बेटा-बेटी के साथ युवक ने कर लिया था आत्मदाह, बेटे व पोते-पोती का शव दखते ही फफक पडे लालचंद
गीडा के सरया निवासी 60 वर्षीय लालचंद कन्नौजिया के आंसू एक दिसंबर से नहीं रुक रहे हैं। जवान बेटा व मासूम पोता-पोती के मौत से वह पूरी तरह टूट गए हैं। दो दिसंबर को उन्हें ही राजघाट पर तीनों को दफनाकर अंतिम संस्कार करना था।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गीडा के सरया निवासी 60 वर्षीय लालचंद कन्नौजिया के आंसू एक दिसंबर से नहीं रुक रहे हैं। जवान बेटा व मासूम पोता-पोती के मौत से वह पूरी तरह टूट गए हैं। दो दिसंबर को उन्हें ही राजघाट पर तीनों को दफनाकर अंतिम संस्कार करना था। अपने आंसुओं को रोककर किसी तरह उन्होंने बेटे का शव तो कब्र में डाल दिया, लेकिन जैसे ही आठ वर्षीया पोती अन्नपूर्णा व पांच वर्षीय पोते शेषनाथ के शव को हाथ में लिया, वह दहाड़े मारकर रोने लगे। घाट पर मौजूद लोगों से स्पष्ट कह दिया कि मुझसे न होगा। ईश्वर इतना बड़ा मेरा इम्तिहान न ले। इन बच्चों का शव दफन करने से पहले वह उनको उठा ले।
रोते-रोते बेहोश हो गए लालचंद
लालचंद रोते-रोते बेहोश हो गए। उन्हें किसी तरह से होश में लाया गया। उसके बाद उन्होंने दोनों बच्चों को दफनाकर अंतिम संस्कार किया। बता दें एक दिसंबर को मदन कन्नौजिया ने अपने दोनों बच्चों को कमरे में बंद करके आत्मदाह कर लिया था। इससे तीनों की मौत हो गई थी। मौत का कारण कुछ लोग गृहकलह बता रहे हैं तो मदन के भाई मोहन का कहना है कि मदन की मानसिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उसकी गोरखपुर में दवा चल रही थी। मदन का चार दिन पहले पत्नी पूजा से किसी बात पर विवाद हो गया था।
मायके चली गई थी पत्नी
पूजा अपने मायके चली गई थी। इससे मदन अपनी दवा भी समय से नहीं ले पा रहा था। लोग आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि गहन अवसाद के चलते उसने बच्चों के साथ खुद को कमरे में बंद कर आग लगा लिया होगा। इससे तीनों की मौत हो गई होगी। पत्नी पूजा का भी रो-रोकर बुरा हाल है। वह बुधवार से ही खुद को कोस रही है। अंतिम संस्कार के दौरान घाट पर गंगेश्वर सिंह, हीरालाल गुप्ता और गीडा के प्रभारी निरीक्षक विनय कुमार सरोज रहे।