ये हैं ब्रह्मपुर की महिलाएं, यहीं की रोशनी से जगमगाएगी दीपावली

उन्होंने कहा कि हर तरफ स्थानीय उत्पाद को ब्रांड बनाने पर जोर दिया जा रहा है तो ऐसे में वह क्यों पीछे रहें। मोमबत्तियों के प्रयोग से चीनी झालरों के प्रयोग पर रोक लगेगी। दूसरा महिलाओं में आत्मविश्वास जगेगा।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 09:14 AM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 02:40 PM (IST)
ये हैं ब्रह्मपुर की महिलाएं, यहीं की रोशनी से जगमगाएगी दीपावली
महिलाओं की तरफ से तैयार की गई मोमबत्‍ती।

गोरखपुर, जेएनएन। इस बार की दीपावली चीन नहीं, बल्कि ब्रह्मपुर की रोशनी से जगमगाएगा। यह संकल्प लिया है ब्रह्मपुर गांव की आधा दर्जन महिलाओं ने। इन महिलाओं अपने संकल्प को पूरा करने के लिए गांव में ही 15 दिन पूर्व मोमबत्ती उद्योग स्थापित किया है और अभी तक करीब 10 हजार पैकेट मोमबत्ती भी तैयार कर चुकी हैं।

दीपावली के लिए समय कम रह गया है, ऐसे में इन महिलाओं के पति व परिवार को लोग भी अब काम में हाथ बटा रहे हैं। ब्रह्मपुर गांव ब्रह्मपुर विकास खंड का एक गांव हैं। गांव की 29 वर्षीया रीना शर्मा, 21 वर्षीया रीना मद्धेशिया, 27 वर्षीया नजमा, 30 वर्षीया पूजा, 28 वर्षीया सुमन उपाध्याय व 23 वर्षीया गुडिय़ा बचत के समय में फोटो फ्रेमिंग का कार्य करती थीं। इससे माह में करीब एक से डेढ़ हजार रुपये की कमाई कर लेती थीं।

खबर पढ़कर महिलाओं ने लिया निर्णय

माह भर पूर्व अखबार में ही एक खबर पढ़कर इन महिलाओं ने निर्णय लिया कि इस दीपावली में वह भी कुछ खास करेंगी। उन्होंने खजनी विकास खंड की एक महिला के विषय में पढ़ा था कि स्वदेशी झालर तैयार करती हैं। ऐसे में इन महिलाओं ने आनन-फानन में समूह का गठन करके गांव की 30 महिलाओं को अपने समूह से जोड़ा और समूह से ही करीब एक लाख रुपये का ऋण लेकर गांव में ही मोमबत्ती उद्योग स्थापित कर दिया। पिछले 15 दिनों में इन महिलाओं ने करीब 10 हजार पैकेट छोटी-बड़ी मोमबत्तियां तैयार की हैं। महिलाओं को लगा कि अब समय कम रह गया है तो उन्होंने इसकी चर्चा अपने घरों में की। इसका नतीजा यह निकला कि मोमबत्ती केंद्र पर दिन में महिलाएं काम करती हैं और रात में उनके घर के पुरुष काम संभालते हैं। उनकी तैयारी यह है कि दीपावली से पूर्व एक लाख पैकेट तैयार करके उसे बाजार प्रदान करेंगी।

लक्ष्य सिर्फ रुपये कमाना नहीं

समूह की सदस्य रीना शर्मा कहती है कि उनके समूह से जुड़ी महिलाएं बहुत पढ़ी लिखी नहीं हैं। किसी ने 10वीं तक की पढ़ाई की है तो किसी ने आठवीं तक की। कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं, जो स्नातक हैं। उन्होंने कहा कि मोमबत्तीयां तैयार करने का उद्देश्य सिर्फ रुपये कमाना नहीं, बल्कि स्वदेश व स्वावलंबन का अलख जगाना है। उन्होंने कहा कि हर तरफ स्थानीय उत्पाद को ब्रांड बनाने पर जोर दिया जा रहा है तो ऐसे में वह क्यों पीछे रहें। मोमबत्तियों के प्रयोग से चीनी झालरों के प्रयोग पर रोक लगेगी। दूसरा महिलाओं में आत्मविश्वास जगेगा कि वह अपने बचत के समय से परिवार को आर्थिक सहयोग दे सकती हैं।

ऐसे तैयार कर रहीं बाजार

समूह की महिलाओं ने मोमबत्तियों की कीमत 15 रुपये से लेकर 25 रुपये पैकेट तक रखा है। यही मोमबत्तियां बाजार में 25 से लेकर 40 रुपये कीमत तक बिक रही हैं। मामुली बचत पर महिलाओं ने मोमबत्तियों को बेचने का निर्णय लिया है। उनका मानना है कि जितनी मोमबत्तियां बिकेंगी, उतना चीनी झालरों का प्रयोग कम होगा और यही उनकी जीत होगी।

chat bot
आपका साथी