडिट एप का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है। एप के माध्यम से हर अस्पताल को उसकी जरूरत पर आक्सीजन उपलब्ध कराया जाएगा। पूरी कोशिश होगी कि अब किसी जरूरतमंद को आक्सीजन की वजह से इलाज में दिक्कत न आए।