लॉकडाउन में सुधर गई यूपी के इस शहर की आबोहवा, कम हुआ प्रदूषण

गोरखपुर में उद्योगों के चलने के कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 153-155 के करीब है। सांस के रोगियों बच्चों व हृदय के रोगियों के लिए यह स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में जहरीली हवाओं से मुक्ति पाने के लिए अभी लोगों को अधिक प्रयास करने की जरूरत है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 08:02 AM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 07:41 PM (IST)
लॉकडाउन में सुधर गई यूपी के इस शहर की आबोहवा, कम हुआ प्रदूषण
लॉकडाउन में सड़कों पर वाहन निकलने कम हुए तो प्रदूषण भी कम हो गया। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जेएनएन। बीते 30 अप्रैल की रात से ही जिले में कोरोना कर्फ्यू लागू है। वाहनों के पहिये लगभग थम से गए हैं, लेकिन वायु की शुद्धता में अभी कसर बाकी है। उद्योगों के चलने के कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 153-155 के करीब है। सांस के रोगियों, बच्चों व हृदय के रोगियों के लिए यह स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में जहरीली हवाओं से मुक्ति पाने के लिए अभी लोगों को अधिक प्रयास करने की जरूरत है।

उद्योगों के चलते एक्यूवाई बढ़ा, लेकिन अभी स्थिति नियंत्रण में

कोरोना कर्फ्यू में सिर्फ जरूरतमंदों को बाहर निकलने की अनुमति है। बावजूद इसके रोजाना 100 से 150 लोग ऐसे मिल जा रहे हैं, जो बिना जरूरत के सड़कों पर वाहनों से निकल रहे हैं। पुलिस इनका चालान भी कर रही है, लेकिन यह अपनी आदत से बाज नहीं आ रही है। पुलिस कर्मियों के मुताबिक करीब 85 फीसद वाहन नहीं चल रहे हैं। 15 फीसद में एंबुलेंस चालक व कुछ विशेष जरूरतमंद हैं। बावजूद इसके हवा से प्रदूषण का जहर अभी कम नहीं हुआ है।

यहां होती है हवाओं की मानीटरिंग

शहर में तीन स्थानों पर हवा के गुणवत्ता की मानीटरिंग होती है। इसमें गीडा (औद्योगिक), जलकल (व्यावसायिक) व मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आवासीय) पर वर्ष 2011 से हवा की गुणवत्ता आंकी जाती है। हवा में पीएम 10, सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रोजन डाई आक्साइड व एक्यूआई का सूचकांक बढ़ना सेहत के लिए खतरनाक माना जाता है।

एक्युआई का स्तर एक नजर

1 अप्रैल 2021- 152

15 मई 2021- 155

जानिए क्या है मानक

पीएम-10 (हवा में तैरने वाले 10 माइक्रान से छोटे कण जो नाक के बालों से भी रुकते नहीं बल्कि सांस के साथ सीधे फेफड़े तक पहुंच सकते हैं) इनकी मात्रा प्रति घन मीटर 60 माइक्रोग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए। ऐसे ही सल्फर डाई आक्साइड की मात्रा 50 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और नाइट्रोजन की मात्रा 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।

एक्युआई सूचकांक की स्थिति

0 से 50- अच्छी

51 से 100- संतोषजनक

101 से 200- मध्यम

201 से 300- खराब

301 से 400- बहुत खराब

401 से अधिक- अत्यंत चिंताजनक

वायु की शुद्धता के लिए लोगों को थोड़ा और ध्यान देने की जरूरत है। एक्युआई 50 से कम होने पर यह फेफड़ों के लिए लाभकारी होगा। लोगों को चाहिए सिर्फ कोरोना कर्फ्यू में ही नहीं, बल्कि अन्य दिनों में कम से कम वाहनों का प्रयोग करें। अधिक जरूरत होने पर ही घरों से बाहर निकलें। अधिक से अधिक पौधे लगाएं। - कैलाश पाण्डेय, पर्यावरण व मौसम विशेषज्ञ।

अभी कार्यालयों के बंद होने से पीएम 10, सल्फर डाई आक्साइड की मात्रा की वास्तविक स्थिति आकलन नहीं किया जा सकता है। अधिकांश वाहनों के बंद होने से हवा में इनकी मात्रा जरूर कम हुई होगी। - प्रो. गोविन्द पाण्डेय, अधिष्ठाता, अवस्थापना एवं नियोजन, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर।

chat bot
आपका साथी