कोरोना वायरस की यह दवा लोगों को बना रही मानसिक रोगी, मनोचिकित्‍सकों तक आने लगे केस

कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद मरीज में हद से ज्यादा संकोच ज्यादा चिड़चिड़ापन बात-बात पर मारपीट शुरू करने के लक्षण दिखें तो सतर्क हो जाएं। जल्द से जल्द मानसिक रोग विशेषज्ञ से सलाह लें। ऐसा कोरोना संक्रमण की दवा का साइड इफेक्‍ट भी हो सकता है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 09:05 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 09:35 AM (IST)
कोरोना वायरस की यह दवा लोगों को बना रही मानसिक रोगी, मनोचिकित्‍सकों तक आने लगे केस
कोरोना संक्रमण की दवाएं मरीजों को मानसिक रोगी बना रही हैं। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, दुर्गेश त्रिपाठी। कोरोना संक्रमण के कारण गंभीर स्थिति में पहुंच रहे मरीजों के इलाज में चमत्कारिक असर दिखाने वाली स्टेरायड का ज्यादा इस्तेमाल विक्षिप्त भी बना सकता है। बिना डाक्टर की सलाह कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखते ही स्टेरायड शुरू करने वाले मानसिक रोगों के शिकार बन रहे हैं। मानसिक रोग विशेषज्ञों के पास ऐसे मरीजों का पहुंचना शुरू भी हो गया है।

आने वाले दिनों में हर जगह बढ़ेंगे मानसिक रोग के मामले

बेतियाहाता निवासी 45 वर्षीय एक युवक को कोरोना का गंभीर संक्रमण हुआ था। डाक्टरों ने जान बचाने के लिए स्टेरायड का लंबा कोर्स चलाया। युवक निगेटिव हो चुका है लेकिन वह अजीब हरकत करता है। किसी को भी मारने के लिए दौड़ा लेता है, कुछ न कुछ बड़बड़ाता रहता है। कभी कहता है कि उसने कोरोना से बचाव की दवा बना ली है। इसके लिए अमेरिका में बिल क्लिंटन और देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उसकी बात हो गई है। जल्द दवा बाजार में आ जाएगी। कभी कहता है कि कोरोना को वह अपने चाकू से ही मार डालेगा।

परेशान स्वजन ने मनोचिकित्सक से सलाह ली तो उन्होंने इलाज का पूरा इतिहास जाना। पता चला कि कोरोना का संक्रमण कम करने में इस्तेमाल किया गया स्टेरायड ही विक्षिप्तता की वजह बना है। युवक को मानसिक रोग में इस्तेमाल होने वाली दवाएं दी जा रही हैं। इसके अच्छे परिणाम दिख रहे हैं।

गंभीर रोगियों से लिए वरदान है स्टेरायड

डाक्टरों का कहना है कि स्टेरायड जीवनरक्षक दवा है। इसका इस्तेमाल फेफड़े और गठिया के मरीजों के लिए वरदान है। हालांकि स्टेरायड का इस्तेमाल लगातार किए जाने से शरीर के कई अंगों को नुकसान भी पहुंचता है।

ऐसे लक्षण दिखें तो हों सतर्क

कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद मरीज में हद से ज्यादा संकोच, ज्यादा चिड़चिड़ापन, बात-बात पर मारपीट शुरू करने के लक्षण दिखें तो सतर्क हो जाएं। जल्द से जल्द मानसिक रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।

स्टेरायड मरीज की स्थिति देखकर शुरू की जाती है। इसका अलग कोर्स होता है। ज्यादा डोज के साथ शुरू की गई स्टेरायड धीरे-धीरे कम करते हुए बंद की जाती है। कुछ लोग अपने मन से स्टेरायड इस्तेमाल कर रहे हैं। दिक्कत कम होते ही अचानक इसे रोक देते हैं। ऐसे लोगों को भविष्य में ज्यादा परेशानी होती है। - डा. ओंकार राय, वरिष्ठ फिजिशियन।

स्टेरायड के ज्यादा इस्तेमाल से विक्षिप्तता की स्थिति पैदा हो रही है। कोरोना की दूसरी लहर में स्टेरायड का बहुत ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। स्वजन को मरीज के व्यवहार पर नजर रखनी चाहिए और दिक्कत दिख रही है तो इसे छुपाने की जगह तत्काल मानसिक रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। - डा. आमिल एच खान, मानसिक रोग विशेषज्ञ, बाबा राघवदास मेडिकल कालेज।

आजकल लोग बिना डाक्टर की सलाह स्टेरायड का इस्तेमाल करने लगे हैं। कई लोग तो अपने मन से डोज निर्धारित कर रहे हैं और सांस लेने में दिक्कत दूर होने या खांसी कम होते ही इसे अचानक छोड़ देते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। विक्षिप्तता और अन्य मानसिक रोगों को दवाओं से ठीक कर दिया जाता है। - डा. अमित शाही, मानसिक रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल।

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