फिर बिगड़ने लगे शहर के हालात, 300 के करीब पहुंची एक्यूआइ स्तर
वातावरण में नमी बढ़ते ही शहर के हालात फिर बिगड़ने लगे हैं। नमी व धुएं की जुगलबंदी के चलते दिन भर धुंध छायी रही। इसके चलते लोगों को सूर्यदेव का दर्शन नहीं हो सका। एयर क्वालिटी इंडेक्स(एक्यूआइ) फिर से पुरानी स्थिति में लौट रहा है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। वातावरण में नमी बढ़ते ही शहर के हालात फिर बिगड़ने लगे हैं। नमी व धुएं की जुगलबंदी के चलते दिन भर धुंध छायी रही। इसके चलते लोगों को सूर्यदेव का दर्शन नहीं हो सका। एयर क्वालिटी इंडेक्स(एक्यूआइ) फिर से पुरानी स्थिति में लौट रहा है। एक्यूआइ फिर 300 के करीब पहुंच चुका है। मौसम विशेषज्ञ ने कहा है कि इधर मानसून के लिए कोई सिस्टम भी नहीं बन रहा है। ऐसे में लोगों को बेहद सतर्कता अपनानी होगी। तभी वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।
चार सौ के पार पहुंच गया था एक्यूआइ स्तर
इस नवंबर में नौ दिन ऐसे रहे हैं, जब एक्यूआइ तीन सौ के पार रहा है। नौ नवंबर को एक्यूआइ चार सौ के करीब रहा। छह नवंबर को एक्यूआइ 386 रहा। 26 नवंबर की शाम करीब छह बजे शहर का एक्यूआइ 299 रहा। शहर की दशा इतनी दयनीय रही कि धुआं और नमी के मिश्रण के चलते आसमान की तरफ भी धुंध छायी रही। बहुत से लोग इसे बादल समझते रहे, लेकिन धुंध के चलते लोग सूर्यदेव का दर्शन तक नहीं कर सके।
छह किमी रही हवा की गति
26 नवंबर को हवा की अधिकतम गति छह किलोमीटर प्रतिघंटे रही। इसके चलते धुंध दिन में भी नहीं हटी। हवा की गति थोड़ी तेज रहती तो लोगों को धुंध से राहत रहती। बता दें पिछले दिनों हल्की बूंदाबांदी के चलते एक्यूआइ के स्तर में सुधार हुआ था, लेकिन पांच दिन बाद ही प्रदूषण पुराने स्तर पर पहुंच गया है।
पिछले पांच दिनों में आर्द्रता व एक्यूआइ
तिथि आर्द्रता प्रतिशत एक्यूआइ
22 नवंबर 85 120
23 नवंबर 86 130
24 नवंबर 90 197
25 नवंबर 93 242
26 नवंबर 95 299
जानिए एक्यूआइ लेवल की स्थिति
0-50- अच्छा
51-100- संतोषजनक
101-200- सांस लेने में थोड़ी कठिनाई, बच्चे व बुजुर्ग के लिए सावधानी अपनाने की जरूरत
201-300- सांस लेने में तकलीफदेह स्थिति
301-400- अत्यंत खराब स्थिति
401 से ऊपर- हर किसी के लिए भयावह स्थिति
लोगों को बरतनी होगी गंभीरता
मौसम विशेषज्ञ कैलाश पांडेय ने बताया कि बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर लोगों को अब पूरी गंभीरता बरतनी होगी। लोग सिर्फ जरूरत होने पर ही वाहनों का प्रयोग करें। बिजली का फिजूल खर्च पूरी तरह से बंद कर दें। पौधारोपण पर ध्यान दें, अन्यथा स्थिति और खराब हो सकती है।