अपराधियों की मददगार बन रही है पुलिस की यह लापरवाही Gorakhpur News
आपराधिक मामलों की विवेचना में पुलिस द्वारा बरती जा रही लापरवाही अपराधियों की मददगार बन रही है।
गोरखपुर, जेएनएन। केस-एक : झगहा इलाके में गौरीघाट के पास 24 मई को खोराबार के रामनगर कडज़हां निवासी दिवाकर निषाद और उसके चचेरे भाई कृष्णा निषाद की हत्या की गई थी। खोराबार क्षेत्र के रमलखना निवासी राणा प्रताप का नाम मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर सामने आया था। उस पर 10 हजार का इनाम भी था। जब उसकी गिरफ्तारी हुई, तो पुलिस ने रिमांड के लिए दाखिल कागजात में हत्या का उल्लेख ही नहीं किया, जिसकी वजह से उसे एक सप्ताह के अंदर जमानत मिल गई। इस मामले में पुलिस पर धन उगाही करने का आरोप लगे थे।
केस - दो : बेलीपार इलाके में स्थित मधुबन होटल से धन उगाही कर ओवरलोड ट्रकों को पास कराने के रैकेट का एसटीएफ ने इस साल 24 जनवरी को पर्दाफाश किया था। मधुबन होटल के मालिक सहित रैकेट से जुड़े छह आरोपितों की गिरफ्तारी हुई थी। 16 जिलों के आरटीओ विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता पाई गई थी। एसटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में उन अधिकारियों, कर्मचारियों का उल्लेख भी किया था। फिलहाल मामले की तफ्तीश एसआइटी लखनऊ कर रही है। समय से चार्जशीट दाखिल न होने की वजह से गिरफ्तार आरोपित जमानत पर छूट गए। नेटवर्क से जुड़े आरटीओ विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की अभी तक गिरफ्तारी भी नहीं हो पाई है।
खास कार्यशैली की वजह से पुलिस के हिस्से बदनामी ही अधिक आती है। पुलिस पर धन उगाही का आरोप तो आम बात है। इस आरोप पर हर कोई सहज ही भरोसा भी कर लेता है, क्योंकि पुलिस की कार्यशैली कई बार अपराधियों और दबंगों के लिए मददगार साबित होती है। परेशान और मजबूर व्यक्ति को न्याय नहीं मिल पाता। विवेचना में कमियों और पुलिस की लापरवाही का लाभ लेकर अपराधी और दबंग बच निकलते हैं।
यह आम धारणा है कि जानबूझ कर पुलिस वाले ऐसी गुंजाइश छोड़ देते हैं, जिसका लाभ बाद में अपराधियों को मिलता है। दिए गए दोनों उदाहरण पुलिस के जानबूझकर गलतियां करने की ठोस गवाही दे रहे हैं।
गिरफ्तारी में भी लापरवाही
फरार चल रहे अपराधियों की गिरफ्तारी में भी पुलिस की लापरवाही सामने आती रहती है। झगहा क्षेत्र के सुगहा गांव निवासी राघवेंद्र यादव पर दो साल पहले एक लाख रुपये का इनाम घोषित हुआ था, लेकिन अभी तक उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। छह जनवरी 2016 को उसने अपने गांव के सेवानिवृत्त दारोगा जय सिंह के भाई बलवंत और बेटे कौशल की हत्या कर दी थी। उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी। दो साल फरार रहने के बाद 10 अपै्रल 2018 को उसने कचहरी से तारीख देखकर लौट रहे सेवानिवृत्त दारोगा जय सिंह और उनके बेटे नागेंद्र को भी मौत के घाट उतार दिया था।
विवेचना में हर तरह की सावधानी बरती जाती है। उच्चाधिकारी इस पर नजर भी रखते हैं। किसी तरह की लापरवाही सामने आने पर संबंधित पुलिसकर्मी के विरुद्ध कार्रवाई भी की जाती है। - डा. सुनील गुप्त, एसएसपी
गोरखपुर के एक लाख के इनामी अपराधी
राघवेन्द्र यादव
प्रदीप सिंह
पिपरौली ब्लाप्रमुख सुधीर सिंह
विनोद उपाध्याय
अयोध्या जायसवाल
रविन्द्र ढाढ़ी (22 नवम्बर को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। लिहाजा अब उसका नाम निकाला जाएगा)
बलिराम तिवारी
हरिकृष्ण मिश्रा
मनीष साहनी
मुजम्मिल उर्फ बाबू शेख
2019 में बनी इस सूची की कानपुर की घटना के बाद समीक्षा करने का निर्देश दिया गया है।