अपनी जगह न होने का महिलाओं ने बयां किया दर्द, बोला-हम कहां जाएं Gorkhpur News
महिलाओं ने बाजारों भीड़भाड़ वाले स्थानों पर पिंक टॉयलेट की मांग की। साथ ही कहा कि पिंक टॉयलेट के साथ ही सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन सेनेटरी नैपकिन इंसीनरेटर मशीन भी जरूरी है।
गोरखपुर, जेएनएन। दैनिक जागरण के अभियान 'अपनी जगह का महिलाएं और बेटियां हिस्सा बन रही हैं। वह अपनी जगह न होने का दर्द बयां कर रही हैं। बता रही हैं कि कैसे उन्हें परेशानी झेलनी पड़ती है। घर से ज्यादा देर तक के लिए निकलने में भी डर लगता है।
यहां चला हस्ताक्षर अभियान
रामगढ़ झील के किनारे नौका विहार पर चले हस्ताक्षर अभियान में महिलाओं और युवतियों ने उत्साह के साथ भाग लिया। टॉयलेट न होने से महसूस किए गए अपने बुरे अनुभव साझा किए। महिलाओं ने बाजारों, भीड़भाड़ वाले स्थानों पर पिंक टॉयलेट की मांग की। साथ ही कहा कि पिंक टॉयलेट के साथ ही सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन, सेनेटरी नैपकिन इंसीनरेटर मशीन, ब्रेस्ट फीडिंग रूम भी होना चाहिए। यह व्यवस्था हो जाए तो महिलाएं सुकून से घर से बाहर निकल सकेंगी।
आधी आबादी को मिलनी चाहिए राहत
नवजात बच्चे के साथ आईं सोनू ने कहा कि हम नौका विहार घूमने तो आए हैं लेकिन हमेशा डर बना रहता है कि बच्चा अधिक रोने लगेगा तो उसकी भूख शांत करने के लिए कहां जाएंगे। यहां कोई ऐसी जगह नहीं है, जहां वह बच्चे को लेकर बैठ सकें और दूध पिला सकें। सभी महिलाओं और युवतियों ने जिम्मेदार अफसरों व नेताओं से मांग की कि वह आधी आबादी को राहत देने के लिए पिंक टॉयलेट का जगह-जगह निर्माण कराएं।
स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए जरूरी है 'अपनी जगह
दैनिक जागरण के अभियान 'अपनी जगह के तहत सूरजकुंड स्थित स्टेपिंग स्टोन इंटर कॉलेज में हाईजीन पर आधारित विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
नेहा यादव ने छात्राओं को माहवारी के दौरान होने वाले संक्रमण से बचाव के उपाय बताए। कहा कि पीरियड के दौरान संक्रमण का खतरा सबसे अधिक होता है, इसलिए तीन-चार घंटों के अंतराल पर सेनेटरी नैपकिन बदलते रहें। छात्राओं ने बेबाकी से अपनी बात रखी। सभी ने दैनिक जागरण की मुहिम की प्रशंसा की और कहा कि महिलाओं के स्वास्थ्य व सुरक्षा की दृष्टि से 'अपनी जगह मिलनी ही चाहिए।
कौन समझेगा दर्द
स्टेपिंग स्टोन इंटर कॉलेज सूरजकुंड की प्रधानाचार्य अपनीत गुप्ता का कहना है कि दैनिक जागरण के अभियान से छात्राओं को बहुत कुछ सीखने को मिला। छात्राओं ने उनसे जुड़े विषय पर खुलकर बात की। अक्सर ऐसा होता है कि संकोच के कारण महिलाएं व बेटियां अपनी समस्याएं नहीं बता पाती हैं। इससे उन्हें आगे चलकर गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ सकता है।