ये हैं गोरखपुर की सुनीता पटेल जिन्हें अपनी बीमारी की परवाह नहीं, कर रहीं मरीजों की मदद
मरीजों को अस्पतालों में बेड दिलाने से लेकर उन्हें उचित परामर्श देती हैं। इस दौरान वह बीमार हो गईं लेकिन उन्हें अपनी बीमारी की परवाह नहीं हैं देर रात तक फोन पर उपलब्ध रहती हैं और मरीजों की मदद कर रही हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। संकट के समय में स्वास्थ्य कर्मियों ने मिसाल पेश की है। अगले मोर्चे पर कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं उप जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सुनीता पटेल। इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर में वह स्वास्थ्य विभाग की ओर से नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। मरीजों को अस्पतालों में बेड दिलाने से लेकर उन्हें उचित परामर्श देती हैं। इस दौरान वह बीमार हो गईं, लेकिन उन्हें अपनी बीमारी की परवाह नहीं हैं, देर रात तक फोन पर उपलब्ध रहती हैं और मरीजों की मदद कर रही हैं।
सुनीता बताती हैं कि मुझे 22 अप्रैल को शरीर मे थकान महसूस हुई। पहले तो मुझे लगा अत्यधिक काम व मानसिक तनाव की वजह से यह हो सकता है। चूंकि कोविड कमांड सेंटर में लगातार फोन आ रहे हैं। मरीजों को भर्ती कराने और अस्पतालों मेें फोन कर बेड की उपलब्धता सुनिश्चित कराना चुनौती बना हुआ है। लगातार मरीजों से बात कर उनकी हालचाल पूछनी पड़ती है। बहुत से मरीज घबराए हुए हैं। ऐसे में उनका मनोबल बढ़ाने के लिए बार-बार फोन करना पड़ता है। रैपिड रेस्पांस टीम उनके घर भेजनी होती है। सुबह से लेकर रात 10 बजे तक बिल्कुल फुर्सत नहीं मिलती। ऐसे में खान-पान प्रभावित होना लाजिमी है। इस वजह से संभव है कि तबीयत खराब हुई हो। लेकिन मुझे अपनी चिंता नहीं है। चार मरीजों को भी भर्ती करा देने पर जो सुकून मिलता है, उसे बयां नहीं किया जा सकता।
कमजोर दिल से भी हरा दिया कोरोना को
बासगांव के लालू सिंह ने कमजोर दिल के बाद भी मजबूत इच्छाशक्ति से अपनी पत्नी के साथ कोरोना को हराया। सांस लेने में दिक्कत हुई तो अनुलोम-विलोम किया और पेट के बल सोए। 12 दिन में ही रिपोर्ट निगेटिव आ गई। लालू सिंह बताते हैं कि उनके हार्ट की सर्जरी हो चुकी है। तीन स्टेंट पड़े हैं। दिल सिर्फ 30 फीसद काम करता है। पिछले महीने की शुरुआत में हल्का बुखार आया, शरीर में दर्द के साथ कमजोरी महसूस हुई तो डाक्टर से सलाह लेने पहुंचा। जांच में कोरोना पाजिटिव आया तो खुद को कमरे में आइसोलेट कर लिया। इस बीच पूरे परिवार की कोरोना की जांच कराई तो पत्नी सुधा सिंह की रिपोर्ट भी पाजिटिव आयी। पत्नी सांस की मरीज हैं इसलिए उनका ध्यान रखना ज्यादा जरूरी था। पाजिटिव आने के दूसरे दिन पत्नी को दिक्कत ज्यादा हुई और आक्सीजन का स्तर कम होने लगा तो तो अनुलोम विलोम कराया। पेट के नीचे तकिया रखकर लेटे। इससे आक्सीजन का स्तर 99 तक पहुंच गया। कोविड प्रोटोकाल से जुड़ी दवाओं का नियमित सेवन, भाप लेना, गलाला करना, काढ़ा पीना अपने दिनचर्या में शामिल कर लिया। लालू सिंह कहते हैं कि कोरोना संक्रमण होने से डर तो लगता है लेकिन इच्छा शक्ति और आत्मविश्वास से किसी डर को दूर किया जा सकता है। दिल और शुगर के मरीज कोरोना संक्रमण होते ही डरने लगते हैं। इसी डर के कारण न तो दवा काम करती है और न ही अन्य उपाय। जो घबराएगा नहीं वह हर हाल में कोरोना को हराएगा। बस सकारात्मक सोच और दृढ़ विश्वास रखिए कि हमको ठीक होना है।