रिटायर्ड आइएएस की सोच से वर्षा जल संचयन को मिला मुकाम Gorakhpur News

देवरिया के भागलपुर विकास खंड के धरमेर गांव में करीब तीस साल से उपेक्षित पोखरे की दुर्दशा वह देख रहे थे लेकिन नौकरी की व्यस्तता के चलते कुछ कर नहीं पाते थे। 2008 में जब रिटायर हुए तो पैतृक गांव आने का सिलसिला तेज हो गया।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 07:30 AM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 10:10 AM (IST)
रिटायर्ड आइएएस की सोच से वर्षा जल संचयन  को मिला मुकाम Gorakhpur News
धरमेर स्थित पोखरे पर खड़े पूर्व आइएएस अफसर सतीश चंद्र त्रिपाठी। जागरण

गोरखपुर, जेएनएन। मुंबई में रहने के बावजूद रिटायर्ड आइएएस अधिकारी व महाराष्ट्र सरकार में अपर मुख्य सचिव रहे सतीश त्रिपाठी का अपने गांव से गहरा लगाव है। गांव के विकास में हर संभव योगदान करते हैं। इसी के तहत वर्षा जल संचयन के लिए उन्होंने उपेक्षित पड़े तीन हेक्टेयर के पोखरे को नया जीवन दे दिया। यह पोखरा पानी से लबालब रहता है।

देवरिया के भागलपुर विकास खंड के धरमेर गांव में करीब तीस साल से उपेक्षित पोखरे की दुर्दशा वह देख रहे थे, लेकिन नौकरी की व्यस्तता के चलते कुछ कर नहीं पाते थे। 2008 में जब रिटायर हुए तो पैतृक गांव आने का सिलसिला तेज हो गया। उन्होंने सामुदायिक स्तर पर पोखरे की सूरत बदलने की कोशिश की, लेकिन क्षेत्रफल अधिक होने के कारण संसाधन आड़े आने लगा।

बदल दी तस्वीर, बदहाल पोखरे को दिया नया जीवन

स्थानीय स्तर पर सफलता नहीं मिलने पर उन्होंने नई दिल्ली में गैस अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड के अफसरों से संपर्क कर जल संरक्षण के लिए सामाजिक दायित्व के तहत सहयोग मांगा। कंपनी के अफसर ने अक्टूबर 2019 में आकर एक्शन प्लान बनाया और रिपोर्ट भेजी। दिसंबर 2020 में गेल व उनकी स्वयं सेवी संस्था के बीच समझौता हुआ। तय हुआ कि पोखरे की खोदाई करने के साथ ही सुंदरीकरण किया जाएगा। मार्च 2020 में काम शुरू हो गया। पोखरे को नया जीवन मिल गया। इसके एक छोर पर पुरखों का सती मंदिर है। हर रोज लोग सुबह-शाम सैर करने आते हैं। गांव की हालत यह है कि जहां पहले 60 फीट नीचे पानी मिलता था, वहां अब 30-40 फीट पर पानी उपलब्ध हो रहा है।

गेल की मदद से हुआ कार्य

महराष्‍ट्र के पूर्व अपर मुख्‍य सचिव सतीश त्रिपाठी का कहना है कि गांव से मेरा लगाव है। नौकरी में था तो व्यस्तता थी। मुंबई में जरूर हूं, लेकिन गांव में पानी की समस्या बराबर देखता था, इसलिए पोखरे की बदहाली दूर कराने की कोशिश की। भूगर्भ जल स्तर बनाए रखने का एकमात्र उपाय है कि पोखरों व तालाबों में हमेशा पानी रहे। इसी सोच के तहत वर्षा जल संचयन को लेकर पहल की। लोगों का सहयोग मिला। गेल की मदद से पोखरे को नया जीवन मिला। अब पोखरे को पर्यटक स्थल बनाने की योजना है। कोरोना के कारण काम थमा है, महामारी खत्म होते ही फिर काम में तेजी आएगी।

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