Manish Murder Case: माह भर बाद भी कमरे से बाहर नहीं निकली मनीष की कहानी
Manish gupta murder case गोरखपुर में हुए कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की हत्या की रात होटला कृष्णा पैलेस के कमरा नंबर 512 की पूरी कहानी बाहर नहीं आ सकी। अभी यह ज्ञात नहीं हो सका है कि मनीष पर हमला कितने लोगों ने किया था।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता हत्याकांड को एक माह बीच चुका है। एसआइटी ने इस मामले की जांच भी कर ली। इंस्पेक्टर जगत नारायण सहित छह पुलिस कर्मियों को जेल भेज दिया गया। बावजूद इसके बीते 27 सितंबर की रात होटला कृष्णा पैलेस के कमरा नंबर 512 की पूरी कहानी बाहर नहीं आ सकी। अभी यह ज्ञात नहीं हो सका है कि मनीष पर हमला कितने लोगों ने किया था। हत्या के बाद होटल के कमरे से खून के निशान किसने मिटाए। तौलिये में खून किसने पोछा और किसने उसे बेड के नीचे छिपा दिया था। घटना के बाद पुलिस कर्मियों का सहयोग करने अन्य लोगों की क्या भूमिका रही, अभी इन सवालों के जवाब नहीं मिल सके हैं।
यह है मामला
बीता माह कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता के परिवार के लिए बेहद भारी पड़ा है। मनीष अपने दोस्तों के साथ गोरखपुर घूमने आए थे और यहां पुलिस की पिटाई से उनकी मौत हो गई। घटना के बाद मनीष की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता ने पुलिस कर्मियों पर मारपीट का आरोप लगाया। इंस्पेक्टर जगत नारायण समेत छह पुलिस कर्मी निलंबित कर दिए गए। पुलिस कर्मियों पर मुकदमा दर्ज किया गया। घटना की जांच के लिए एसआइटी गठित कर दी गई। एसआइटी की जांच पूरी भी हो गई, लेकिन अभी तक यह ज्ञात नहीं हो सका कि एसआइटी की जांच रिपोर्ट है क्या। घटना को लेकर कई सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं। मनीष को इलाज के लिए आरोपित पुलिस कर्मी मानसी हास्पिटल गए थे, फिर पुलिस कर्मियों ने जीडी (जनरल डायरी) में जिला अस्पताल ले जाने की बात क्यों लिखी? आरोपितों को मानसी हास्पिटल से मेडिकल कालेज ले जाने में करीब सवा घंटे विलंब क्यों हुआ, सहित कई सवाल ऐसे हैं, जिस पर अभी भी लोगों की उत्सुकता बनी हुई है।
12 अक्टूबर को मीनाक्षी ने केडीए ज्वाइन
प्रदेश सरकार ने घटना के बाद मनीष के स्वजन को 40 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी। मनीष की पत्नी मीनाक्षी को कानपुर विकास प्राधिकरण में ओएसडी के पद पर नौकरी। मीनाक्षी ने बीते 12 अक्टूबर को ओएसडी का पद भार ग्रहण किया।
माह भर बाद भी नहीं हुआ सीन रिक्रिएशन
मनीष की हत्या के बाद एसआइटी सीन रिक्रिएट कराकर यह पता लगाने की कोशिश में थी कि घटना की रात कब क्या हुआ था। एसआइटी ने सीन रिक्रिएशन के लिए मनीष के दोस्त हरबीर व प्रदीप को बुलाया था, लेकिन वह गोरखपुर आने को तैयार नहीं हैं। वह डर की बात कहकर अपने बचाव में लगे हुए हैं।
मनीष हत्याकांड: जानिए कब क्या हुआ
27 सितंबर- पुलिस की पिटाई से मनीष गुप्ता की मौत।
28 सितंबर- इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह सहित छह पुलिस कर्मियों पर हत्या का केस।
29 सितंबर- गोरखपुर पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू की।
30 सितंबर- विवेचना क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर को सौंपी गई।
1 अक्टूबर- केस कानपुर एसआइटी को ट्रांसफर।
2 अक्टूबर- एसआइटी कानपुर ने गोरखपुर पहुंचकर शुरू की जांच।
3 अक्टूबर- होटल, हास्पिटल व मेडिकल कालेज पहुंचकर जुटाए साक्ष्य।
4 अक्टूबर- मनीष के हत्या किये जाने के मिले प्रमाण।
5 अक्टूबर- आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए चार टीमें गठित की गईं।
6 अक्टूबर- एसपी क्राइम व सीओ कैंपियरगंज के नेतृत्व में दो टीमें बढ़ाई गईं।
7 अक्टूबर- आरोपितों के स्वजन व रिश्तेदारों पर बढ़ा पुलिस का दबाव।
8 अक्टूबर- छापेमारी के लिए गोरखपुर व कानपुर की आठ-आठ टीमें लगाई गईं।
9 अक्टूबर- इंस्पेक्टर जेएन सिंह व दारोगा अक्षय मिश्रा के स्वजन को पुलिस ने उठाया।
10 अक्टूबर- इंस्पेक्टर जेएन सिंह व दारोगा अक्षय मिश्रा को पुलिस ने किया गिरफ्तार।
12 अक्टूबर- दारोगा राहुल दुबे व सिपाही प्रशांत को पुलिस ने किया गिरफ्तार।
13 अक्टूबर- हेड कांस्टेबल कमलेश यादव को पुलिस ने किया गिरफ्तार।
16 अक्टूबर- दारोगा विजय यादव को पुलिस ने किया गिरफ्तार।