ये गोरखपुर एम्स है, यहां आते ही नहीं मिलेगा उपचार, करिए घंटों इंतजार

बेहतर और समय पर इलाज की मंशा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के दरवाजे पर दुश्वारियों के बोझ तले दबी जा रही है। एम्स में ओपीडी शुरू करने के ढाई साल बाद भी दूर-दराज से आए मरीजों को राहत देने वाली व्यवस्था नहीं दे पाया।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 02 Oct 2021 04:45 PM (IST) Updated:Sat, 02 Oct 2021 04:45 PM (IST)
ये गोरखपुर एम्स है, यहां आते ही नहीं मिलेगा उपचार, करिए घंटों इंतजार
एम्स में दिखाने के लिए बच्चे को टांग कर ले जाती महिला। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : बेहतर और समय पर इलाज की मंशा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के दरवाजे पर दुश्वारियों के बोझ तले दबी जा रही है। बेहतर और समयबद्ध स्वास्थ्य सुविधाओं की पहचान वाला एम्स गोरखपुर में वाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) शुरू करने के ढाई साल बाद भी दूर-दराज से आए मरीजों को राहत देने वाली व्यवस्था नहीं दे पाया। गोरखपुर-बस्ती मंडल के अलावा बिहार के सीमावर्ती जिले एवं नेपाल से आने वाले एक से डेढ़ हजार मरीजों की बेहतर और अच्छे इलाज की उम्मीद लाइनों में फंसकर दम तोड़ जा रही है। मरीजों को लाइन में लगने से बचाने के लिए एम्स अभी तक आनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था नहीं कर पाया है।

24 फरवरी,2019 को शुरू हुई थी एम्स में ओपीडी

गोरखपुर एम्स में 24 फरवरी 2019 को ओपीडी शुरू हुई थी। कोरोना काल से पहले हो या बाद, यहां रोज 25 से 27 सौ मरीज आते हैैं। जबकि इलाज हजार या 12 सौ मरीजों को ही मिल पा रहा है। बाकी वापस कर दिए जा रहे हैैं। अपने मरीज को दिखाने के लिए तीमारदार देर रात से ही लाइन लगा देते हैं, इसके बाद हर सुबह पांच-छह घंटे तक धूप और बारिश में मरीज के साथ एक गेट से दूसरे गेट तक दौड़ने को मजबूर होते हैैं। कई बार उन्हें गार्डों का दुर्व्यवहार भी झेलना पड़ता है। बुधवार और गुरुवार को भी सैकड़ों मरीजों को लौटना पड़ा था। बारिश के चलते संख्या कम थी, इसलिए सभी को देख लिया गया, लेकिन लाइन लगाने की झंझट से छुटकारा नहीं मिला।

आनलाइन रजिस्ट्रेशन होता तो नहीं झेलनी पड़ती परेशानी

चर्म रोग विभाग में दिखाने आए बिहार के 55 वर्षीय मिथिलेश बताते हैैं कि सुबह छह बजे लाइन में लगे, नौ बजे घुस पाए। बुखार वाले काउंटर पर इतनी लंबी लाइन थी कि 12 बजे पर्चा काउंटर पर पहुंच पाए। आनलाइन रजिस्ट्रेशन होता तो यह परेशानी नहीं झेलनी पड़ती। सुबह चार बजे से लाइन में लगी देवरिया की 56 वर्षीय लालमती आठ बजे अंदर घुस गईं। कहती हैैं, इतनी जगह लाइन लगी कि चार घंटे में रजिस्ट्रेशन हो पाया। फिर सर्जन को दिखा पाए।

12 बज गए तो वापसी तय

एम्स में रजिस्ट्रेशन और पर्चा काउंटर सुबह आठ बजे खुल जाता है। मरीजों की फ्लू हेल्प डेस्क पर जांच होती है। तापमान अधिक मिलने पर कोविड जांच होती है। ये दोनों लाइनें काफी लंबी होती हैं। इनमें लगने वाले मरीज 12 बजे तक पर्चा काउंटर पर पहुंच पाते हैैं। तब तक भीड़ बढ़ चुकी होती है। एक बजे के बाद पर्चा बनाना बंद कर मरीज वापस कर दिए जाते हैैं। अगर ओपीडी फुल हो गई तो 12 बजे ही संबंधित विभाग का पर्चा बनना बंद हो जाता है। इस समय मेडिसिन विभाग में 200, हड्डी रोग में 150, चर्म रोग में 130, नेत्र रोग में 100, नाक-कान-गला रोग में 90 व दंत रोग विभाग में 50 पर्चे बन रहे हैैं। बाकी को वापस लौटना पड़ता है।

कई बार हो चुका है हंगामा

घंटों लाइन में लगकर नंबर लेने और बिना देखे वापस करने के फेर में एम्स के गेट पर कई बार हंगामा भी हो चुका है। एक सिंतबर को तो मरीजों ने काफी नारेबाजी की थी। सुबह छह बजे से लाइन में लगे मरीजों को कोरोना जांच कराते हुए पौने एक बज गया। फिर उन्हें बताया गया कि आज इलाज नहीं हो पाएगा। हंगामा देखकर अधिकारियों ने एक सप्ताह बाद का समय देकर सबको शांत किया था।

सुबह आठ बजे खुल जाता है पर्चा व रजिस्ट्रेशन काउंटर

एम्स के मीडिया प्रभारी डा. शशांक ने कहा कि ओपीडी, पर्चा व रजिस्ट्रेशन काउंटर सुबह आठ बजे खुल जाता है। इसके पहले गेट खुल जाता है। फ्लू कार्नर पर स्क्रीनिंग और जरूरत पड़ने पर कोविड जांच होती है। ओपीडी फुल होने पर मरीज को अगली तिथि देकर बुलाया जाता है। आनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था के लिए पोर्टल बनाया जा रहा है।

chat bot
आपका साथी