Coronavirus in Gorakhpur: यह खुशफहमी युवाओं के लिए खतरनाक, अंदर से जकडऩे लगती है बीमारी
शहर के खूनीपुर निवासी एक 38 साल के युवक को 10 दिन पहले बुखार हुआ। उसने पैरासीटामाल खाया और बुखार उतर गया। इसी तरह दूसरे और तीसरे दिन भी होता है। सातवें दिन युवक को कमजोरी महसूस हुई।
गोरखपुर, जेएनएन। शहर के खूनीपुर निवासी एक 38 साल के युवक को 10 दिन पहले बुखार हुआ। उसने पैरासीटामाल खाया और बुखार उतर गया। अगले दिन फिर हल्का बुखार हुआ तो पैरासीटामाल खा लिया। इसके बाद उसे बुखार नहीं आया। वह आराम से अपना काम करता रहा। सातवें दिन युवक को कमजोरी महसूस हुई। थोड़ी देर बाद सांस लेने में दिक्कत हुई तो उसने अपने मित्र को बताया। मित्र ने पल्स आक्सीमीटर भेजा। जांच में पता चला कि शरीर में आक्सीजन का स्तर 82 हो गया है। युवक को किसी तरह 10 घंटे बाद मेडिकल कालेज में भर्ती कराया जा सका लेकिन दो दिनों में ही उसकी मौत हो गई।
इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं। बुखार या कोरोना संक्रमण का कोई लक्षण कुछ समय दिखने के बाद दवा या खुद से ही खत्म हो जाता है लेकिन शरीर में प्रवेश कर चुका कोरोना नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। युवाओं के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है इसलिए शरीर की एंटीबाडी कोरोना वायरस से अंदर ही अंदर लड़ती रहती है। कई दिनों तक शरीर में कोई लक्षण नहीं दिखता लेकिन अचानक जब लक्षण आता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है।
दो दिन में हो गई मौत
शाहपुर निवासी 42 वर्षीय युवक को अचानक सांस लेने में दिक्कत हुई। उसे न तो सांस की बीमारी थी और न ही कोई और समस्या थी। स्वजन एक नर्सिंग होम में लेकर पहुंचे तो वहां डाक्टर नहीं मिले। युवक को मेडिकल कालेज ले जाने की तैयारी हो रही थी कि उसने दम तोड़ दिया। एकदम स्वस्थ युवक की अचानक मौत से स्वजन सदमे में हैं। उनका कहना है कि कुछ दिन पहले युवक ने सिरदर्द होने की बात की थी लेकिन फिर कुछ नहीं बताया।
इसे कहते हैं हैप्पी हाइपोक्सिया
शरीर में आक्सीजन की लगातार कमी होने को हाइपोक्सिया कहते हैं। आक्सीजन कम होती है तो कार्बन डाइआक्साइड बढऩे लगती है। इससे दिमाग को कम आक्सीजन मिलती है और मरीज कोमा में जा सकता है। साथ ही हृदय को कम आक्सीजन मिलने से अचानक हृदयगति रुक जाती है। इससे मौत हो जाती है। कोरोना वायरस शरीर में प्रवेश करता है तो धीरे-धीरे कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है लेकिन जिनकी प्रतिरोधक क्षमता अ'छी होती है उनको शुरुआत में पता भी नहीं चलता कि कोरोना उनके शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है। ऐसी स्थिति में वह अपना काम आसानी से करते रहते हैं। आक्सीजन का स्तर जब 85 के नीचे आने लगता है तो कमजोरी और सांस लेने में दिक्कत सामने आती है। लोग बीमारी न होने की खुशफहमी में रहते हैं और अचानक उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ जाती है। लगातार आक्सीजन का स्तर गिरने के बाद भी बीमार न महसूस होने की इसी खुशफहमी को हैप्पी हाइपोक्सिया कहते हैं।
10 फीसद से ज्यादा युवाओं में नहीं दिख रहे लक्षण
चेस्ट फिजिशियन डा. रत्नेश तिवारी कहते हैं कि 10 फीसद युवाओं में कोरोना का संक्रमण होने के बाद भी कई दिनों तक कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। युवा जांच के लिए दी गई सलाह को भी नहीं मान रहे हैं। उनको लगता है कि कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। बाद में जब आक्सीजन का स्तर खतरनाक हो जाता है तक अस्पताल की तलाश शुरू होती है। इस बीमारी को साइलेंट किलर भी कहते हैं।
स्वस्थ व्यक्ति का 94 से ज्यादा होता है आक्सीजन का स्तर
आक्सीजन का स्तर पल्स आक्सीमीटर से जांचा जाता है। खून में आक्सीजन के स्तर को एसपीओ2 यानी सेचुरेशन आफ पेरीफेरल आक्सीजन से जाना जाता है। स्वस्थ व्यक्ति के आक्सीजन का स्तर 94 और इससे ज्यादा होता है।
यदि पल्स आक्सीमीटर नहीं तो यह करें
यदि आपके पास तत्काल पल्स आक्सीमीटर नहीं उपलब्ध है तो अपने दाहिने हाथ की हथेली के पास की नस को हल्का सा दबाकर खून के प्रवाह की जानकारी कर सकते हैं। स्वस्थ मनुष्य का दिल एक मिनट में 72 बार धड़कता है और वह 12-16 बार सांस लेता है। यदि धड़कन 80 से ज्यादा और सांस तेजी से लेना पड़ रहा है तो तत्काल पल्स आक्सीमीटर से जांच करें।
यह हो रहा तो चेत जाएं
हल्का चक्कर आ रहा हो, सांस लेने में दिक्कत हो रही हो, सीने में भारीपन महसूस हो रहा हो तो जांच जरूरी है
बुजुर्गों पर कम असर
डा. रत्नेश तिवारी कहते हैं कि युवा कोरोना के इस समय में आक्सीजन की कमी के कारण पैदा हो रहे लक्षणों को पहली बार महसूस करते हैं इसलिए ध्यान नहीं देते। बुजुर्गों में आक्सीजन का स्तर नीचे जाते ही दिक्कत दिखने लगती है इसलिए उनका तत्काल इलाज शुरू हो जाता है। इस कारण बुजुर्गों में हैप्पी हाइपोक्सिया के मामले बहुत कम सुनने को मिलते हैं।
मास्क जरूर लगाएं
डाक्टरों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में घर से बाहर निकलने से पहले दो मास्क अनिवार्य रूप से लगाना चाहिए। बाहर रहने के दौरान यदि भीड़ में हैं तो मास्क किसी भी हाल में नाक के नीचे नहीं आना चाहिए। कोशिश हो कि घर आने ही मास्क हटाएं और गुनगुने पानी से स्नान कर लें। यदि मास्क हटाना जरूरी है तो भीड़ से दूर जाएं और पानी, चाय या भोजन कर फिर सावधानीपूर्वक मास्क लगा लें।