कोरोना के गर्भ में छिपा है ब्रेन हैमरेज व लकवा का रक्तबीज, शुगर लेवल भी बढ़ रहा

कोरोना वायरस में रक्त के थक्के जमाने की प्रवृत्ति होती है वह खून को गाढ़ा करता है। स्टेरायड इसे और बढ़ा रहा है। फलस्वरूप ब्रेन हैमरेज व लकवा के मामले सामने आने लगे हैं। गोरखपुर के एक डाक्टर कोविड से पीड़ित थे। उन्हें ब्रेन हैमरेज हो गया।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 12:02 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 06:31 PM (IST)
कोरोना के गर्भ में छिपा है ब्रेन हैमरेज व लकवा का रक्तबीज, शुगर लेवल भी बढ़ रहा
कोरोनावायरस से ब्रेन हैमरेज व लकवा का खतरा पैदा हो गया है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। अति गंभीर मरीजों के कोरोना से ठीक होने के बाद ब्रेन हैमरेज व लकवा की शिकायतें सामने आने लगी हैं। इसके मूल में स्टेरायड का अत्यधिक इस्तेमाल व शुगर लेवल का अचानक बढ़ जाना है। स्टेरायड के अनियंत्रित प्रयोग से मरीज हाइपर ग्लाइसीमिया (रक्त में ग्लूकोज की उच्च स्थिति) के शिकार हो रहे हैं। कोरोना में वैसे ही रक्त के थक्के जमाने की प्रवृत्ति होती है, वह खून को गाढ़ा करता है। स्टेरायड इसे और बढ़ा रहा है। फलस्वरूप ब्रेन हैमरेज व लकवा के मामले सामने आने लगे हैं। गोरखपुर के एक डाक्टर कोविड से पीड़ित थे। उन्हें ब्रेन हैमरेज हो गया। मुंबई के एक अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था। रविवार को उनका निधन हो गया।

कोरोना के रक्त के थक्के जमाने की प्रवृत्ति को और बढ़ाता है स्टेरायड

शहर में ओपीडी लगभग बंद है। लेकिन गंभीर स्थिति में आ रहे मरीजों के लिए डाक्टरों के दरवाजे खुले हैं। मेडिकल कालेज रोड स्थित एक अस्पताल में पिछले एक माह में दो मरीज ऐसे आए जिन्हें कोविड के दौरान ही लकवा मार दिया था। एक मेडिकल कालेज रोड का और दूसरा गोंडा का है। दोनों ने स्टेरायड का प्रयोग 15 दिनों से अधिक किया था। एक ने तो बिना डोज कम किए ही स्टेरायड लेना बंद कर दिया था।

इसमें से एक का शुगर लेवल 330 और दूसरे 357 था। पांच मरीज ऐसे आए जिनके मस्तिष्क में तो नहीं लेकिन हाथ-पैरों की नसों में खून जमने की शिकायत मिली, जिसकी वजह से वह लकवा के शिकार हुए थे। उनमें से तीन के हाथ-पैरों में कमजोरी, झुनझुनी व दर्द था। दो मरीजों के हाथ पूरी तरह काम नहीं कर रहे थे। इनका भी शुगर लेवल 245 से ऊपर था। स्टेरायड का प्रयोग इन्होंने भी किया था। एक मरीज की मनोदशा पूरी तरह बदल गई है, वह लगभग विक्षिप्त हो गया है।

हाइपर ग्लाइसीमिया के शिकार हो रहे मरीज, बढ़ रहा 

कोरोना वायरस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र व परिधीय तंत्रिका तंत्र दोनों पर असर डाल रहा है। इसमें स्टेरायड का अत्यधिक प्रयोग और घातक सिद्ध हो रहा है। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव की वजह से ब्रेन हैमरेज या पूरे शरीर के एक भाग में लकवा तथा परिधीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव की वजह से हाथ-पैरों की नसों में खून के थक्के जमने से लकवा मार रहा है। ये सभी मरीज 50 वर्ष से ऊपर हैं और शुगर की बीमारी से पहले से पीड़ित हैं। इसके अलावा सिर दर्द, तनाव, सुस्त हो जाना, डिप्रेशन, एकांत में रहना, नींद न आना व चिड़चिड़ापन की शिकायत अनेक मरीजों में आ रही है।

न्यूरो कोविड के प्रमुख लक्षण

केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव, तीव्र सिर दर्द, अनिद्रा , आक्रामकता , अचेतावस्था, मस्तिष्क एवं झिल्ली में संक्रमण, फालिज, मिर्गी, याददाश्त की कमी, कंपन एवं असंतुलन, अवसाद , चिड़चिड़ापन, चक्कर आना, मेरु रज्जु में सूजन, मस्तिष्क में गांठ बन जाना।

परिधीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव

गंध एवं स्वाद की कमी, मांसपेशियों में दर्द, आंखों में रोशनी की कमी, नसों का फालिज (जीबी सिंड्रोम )।

अन्य प्रभाव

मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन, अवसाद।

ब्रेन हैमरेज, लकवा, म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) की समस्या ज्यादातर कोविड के उन मरीजों में सामने आई है जिन्होंने स्टेरायड का दीर्घकालिक प्रयोग किया है या अनियंत्रित मधुमेह व किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं। इसलिए ऐसे मरीजों को कोविड से ठीक होने के बाद भी तीन से चार माह तक विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। नियमित डाक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। ताकि समय पर न्यूरो व्याधियों का समुचित उपचार हो सके। ऐसे लोगों को विटामिन युक्त पोषक तत्वों से परिपूर्ण भोजन का सेवन, नियमित योगासन एवं व्यायाम करना चाहिए। स्टेरायड का प्रयोग बिना डाक्टर की सलाह के न करें। - डा. पवन सिंह, न्यूरो फिजिशियन।

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