अनाथ बच्चों के लिए कुशीनगर में नहीं है कोई ठौर
कुशीनगर में कोरोनाकाल में अनाथ हुए बचों को सरकार ने दिया है सुरक्षित रखने का निर्देश यहां कोई भी बालगृह नहीं है रिश्तेदारों व स्वजन के साथ रह रहे हैं बचे सरकारी योजनाएं इनके लिए बेमतलब हैं।
कुशीनगर : कोरोनाकाल में अनाथ हुए तथा अपनों को खोने वाले बच्चों के संरक्षण के लिए राज्य व केंद्र सरकार ने हर शहर में मानक के अनुरूप इंतजाम करने का निर्देश दिया था। जिले में अनाथालय नहीं हैं। ऐसे में अनाथ हुए छह बच्चे अपने रिश्तेदारों के वहां रह रहे हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ भी इनको काफी देर से मिला है। ऐसे में अब कुछ राहत उनको जरूर मिली होगी, लेकिन मां-बाप को खोने का दर्द ताउम्र रहेगा। कोरोनाकाल की काली यादें जेहन से शायद कभी मिट न पाएं।
दूसरी ओर 39 ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने या तो पिता खोया या फिर मां। वे अपने स्वजन के साथ रह तो रहे हैं, लेकिन उनका भी दर्द कम नहीं है। जीवन में आई गहरी रिक्तता कभी नहीं भर पाएगी। मिलने वाली सरकारी मदद दर्द के जख्म मरहम का कार्य तो करेगी, लेकिन उसको ठीक करने की दवा शायद कभी न मिल पाए। जिले में 39 बच्चों में चार ने मां को खोया है तो बाकी ने पिता को गंवाया है। जनपद में अपनों को खोने वाले बच्चों की कुल संख्या 75 है। अभी 45 बच्चों को तीन महीने का चार हजार की दर से 12 हजार रुपये की सहायता मिली है। प्रोबेशन विभाग का कहना है कि 30 नए आवेदन मिले हैं, जिनमें किसी के मां या किसी के पिता नहीं हैं। उनको ब्लाक स्तरीय टास्क फोर्स को सौंप दिया गया है। जांच चल रही है। रिपोर्ट आने पर उन्हें भी योजना का लाभ मिलेगा।
जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने कहा कि जिन बच्चों ने अपने माता-पिता को खोया है उनके भरण-पोषण के साथ रहने व खाने को लेकर सरकारी स्तर पर सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। अन्य सहायता भी दिलाई जाएगी। जिले में कोई अनाथालय नहीं है। अनाथ बच्चे जो रिश्तेदार के वहां रह रहे हैं, उनकी नियमित रिपोर्ट ली जा रही है।