लकवा के मरीजों को बचाने का समय 24 घंटे तक बढ़ा, पहले स्ट्रोक के छह घंटे तक ही था गोल्डेन आवर

अब लकवा (स्ट्रोक) के 24 घंटे तक गोल्डेन आवर बढ़ गया है। पहले यह छह घंटा ही था। छह घंटे के अंदर पहुंचने पर मरीजों को दवा देकर उसे बचा लिया जाता था। अब एंडो वैसकुलर न्यूरो सर्जरी विकिसत हो चुकी है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 02:11 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 02:11 PM (IST)
लकवा के मरीजों को बचाने का समय 24 घंटे तक बढ़ा, पहले स्ट्रोक के छह घंटे तक ही था गोल्डेन आवर
दैनिक जागरण के हैलो डाक्टर कार्यक्रम में लोगों के सवालों का जवाब देते डा. सतीश कुमार नायक (न्यूरो सर्जन)। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। अब लकवा (स्ट्रोक) के 24 घंटे तक गोल्डेन आवर बढ़ गया है। पहले यह छह घंटा ही था। छह घंटे के अंदर पहुंचने पर मरीजों को दवा देकर उसे बचा लिया जाता था। अब एंडो वैसकुलर न्यूरो सर्जरी विकिसत हो चुकी है। इसकी मदद से स्ट्रोक के 24 घंटे के भीतर पहुंचने वाले मरीज को भी न सिर्फ बचाया जा सकता है बल्कि उसे लकवा के दुष्प्रभावों से मुक्त भी किया जा सकता है। यह बातें बीआरडी मेडिकल कालेज के सुपर स्पेशलिटी ब्लाक के न्यूरो सर्जन डा. सतीश कुमार नायक ने कही।

हैलो डाक्‍टर में दिया सवालों का जवाब

वह दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम 'हैलो डाक्टर' में पांच दिसंबर को मौजूद थे। लोगों के सवालों का जवाब देकर उन्हें संतुष्ट किया और कहा कि कोई भी दिक्कत होने पर वे मेडिकल कालेज के सुपर स्पेशलिटी ब्लाक में आ सकते हैं। जिन मर्जों के इलाज व आपरेशन के लिए लोगों को शहर से बाहर जाना पड़ता था, अब उनके इलाज व आपरेशन यहीं हो सकते हैं। उन्होंने बुजुर्गों को ठंड से बचकर रहने की सलाह दी, क्योंकि इस मौसम में नसें सिकुड़ती हैं और खून का प्रवाह कम होता है। ऐसे में लकवा मारने की आशंका रहती है। इसलिए ठंड से बचें। योग-व्यायाम करते रहें। सुबह-शाम टहलें। सुबह की गुनगुनी धूप जरूर लें। प्रस्तुत हैं सवाल-जवाब।

इन्‍होंने पूछे यह सवाल

सवाल- दाएं पैर की एड़ी में दर्द है। बाएं पैर में भी ऐसा हुआ था लेकिन ठीक हो गया है।

-सुरेंद्र यादव, गोलघर

जवाब- रात को सोने से पहले व सुबह सोकर उठने के बाद हल्के गर्म पानी में पैर डालकर सेंकाई करें। आराम मिलेगा।

सवाल- दाएं पैर में छह माह से दर्द हो रहा है। एमआरआइ रिपोर्ट में आया है कि एल 4 व 5 दब रहा है।

-कमल शंकर श्रीवास्तव, तुर्कमानपुर

जवाब- पूरी रिपोर्ट लेकर मेडिकल कालेज के सुपर स्पेशलिटी ब्लाक में आ जाइए। कुछ दवा दी जाएगी और साथ ही योग-व्यायाम के कुछ तरीके बताए जाएंगे। ठीक हो जाएगा।

सवाल- मैं बेहोश हो गई थी। इलाज के बाद होश आया लेकिन अब बहुत कुछ भूलने लगी हूं। मेरी उम्र 82 साल है। शुगर भी है।

-मालती देवी, मैत्रीपुरम

जवाब- इस अवस्था में यादाश्त कमजोर हो जाती है। घबराने की जरूरत नहीं है। शुगर की दवा लेते रहें। विशेष परेशानी होने पर मेडिकल कालेज में आकर दिखा लें।

