बारिश की वजह से इस बार होगा पशु चारे का संकट

कुशीनगर में अतिवृष्टि के चलते इस बार पशुपालकों के समक्ष अपने पशुओं को जिंदा रखने का संकट खड़ा हो गया है गेहूं का भूसा जहां उनकी खरीद क्षमता से बाहर हो गया है वहीं जलभराव की वजह से धान का पुआल भी नष्ट होने के कगार पर पहुंच गया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 11:39 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 11:39 PM (IST)
बारिश की वजह से इस बार होगा पशु चारे का संकट
बारिश की वजह से इस बार होगा पशु चारे का संकट

कुशीनगर : इस साल बारिश की मार किसानों के साथ-साथ मवेशियों को भी झेलनी पड़ेगी। जलभराव की वजह से खेतों में पुआल सड़ जाएगा। कुछ किसान केवल धान की बालियां काटकर अनाज निकालने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में चारे की व्यवस्था करने में पशुपालकों को दिक्कत झेलनी पड़ेगी।

सिगहा गांव के ज्ञानेंद्र शाही के पास पांच मवेशी हैं। बताया कि मौसम के कहर से मवेशियों के चारे का संकट खड़ा हो गया है। गेहूं का भूसा इस समय नौ सौ रुपये क्विंटल बिक रहा है। घर तक लाने में ग्यारह सौ रुपये पड़ जा रहा है। धान के सीजन में पुआल से कुछ राहत मिल जाती थी। मृत्युंजय त्रिपाठी ने बताया कि इस साल प्रकृति की बेरुखी से धान भी चौपट हो गया और पशुओं का चारा भी, गन्ने की पत्तियां भी सूख गई हैं। मठिया धीर गांव के पशुपालक सुरेंद्र प्रसाद गोपाल ने कहा कि अधिक बारिश की वजह से नुकसान ज्यादा हुआ है। खेत से पुआल निकल नहीं रहा है, गन्ना भी सूख गया है। मवेशियों को पर्याप्त चारा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। कठिनहिया गांव के भूलन पटेल ने बताया कि उनके पास 11 मवेशी हैं। अतिवृष्टि से धान व गन्ने की फसल नष्ट हो गई है। भूसा भी नहीं है, पशु चारे के लिए परेशान होना पड़ रहा है। रामअवध यादव, श्यामलाल यादव आदि भी चारा की समस्या को लेकर चितित हैं। पशु पालकों का कहना है कि यदि पशुओं का चारा नहीं मिला तो उन्हें विवश होकर औने-पौने दाम पर अपने पशुओं को बेच देना पड़ेगा। पशुओं को बांध कर भूख रखने से तो बेहतर है उन्हें बेच दिया जाए।

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