पंचायत भवन बनाने में कर्जदार हो गए प्रधान, कार्यकाल के अंतिम दिनों ने बढ़ाई चिंता
प्रधानों ने ग्राम सभा के खाते में मौजूद राज्य वित्त के बजट को खर्च कर पंचायत भवन का निर्माण शुरू कराया। अधिकारियों ने जल्द बजट मुहैया कराने का आश्वासन देकर भवन के निर्माण को जल्द से जल्द पूरा कराने के दबाव बनाया।
गोरखपुर, जेएनएन। शासन के निर्देश व अफसरों के फरमान ने कार्यकाल के अंतिम महीनों में प्रधानों की चिंता बढ़ा दी है। बजट के अभाव में काम पूरा करने के दबाव में वे कर्जदार बनते जा रहे हैं। आवश्यक बजट जारी किए बगैर ही अधिकारी न केवल काम की प्रगति पूछ रहे हैं, बल्कि काम पूरा न होने तक गांव में अन्य किसी भी प्रकार के कार्य करने पर रोक भी लगा दिए हैं। मनरेगा से बजट न मिलने के चलते कहीं आधा-अधूरा तो कहीं पूरा काम कराने में प्रधान लाखों रुपये के कर्जदार हो चुके हैं।
जिले में 484 पंचायत भवनों का होगा निर्माण
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत जनपद में पंचायत भवन निर्माण के लिए 484 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एक भवन के लिए 19 लाख 90 हजार रुपये की धनराशि स्वीकृत हुई है। पंचायत भवन में मनरेगा और राज्य वित्त से धनराशि खर्च करना था। प्रधानों ने ग्राम सभा के खाते में मौजूद राज्य वित्त के बजट को खर्च कर पंचायत भवन का निर्माण शुरू कराया। अधिकारियों ने जल्द बजट मुहैया कराने का आश्वासन देकर भवन के निर्माण को जल्द से जल्द पूरा कराने के दबाव बनाया। प्रधानों ने भवन सामग्री की दुकानों से कर्ज लेकर काम को तीन चौथाई तक पहुंचा दिया, लेकिन मनरेगा से जारी होने वाला बजट अब तक नहीं मिला। छत लेवल तक पहुंच चुके पंचायत भवन का काम धन के अभाव में बंद हो गया। मनरेगा से बजट न मिलने के चलते जैसे ही काम बंद हुआ कार्यकाल समाप्ति को देखते हुए दुकानदार , मजदूर सभी पैसे के लिए प्रधानों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
मनरेगा से अभी तक नहीं मिला धन
भटहट विकास खंड के ग्राम पंचायत फुलवरियां की प्रधान किरन देवी के पति शिवानंद यादव ने बताया कि पंचायत भवन का शिलान्यास एक सितंबर को विधायक महेन्द्र पाल सिंह द्वारा किया गया था। भवन का छत लग गया है। राज्य वित्त की रकम खर्च हो गई, दुकानों व ईंट भठ्ठा के साथ ही मजदूरों का उधार हो गया है। जेई ने एमबी, बिल वाउचर सब जमा कर दिया है, लेकिन मनरेगा की धनराशि नहीं मिली है। ग्राम पंचायत बरडीहा उर्फ रौजा के ग्राम प्रधान चंदन कुमार ने बताया कि मनरेगा का धन न मिलने से भवन का काम अधूरा है। दुकानदार उधार का तगादा कर रहे हैं। मजदूरों में दुकानदारों को भय है कि कहीं पंचायत का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनका पैसा फंस न जाए।