सवाल- पत्नी को छह-सात साल से जोड़ों में सूजन व दर्द है। चलना-फिरना मुश्किल हो गया है।

-विनोद कुमार, बिछिया

जवाब- सुपर स्पेशलिटी में आकर दिखा लीजिए। वहां फिजिशियन, सर्जन, न्यूरो सर्जन व आर्थोपेडिक सभी मिल जाएंगे, एक ही जगह मुकम्मल इलाज हो सकेगा।

सवाल- मेरे जोड़ों में दर्द रहता है। सुबह सोकर उठने पर जकड़न रहती है।

-उर्मिला दूबे, महुआडाबर

जवाब- आर्थराइटिस की समस्या लग रही है। इसकी दवा शुरू करनी पड़ेगी। साथ ही योग-व्यायाम को भी जीवन का हिस्सा बनाना होगा। मेडिकल कालेज में एक बार आकर दिखा लें।

सवाल- मेरा एक्सीडेंट हो गया था। क्लाटिंग की दवा पिछले साल तक चली। लेकिन अभी पैरों में झनझनाहट रहती है।

-संदीप कुमार सिंह, बांसगांव

जवाब- बिना देखे कुछ नहीं कहा जा सकता है। अभी तक जो दवा चली है, उसका पर्चा तथा जांच रिपोर्ट लेकर सुपर स्पेशलिटी में एक बार मिल लें।

सवाल- मेरी माताजी की गर्दन बायीं तरफ झुक रही थी, अब झटके भी आने लगे हैं।

-अरुण भट्ट, गिरधरगंज

जवाब- सोडियम की कमी की वजह से ऐसा होता है। यदि यह बहुत पहले से है तो धीरे-धीरे सोडियम की मात्रा बढ़ानी पड़ेगी। बेहतर है एक बार मेडिकल कालेज में लाकर दिखा लें।

सवाल- पैर की नसें हमेशा खिंची रहती हैं।

-हीरा ओझा, कूड़ाघाट

जवाब- ठंड में नसें सिकुड़ने लगती हैं। इसकी वजह से ऐसा हो सकता है। ठंड से बचते हुए व्यायाम करें। आराम मिल जाएगा।

सवाल- हाथ की नसों में दर्द रहता है।

-कीर्ति दूबे, चारुचंद्रपुरी

जवाब- गर्दन का व्यायाम करें। यह सर्वाइकल की वजह से है।

सवाल- पूरे शरीर में जकड़न रहती है। संतुलन बन नहीं पाता है। लड़खड़ाने लगते हैं।

-गौरव, हुमायूंपुर

जवाब- रूमेटोलाजिस्ट से दिखाना पड़ेगा। इसके लिए आप केजीएमयू, लखनऊ चले जाइए। वहां इसका इलाज हो जाएगा।

इन्होंने भी पूछे सवाल

अलीनगर से राहुल वर्मा, हुमायूंपुर से केशरी नंदन, धर्मशाला बाजार से राम आसरे, मोहद्दीपुर से किरन देवी, कूड़ाघाट से अभिनव शर्मा, गोरखनाथ से राम शंकर ओझा, विजय चौक से कृष्ण प्रताप वर्मा, रुस्तमपुर से रेखा व पैडलेगंज से मानसी ने भी सवाल पूछे।

एंडो वैसकुलर न्यूरो सर्जरी के बारे में

एंडो वैसकुलर न्यूरो सर्जरी में न तो चीरा लगाया जाता है और न ही टांका। इसमें नसों के माध्यम से एक बहुत पतले तार के जरिये ब्लड क्लाटिंग तक पहुंचकर खून के जमे टुकड़े को खींचकर बाहर निकाल दिया जाता है। खून का प्रवाह शुरू होते ही लकवा ठीक होने लगता है। तार से किया गया छेद अपने आप बंद हो जाता है। अभी यह सर्जरी राम मनोहर लोहिया, लखनऊ में होती है। यह सर्जरी स्ट्रोक के बाद 24 घंटे तक की जा सकती है।

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