कानपुर के मनीष की हत्या में थानेदार की कहानी ने हुई गोरखपुर पुलिस की किरकिरी
गोरखपुर घूमने आए कानपुर के कारोबारी मनीष की होटल के कमरे में पुलिस वालों ने पीटकर हत्या कर दी थी। बाद में थानेदार ने हडबडी में बेड से गिर जाने की वजह से उनकी मौत होने की कहानी सुनाई। जिससे पुलिस को काफी किरकिरी हुई।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। रामगढ़ताल क्षेत्र में कानपुर के कारोबारी की पीटकर हत्या किए जाने की घटना में पुलिस अधिकारी आखिरी तक थानेदार की सुनाई कहानी सबको सुनाते और बताते रहे। जिसकी वजह से गोरखपुर पुलिस के साथ ही पुलिस अधिकारियों की जमकर किरकिरी हुई। जिम्मेदारों का रवैया स्पष्ट न होने की वजह से पीडि़त परिवार पहले दिन से ही हत्या का केस कानपुर ट्रांसफर किए जाने की मांग कर रहा था।
चार दिन तक चली लीपापोती
मनीष हत्याकांड में गोरखपुर पुलिस चार दिन तक लीपापोती करती रही। रामगढ़ताल थाने में दर्ज हत्या की केस को एसएसपी ने पहले क्राइम ब्रांच ट्रांसफर किया। अगले दिन एसपी क्राइम के नेतृत्व में एसआइटी गठित की। जिसकी वजह से दो दिन तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। शासन के सख्त होने पर शुक्रवार को तेजी से छानबीन शुरू की गई लेकिन केस कानपुर एसआईटी के हवाले कर दिया गया है।
यह है मामला
कानपुर के बर्रा निवासी कारोबारी मनीष गुप्ता 27 सितंबर की सुबह आठ बजे गोरखपुर घूमने आए थे। उनके साथ हरियाणा के उनके दोस्त हरबीर और प्रदीप भी थे। रामगढ़ताल थाना प्रभारी जगत नारायण ङ्क्षसह समेत छह पुलिसकर्मी रात करीब साढ़े 12 बजे कमरा नंबर 512 की तलाशी लेने पहुंच गए।
आधी रात में तलाशी लेने पर मनीष ने जताई आपत्ति
आधी रात को इस तरह कमरे की तलाशी लेने पर मनीष ने आपत्ति जताई तो पुलिसकर्मियों से उनका विवाद हो गया। आरोप है कि इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह और पुलिस टीम ने पीट-पीटकर मनीष की हत्या कर दी।
नशे की हालत में गिरने से मौत होने की थानेदार ने सुनाई थी कहानी
हालांकि पुलिस वालों का कहना था कि मनीष शराब के नशे में धुत थे और गिरने की वजह से उनकी मौत हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मनीष के शरीर पर कई जगह चोट के निशान मिले। मनीष की पत्नी मीनाक्षी की तहरीर पर पुलिस ने तीन नामजद और तीन अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया। पत्नी की मांग पर शासन ने इस मामले की जांच कानपुर एसआइटी को सौंपने के साथ ही सीबीआइ जांच की भी सिफारिश की है।