गोरखपुर में इंसेफ्लाइटिस की रोकथाम के लिए नए सिरे से होगी पहल
जिला मलेरिया अधिकारी डा. एके पांडेय का कहना है कि इंसेफ्लाइटिस के मरीजों की संख्या लगातार कम हो रही है। जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) तो लगभग समाप्त हो चुकी है। प्रदेश सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए अभियान चलाया।
गोरखपुर, जेएनएन। इंसेफ्लाइटिस की रोकथाम के लिए अब स्वास्थ्य विभाग नए सिरे से पहल करेगा। 382 निजी डाक्टरों के मोबाइल में एईएस एप डाउनलोड कराया जाएगा। डाक्टर इस बीमारी के लक्षणों वाले मरीजों का डाटा एप पर अपलोड करेंगे। स्वास्थ्य विभाग उनका फालोअप करेगा।
डाक्टरों के मोबाइल में डाउनलोड कराया जाएगा एईएस एप
पिछले साल दिसंबर में यह योजना शुरू की गई थी। 175 निजी डाक्टरों के मोबाइल में अपलोड कराया गया था। 35 डाक्टर नियमित इंसेफ्लाइटिस के लक्षण वाले मरीजों का डाटा अपलोड कर रहे थे। 100 से अधिक मरीजों का डाटा अपलोड हुआ था। इसी बीच कोरोना संक्रमण बढ़ जाने से यह अभियान रुक गया। ओपीडी बंद हो गई। इसे स्वास्थ्य विभाग पुन: शुरू करने की तैयारी कर रहा है। 382 डाक्टरों की सूची बनाई जा चुकी है। शीघ्र ही उनके मोबाइल में एप डाउनलोड करा दिया जाएगा। 2017 के पहले इस बीमारी से प्रति वर्ष बड़ी संख्या में बच्चे मर जाते थे। लेकिन सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए पहल की और और ब'चों को टीके उपलब्ध कराए गए। इसके बाद मरीजों व मौतों की संख्या में तेजी के साथ कमी आई है।
खत्म हो चुकी है जापानी इंसेफ्लाइटिस
जिला मलेरिया अधिकारी डा. एके पांडेय का कहना है कि इंसेफ्लाइटिस के मरीजों की संख्या लगातार कम हो रही है। जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) तो लगभग समाप्त हो चुकी है। प्रदेश सरकार ने इसकी रोकथाम के लिए अभियान चलाया। बच्चों को टीके लगाए गए। इसके बाद यह बीमारी काफी हद तक नियंत्रित हो चुकी है। एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के मामलों में भी बड़ी कमी आई है। निजी डाक्टरों के सहयोग से इसे भी पूरी तरह नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है।
लगातार घट रही मरीजों की संख्या
वर्ष एईएस केस मौत जेई केस मौत
2017 817 114 52 10
2018 435 41 35 02
2019 225 13 35 05
2020 227 13 13 02
2021 20 04 00 00