UP: कोरोना से लड़ाई में नजीर बने थारू जनजातियों के यह 32 गांव, यहां तक नहीं पहुंच पाया संक्रमण
यूपी के महराजगंज जिले के थारू बाहुल्य गांवों में कोरोना के पांव ठिठक गए हैं। 17 हजार थारू जनजाति के लोगों से कोरोना हार गया। जिले में अब तक 11589 कारोना पाजिटिव मरीज मिलने के बाद भी थारुओं के 32 गांवों में काेरोना दस्तक नहीं दे पाया है।
विश्वदीपक त्रिपाठी, महराजगंज। नेपाल सीमा से सटे महराजगंज जिले के थारू बाहुल्य गांवों में कोरोना के पांव ठिठक गए हैं। आधुनिकता से दूर प्रकृति की गोद में पल-बढ़ रहे 17 हजार थारू जनजाति के लोगों से कोरोना हार गया है। जिले में अब तक 11589 कारोना पाजिटिव मरीज मिलने के बाद भी थारुओं के 32 गांवों में काेरोना दस्तक नहीं दे पाया है।
पंरपरागत खान-पान व जीवनशैली इस महामारी को परास्त करने में सहायक सिद्ध हो रही है। नेपाल सीमा से महज चार किलोमीटर की दूरी पर मौजूद विशुनपुरा गांव कोरोना से जारी इस लड़ाई में नजीर बना है। इस गांव में 800 थारू जनजाति के लोग रहते हैं।
दरवाजे पर तुलसी, पीपल- पाकड़ भी भरपूर
सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के अंतर्गत आने वाले विशुनपुरा सहित थारू बाहुल्य अन्य गांवों में अधिकांश घरों के सामने तुलसी के पौधे लगे हैं। जिनका महिलाएं पूजा करने के साथ पत्तियों का काढ़े में प्रयोग करतीं हैं। पेड़ों पर गिलोय चढ़ी है। गांव में पीपल, पाकड़, बरगद , आवंला के पेड़ भी भरपूर संख्या में लगे हैं।
गिलोय का करते हैं सेवन, चाव से खाते हैं घोंघा व मछली
विशुनपुरा गांव के निवासी अगस्त मुनि चौधरी बताते हैं कि थारू जनजाति के अधिकांश लोग गिलोय का सेवन करते हैं। चूंकि जंगल में गिलोय बहुतायत पाई जाती है। ऐसे में इसका सेवन थारुओं की दिनचर्या में शामिल है।थारू बड़े चाव से मछली खाते हैं। अधिकांश दिन वह मछली का सेवन करते हैं। नदियों व तालाबों में पाए जाने वाले घोंघा (स्नेल) का सेवन भी थारूओं की पंरपरा में शामिल है। इसी गांव के रहने वाले तेज बहादुर चौधरी, अनिल कुमार, जगत चौधरी व मोहन चौधरी बताते हैं कि थारू जनजाति के लोग प्रकृति के नजदीक रहते हैं। इसी की देन है कि कोरोना की इस महामारी में भी हम पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं।
महराजगंज के थारू बाहुल्य गांव
महराजगंज के विशुनपुरा, तरैनी, मनिकापुर, बेलहिया, शिवपुरी, सेखुआनी, हल्दीडाली, महुअवा, बेलहिया, कनरी-चकरार, नरैनापुर , देवघट्टी, भगवानपुर मदरी, सूर्यपूरा , अशोगवा, भगतपुरवा , रामनगर, शीशगढ़, मंगलापुर, दनवरिया, महुअवा, अरघा, पोखरभिंडा उर्फ बनरहवा, शीशमहल, पिपरवास व पिपरहिया गांव में सर्वाधिक थारू जनजाति के लोग रहते हैं।
नेपाल में भी बसे हैं थारू
भारत व नेपाल में सीमा से सटे तराई क्षेत्र में थारुओं की संख्या अधिक है। नेपाल की कुल जनसंख्या का सात फीसद थारू जनजाति के लोग हैं। रूपनदेही, नवलपरासी, कपिलवस्तु आदि थारू बाहुल्य जिलों के अधिकांश लोगों की रिश्तेदारियां भारत में हैं। सभी हिन्दू धर्म को मानते हैं। विशुनपुरा के निवासी विजय बहादुर चौधरी बताते हैं कि उनके पूर्वज राजस्थान के रहने वाले थे। मुगल शासन काल में जब परिस्थितियां विपरीत हुईं तो तराई के जंगलों में आकर बस गए।