कोरोना से बचाव में सहायक है यूपी में पैदा होने वाला यह चावल, नेशनल रिसर्च सेंटर ने भी लगाई मुहर

यूपी के कई जिलों पैदा होने वाला कालानमक चावल कोरोना से बचाव में सहायक है। हैदराबाद स्थित नेशनल रिसर्च सेंटर ने भी इस पर मुहर लगा दी है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 10 Jul 2020 09:50 AM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 03:04 PM (IST)
कोरोना से बचाव में सहायक है यूपी में पैदा होने वाला यह चावल, नेशनल रिसर्च सेंटर ने भी लगाई मुहर
कोरोना से बचाव में सहायक है यूपी में पैदा होने वाला यह चावल, नेशनल रिसर्च सेंटर ने भी लगाई मुहर

सिद्धार्थनगर, जेएनएन। कोरोना से बचाव की जंग में कालानमक चावल रामबाण साबित होगा। शरीर की प्रतिरोधात्मक क्षमता को बढ़ाने में यह सहयोग प्रदान करेगा। विश्व के सभी राष्ट्र दवा की खोज में जुटे हैं। अभी तक कोई कारगर दवा नहीं मिल सकी है। लेकिन एक निष्कर्ष पर सभी एक राय है कि बचाव का एकमात्र उपाय है कि स्वस्थ रहें। शरीर की प्रतिरोधात्मक क्षमता अगर दुरुस्त रहेगी तो यह वायरस असर नहीं करेगा। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में लौह, जस्ता, प्रोटीन और विटामिन का विशेष महत्व है। भोजन में इनकी मात्रा होनी चाहिए। जांच में साबित हो चुका है कि कालानमक चावल में यह तत्व मौजूद है। कालानमक चावल का सेवन करने से शरीर को जरूरी तत्व मिलते हैं। जांच में भी यह सामने आया है। कृषि वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र सोनहा डा. एसके मिश्रा ने बताया कि कालानमक धान की अधिकांश खेती जिले के शोहरतगढ़ व नौगढ़ तहसील के कुछ हिस्सों में किसान करते हैं। यह कपिलवस्तु से सटा इलाका है। इसे मेटुका क्षेत्र भी कहते हैं। यहा ताल व पोखरों की संख्या अधिक है। भूमि व पानी से आवश्यक तत्व मिलते रहते हैं। यहां पैदा होने वाले धान सुगंधित होते है।

इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में सहायक

हैदराबाद स्थित नेशनल रिसर्च सेंटर में कालानमक चावल की जांच हुई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि 100 ग्राम कालानमक में 4.96 ग्राम फाइबर, 10.04 ग्राम प्रोटीन, 68.13 ग्राम कार्बोहाइड्रेट मौजूद है। यह तत्व इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। फाइबर भोजन पचाने में सहायता करता है। पेट संबंधित रोग से भी बचाव करता है। शरीर के भीतर पाचनतंत्र को मजबूत बनाते हुए दूषित पदार्थ को दूर करता है। कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक है। रक्त में शुगर की मात्रा को भी नियंत्रित करता है। प्रोटीन से मासपेशियों को मजबूती मिलती है। हृदय व फेफड़ों के साथ ऊतकों को स्वस्थ रखने में सहायक है।

शरीर से टॉक्सिन (जहरीला रसायन) को बाहर निकालने में सहायता प्रदान करता है। कार्बोहाइड्रेट से दैनिक कार्यो के लिये आवश्यक ऊर्जा मिलती है। लौह और जस्ता से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। प्रचुर मात्रा में खून भी बनता है। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग तथा अखिल भारतीय धान उन्नयन योजना के कई केंद्रों में भी धान की जांच हो चुकी है। कालानमक में अन्य प्रजाति के चावल के सापेक्ष सर्वाधिक लौह, पा्रेटीन और जस्ता की मात्रा है। निम्न 51.2 फीसद ग्लाइसेमिक है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने के कारण इसको मधुमेह रोगी भी खा सकते है। एमाइलोज मात्र 20 फीसद होने से चावल पकने के बाद अगर ठंडा भी हो गया तो मुलायम और स्वादिष्ट बना रहता है।

कोरोना से बचाव के लिए शरीर की प्रतिरोधात्मक क्षमता को बढ़ाना आवश्यक है। भोजन में आवश्यक तत्वों का प्रयोग किया जाना चाहिए। पूर्व में हुए जांच में सामने आया है कालानमक चावल में यह तत्व मौजूद है। इस संबंध में शासन को अवगत कराया जा रहा है। कालानमक चावल कोरोना संक्रमण से बचाव में सहयोगी साबित होगा। - दीपक मीणा, जिलाधिकारी।

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